Sunday 1 November 2020

शिवराज की सरकार बचेगी या कमलनाथ की वापसी होगी?

मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के अंतिम दौर में अब दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस खूब जोर लगा रहे हैं। राज्य में तीन नवम्बर को सभी 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान होगा। यह चुनाव राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार बचेगी या कांग्रेस वापसी करेगी, इसका फैसला इन उपचुनाव के नतीजों से तय हो जाएगा। आखिर किसकी सरकार बचेगी, किसकी बन सकती है, इसका फैसला 10 नवम्बर को गिनती के बाद हो पाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अंतिम समय में हो रही अपनी सभाओं में कांग्रेस के एक नेता के बयान को उठा रहे हैं। इस बयान में कांग्रेस के नेता ने उन्हें नंगा, भूखा कहा था। वो इसे बार-बार दोहरा रहे हैं। भोपाल के करीब रायसेन में एक चुनावी सभा में इस मुद्दे को उठाते हुए चौहान ने कहाöमैं इसी देश के किसान परिवार में पैदा हुआ, मेरा घर भी कच्चा है। उनके भाषण के दौरान उनके निशाने पर थे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ। उन्होंने कमलनाथ को झूठा कहकर संबोधित किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी अपने वचन-पत्र का एक भी वादा पूरा नहीं कर पाई। यही वजह है कि जनता का कोप उन्हें लगा और सरकार चली गई। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छतरपुर के बड़ा चलहरा की चुनावी सभा में शिवराज सिंह चौहान पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें झूठा करार दिया। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान को जब जनता ने घर पर बैठा दिया था, तो लगा था कि वह झूठ बोलना बंद कर देंगे, लेकिन वह झूठ बोलने से परहेज नहीं कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस स्तर पर प्रचार देखने को मिल रहा है, उसकी वजह दोनों ही पार्टियों के लिए करो या मरो की स्थिति है। यह चुनाव बहुत दिलचस्प है, इसलिए दोनों ही पार्टियां हर तरह से अपने हक में नतीजा चाहती हैं। यह पहला मौका है जब प्रदेश में उपचुनाव में यह फैसला होगा कि सरकार बचेगी या जाएगी? हालांकि अगर देखा जाए तो इस वक्त भाजपा इस वक्त कांग्रेस से आगे नजर आ रही है। कांग्रेस के लिए सत्ता में आना उतना आसान नहीं है। माना जा रहा है कि अंतिम समय में मतदाता प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि और उनके काम को लेकर ही वोट देगी। मध्य प्रदेश में कोरोना काल में इन उपचुनावों की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि मार्च के महीने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से अलग होकर भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ उनके 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और भाजपा की सदस्यता ले ली। मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सदस्य होते हैं। बहुमत के लिए 116 सदस्यों की जरूरत होती है। इस समय भाजपा के पास 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के एक विधायक ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है। इस तरह कुल 29 जगह खाली है। कांग्रेस अगर 25 सीटें जीत लेती है तो फिर सत्ता में वापस आ सकती है। उस स्थिति में कांग्रेस के पास भाजपा से ज्यादा सीटें होंगी और वह बसपा, सपा और निर्दलीय के समर्थन से सत्ता में आ सकती है। दूसरी ओर भाजपा अगर नौ सीटें जीतती है तो वो अपने बलबूते पर ही सरकार में बनी रह सकती है। मौजूदा विधानसभा में भाजपा 107, कांग्रेस 87, बसपा दो, सपा एक और निर्दलीय चार विधायक हैं। देखें, ऊंट किस करवट बैठता है?

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