Thursday 20 September 2012

इस बार टी-20 वर्ल्ड कप किसी की भी झोली में जा सकता है


 Published on 20 September, 2012
अनिल नरेन्द्र
आखिर खत्म हो गया क्रिकेट प्रेमियों का इंतजार। पूरी दुनिया एक बार फिर फटाफट क्रिकेट का आनन्द उठाने को तैयार है। टी-20 वर्ल्ड कप 2012 का आगाज हो चुका है। इस बार आयोजन श्रीलंका में हो रहा है। श्रीलंका में अगले 20 दिनों तक 12 टीमों के बीच रोमांच की नई कहानी लिखी जाएगी। एक विकेट से मैच का रुख बदलेगा तो एक रन से जीत का फैसला तय होगा। कुछ मैच सुपर ओवर तक भी जा सकते हैं। गेंद और बल्ले की जंग में ग्लैमर का तड़का भी लगेगा, मतलब मनोरंजन की होगी पूरी गारंटी। कई नए रिकार्ड बनेंगे, कई पुराने टूटेंगे। उपमहाद्वीप की पिचें हमेशा से रोमांचक क्रिकेट के लिए मशहूर रही हैं। लिहाजा इस बार का टी-20 वर्ल्ड कप भी रोमांचक होगा, इसमें कोई शक नहीं है। टी-20 वर्ल्ड कप की विजेता टीम को 10 लाख डॉलर मिलेंगे। उपविजेता को पांच लाख डॉलर। सेमीफाइनल में पहुंचने वाली टीम को 2,50,000 डॉलर मिलेंगे। इस बार का टी-20 वर्ल्ड कप शायद सबसे खुला टूर्नामेंट है। इस बार टी-20 विश्व कप का खिताब कौन जीतेगा या फिर कौन-सी दो टीमें फाइनल में पहुंचेंगी, अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है। वैसे भी टी-20 खेल में किसी प्रकार की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। क्योंकि खेल में कई रोचक उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। मैच के दिन कौन-सी टीम अच्छा प्रदर्शन करती है, इस पर उस दिन हार-जीत निर्भर करती है। कागजों में बेशक आप बहुत मजबूत दिखो पर उस दिन आप अच्छा नहीं खेलोगे तो हार जाओगे। पहले सत्र की चैंपियन टीम इंडिया श्रीलंका की धीमी पिचों में जरूर एक बार फिर खिताब अपने नाम करने की पूरी कोशिश करेगी पर पाकिस्तान के साथ खेल अभ्यास मैच में एक बॉलर की कमी महसूस हुई। सात बल्लेबाजों को खिलाने का कोई तुक नहीं। एक बल्लेबाज को कम कर एक स्पिनर को लेना बेहतर होगा। पाकिस्तानी टीम अप्रत्याशित प्रदर्शन में माहिर है। मोहम्मद हफीज की टीम इस बार बेहद संतुलित दिखती है। आस्ट्रेलिया को हराकर यहां पहुंची इस टीम का मनोबल ऊंचा है। भारत को अभ्यास मैच में हराकर भी पाकिस्तान का आत्मविश्वास बढ़ा होगा। मेजबान श्रीलंका भी एक संतुलित टीम है। अच्छे धुआंधार बल्लेबाजों के साथ मलिंगा जैसा टी-20 बॉलर भी उनके पास है। वेस्टइंडीज में क्रिस गेल अगर चल गए तो उस दिन उनके सामने कोई बॉलर, टीम नहीं टिक सकती। आस्ट्रेलिया भी अच्छी टीम है। जार्ज बैली की कप्तानी वाली आस्ट्रेलियाई टीम अभी तक टी-20 प्रारूप में अपना लोहा नहीं मनवा सकी है। चैंपियन इंग्लैंड को पिछले मैन ऑफ द टूर्नामेंट केविन पीटरसन की कमी खलेगी। विवादों से घिरे रहने वाला यह बिग हिटर टी-20 और वन डे क्रिकेट से संन्यास ले चुका है। इंग्लैंड क्रिकेट ने टी-20 क्रिकेट खेलते रहने की उसकी गुजारिश ठुकरा दी थी। एबी डिविलियर्स की दक्षिण अफ्रीकी टीम ने अभी तक एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती है। दबाव के आगे घुटने टेकने के लिए बदनाम दक्षिण अफ्रीका इस बार चोकर्स का दाग धोना चाहेगी। वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड छुपे रुस्तम साबित हो सकते हैं। कैरेबियाई टीम जरूर चाहेगी कि क्रिस गेल आईपीएल फार्म में रहें जिसके दम पर उन्होंने राष्ट्रीय टीम में वापसी की। कैरेबियाई टीम संघर्षरत थी, लेकिन जब से गेल ने वापसी की है टीम ने पिछले कुछ महीनों में अच्छे नतीजे दिए हैं। न्यूजीलैंड के पास डेनियल विटोरी जैसे स्पिनर हैं जिसे पिच से मदद मिलेगी। अफगानिस्तान, आयरलैंड के अलावा जिम्बाब्वे भी अच्छा प्रदर्शन देंगे। अब बात करते हैं टीम इंडिया की। भारतीय टीम 2007 में उद्घाटन टूर्नामेंट जीतने के बाद से उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। बेशक उनके पास अच्छे बल्लेबाज हैं जो एक अच्छा स्कोर बोर्ड पर टांग सकते हैं पर हमारी बालिंग में भी तो इतना दम हो कि हम विरोधी टीम को रन चेस में थाम सकें। अभ्यास मैच में जिस तरीके से पाकिस्तानी बल्लेबाजों ने रन चेस किया और हम उन्हें अतिरिक्त रन देने से रोक नहीं सके जो दो टीमों के बीच हार-जीत का अन्तर पैदा करती है। युवराज सिंह का टीम में लौटना भारतीय क्रिकेट के लिए शुभ संकेत है। युवी वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्राड की छह गेंदों में छह छक्के लगाकर मैच का रुख पलट दिया। ब्राड अब इंग्लैंड टीम के कप्तान हैं। भारत को ग्रुप `ए' स्टेज में ही इंग्लैंड से भिड़ना है और यहां देखना रोचक होगा कि इस बार ब्राड के पास मुस्कराने का मौका होगा या फिर युवराज उनकी गेंदों पर छक्के उड़ाएंगे? इस बार टूर्नामेंट में मुकाबला बराबरी का है। कोई भी दावेदार नहीं है और किसी खास दिन किए गए टीम का प्रदर्शन ही महत्व रखता है नाकि उनकी प्रतिष्ठा या पेपर पर दावेदारी।

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