Thursday 13 September 2012

असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी शासकों की बढ़ती असहनशीलता का उदाहरण


 Published on 13 September, 2012

 अनिल नरेन्द्र

क्या हमारी सरकार फासिज्म की ओर बढ़ रही है? अब वह किसी पकार की आलोचना को बर्दाश्त करने के मूड में नहां। हमारे देश में कब तक कोई किताब, चित्र, कहानी, कविता या कार्टून को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय शैक्षिक  अनुसंधान एवं पशिक्षण परिषद यानि एनसीई&आरटी की पाठ्य पुस्तक में डा. भीमराव अम्बेडकर को लेकर 65 साल पहले छपे एक कार्टून को दलितों की भावना आहत करने वाला करार दिया गया और भारी विरोध के चलते उसको किताब से हटाना पड़ा। इस घटना के थोड़े समय बाद ही पश्चिम बंगाल में एक पोफेसर के बनाए कार्टून से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इतनी खफा हुईं कि बनाने वाले कार्टूनिस्ट को जेल की हवा खानी पड़ी। अब कानपुर के एक कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के बनाए कुछ कार्टूनों को संविधान का मखौल उड़ाने वाला मानते हुए मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने एक स्थानीय वकील की शिकायत पर त्रिवेदी को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर उसकी वेबसाइट कार्टून अगेंस्ट करप्शन डॉट कॉम पर पतिबंध लगा दिया। असीम त्रिवेदी कौन हैं और उनको क्यों अपराधी बनाया गया? असीम त्रिवेदी एक कार्टूनिस्ट हैं। वे पिछले एक साल से टीम अन्ना की इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़े हैं। मुंबई में हुए अन्ना आंदोलन के दौरान भी असीम के कई कार्टून पिछले साल एमएमआरडीए मैदान पर लगाए गए थे। उन्हीं में से एक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। विवादित कार्टून में अशोक चिन्ह में शेर की जगह भेड़िया बनाया गया है और सत्यमेव जयते के बदले भ्रष्टमेव जयते लिखा है। असीम के खिलाफ देशद्रोह आरपीआई के सदस्य अमित कटरनायी ने शिकायत दर्ज कराई थी। मुंबई पुलिस ने असीम के खिलाफ धारा 124 (राजद्रोह), आईटी एक्ट की धारा 66ए और राष्ट्रीय पतीक कानून की धारा 2 के तहत केस दर्ज किया है। कार्टूनिस्ट त्रिवेदी ने जमानत लेने से मना कर दिया है और पुलिस अब पूछताछ नहीं करना चाहती। आखिरकार कोर्ट ने सोमवार को असीम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। त्रिवेदी की गिरफ्तारी का हर स्तर पर विरोध हो रहा है और होना भी चाहिए। त्रिवेदी की गिरफ्तारी को एक गम्भीर अपराध करार देते हुए भारतीय पेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने भी कहा कि इस घटना के पीछे जो राजनीतिज्ञ और पुलिसकर्मी शामिल हैं उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए। असीम की गिरफ्तारी से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि हमारे राजनेताओं में हास्यबोध की कमी ही नहीं बल्कि नितांत अभाव है। इतना ही नहीं, इनमें इस सामान्य समझ का भी अभाव है कि कार्टून एक ऐसी विधा है जिसमें किसी की तारीफ नहीं की जाती बल्कि विरोध या कटाक्ष किया जाता है। लेकिन हमारे शासकों ने व्यंग्य और विरोध की इस कला को विद्रोह की और यहां तक देशद्रोह की कला मान लिया है। भाजपा ने सोमवार को कहा कि असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी और पधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना करने वाले लेखों के विरुद्ध कार्रवाई आदि ऐसी भयावह घटनाएं हैं जो अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति का आभास दे रही हैं। पार्टी पवक्ता शाहनवाज हुसैन ने सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा `माना कि आपके पास ताकत है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी आलोचनाएं होने पर अघोषित आपातकाल लगा दें।` उन्होंने कहा कि पधानमंत्री की नीतियों और नाकामियों का जिक करने वाले लेख के लिए वाशिंगटन पोस्ट पर माफी मांगने का दवाब बनाना और भ्रष्टाचार के विरोध में कार्टून बनाने वाले असीम त्रिवेदी को जेल में बंद कर देना और हाल के कुछ घटनाकम हैं जो संकेत दे रहे हैं कि यह सरकार देश में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरा बन गई है। कानूनी जानकारों के मुताबिक असीम पर देशद्रोह का केस बनता ही नहीं। पुलिस जब इस मामले में छानबीन के बाद अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी तो पुलिस के लिए यह आरोप साबित करना खासा मुश्किल हो जाएगा। सुपीम कोर्ट के जाने-माने वकील केपी तुलसी ने कहा कि कार्टूनिस्ट ने कार्टून के जरिए अपने अंदर का गुस्सा निकाला है, किसी आदमी के अंदर अगर इस कदर गुस्सा है तो इससे यह बात साबित होती है कि वह देश से प्यार करता है न कि देशद्रोही है।

 



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