Wednesday 5 September 2012

मयूर विहार कांड का जिम्मेदार कौन है?

 
 Published on 5 September, 2012

अनिल नरेन्द्र

दिल्ली एक ज्वालामुखी की तरह बन गया है जो किसी भी समय फट सकता है। हमने रविवार को देखा कि किस तरह एक छोटी-सी चिंगारी आग में  बदल गई। हर किसी की जुबां पर बस एक ही सवाल ः आखिर अचानक क्यों इतनी भयंकर आग भड़की मयूर विहार फेज-3 पर? मयूर विहार फेज-3 स्थित खोड़ा चौकी के पास रविवार शाम एक सिपाही द्वारा मोटरसाइकिल सवार को रोकने का इशारा किया लेकिन रुकने की बजाय युवक आगे बढ़ गया। आरोप है कि इसी बीच एक पुलिस वाले ने डंडा चला दिया जिससे युवक मोटरसाइकिल समेत गिर पड़ा और बुरी तरह जख्मी हो गया। लेकिन घटना की खबर इस तरह फैली कि लड़के की मौत हो गई। हालांकि पुलिस के मुताबिक बाइक सवार फिलहाल अस्पताल में भर्ती है, जहां उसका इलाज चल रहा है। सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर तोड़फोड़, पथराव व आगजनी की। उपद्रवियों पर नियंत्रण पाने की कोशिश में पुलिस ने गोली चला दी। चार लोगों को गोली लगी जिनमें से एक की लाल बहादुर शास्त्राr अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत की सूचना के बाद उपद्रवी और हिंसक हो गए। खोड़ा पुलिस चौकी पूंक दी व पुलिस की दो मोटरसाइकिल, बस समेत करीब दर्जनभर वाहनों को आग लगा दी। रात करीब 11 बजे उपद्रवियों ने सीएनजी पम्प व पेट्रोल पम्प में भी आग लगाने की कोशिश की। हालात को काबू करने के लिए पुलिस को दर्जनों आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े। दोनों तरफ से घंटों पथराव हुआ। इस पथराव में 17 पुलिसकर्मी समेत दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। घटना शाम करीब साढ़े सात बजे की है। मोटरसाइकिल सवार दो युवक खोड़ा चौकी के सामने से गुजर रहे थे। मोटरसाइकिल चला रहे युवक ने तो हेल्मेट पहन रखा था, मगर पीछे बैठे युवक ने हेल्मेट नहीं पहना था। पिकेट पर तैनात पुलिसकर्मियों ने चैकिंग के लिए मोटरसाइकिल सवार को रोकने का इशारा किया। इस पर युवक ने मोटरसाइकिल रोक तो दी पर जल्दी होने की बात कहकर बिना चैकिंग कराए आगे बढ़ने लगा। इस पर सिपाही ने गुस्से में आकर डंडा मारकर दोनों को गिरा दिया। बस यहीं से शुरू हुआ बवाल। देर रात पुलिस कमिश्नर लॉ एण्ड ऑर्डर धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि मोटरसाइकिल सवार का नाम है कमरुद्दीन। वह खोड़ा से दिल्ली की तरफ जा रहा था। उसने अत्याधिक शराब पी रखी थी। पुलिसकर्मी ने जब उसे रोका तो वह खुद ही गिर पड़ा। उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसकी हालत ठीक है। घटना के बाद खोड़ा में अफवाह फैला दी गई कि पुलिस की पिटाई से कमरुद्दीन की मौत हो गई है, जिस कारण वहां के लोगों में गुस्सा फूट पड़ा। दरअसल इस घटना से पूर्व खोड़ा  में दो पक्षों के बीच झगड़ा हो गया था, जिससे बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हो गए थे, जिससे हालात बेकाबू हो गए। उनका कहना था कि हालात को देखते हुए उन्होंने तुरन्त यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एण्ड ऑर्डर से बात की और खोड़ा में कर्फ्यू लगाने की जरूरत बताई गई। मगर रात एक बजे तक यूपी पुलिस का कोई भी अधिकारी वहां नहीं पहुंचा। पुलिस ने सोमवार को दावा किया कि अब स्थिति नियंत्रण में है। इस सिलसिले में गाजीपुर और मयूर विहार फेज-3 के तहत आने वाले न्यू अशोक नगर में दो मामले दर्ज किए गए हैं। मामले दंगा, आगजनी, हत्या की कोशिश इत्यादि के हैं। 22 लोगों को हिरासत में लिया गया है। दिल्ली का मयूर विहार फेज-3 दिल्ली क्षेत्र में आता है जबकि खोड़ा कॉलोनी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के तहत आती है। दिल्ली पुलिस का जो चित्रण अमूमन पेश किया जाता है, उसमें पुलिस मजबूर दिखती है, जिस कारण वो कहीं सख्ती दिखाती है, तो पॉलिटिकल प्रेशर उन पर इतना जबरदस्त होता है कि वो अपराधी को अपराधी मानते हुए भी कुछ नहीं कर सकती। देश का सारा सिस्टम बद से बदतर होता जा रहा है। इसके लिए पूरी तरह से मौजूदा पॉलिटिकल सिस्टम जिम्मेदार है। वोट बैंक की आकांक्षा के चलते आज एक वर्ग समुदाय को इतनी छूट मिली है कि वो माई-बापों की अनुकम्पा से पुलिस और प्रशासन का खुलेआम चीरहरण करती है और देश के मजबूत दिल्ली पुलिस के जवानों को नपुंसक की तरह खड़ा देख हंसते हैं। पुलिसकर्मी चाहते हुए भी एक्शन करने से कतराते हैं क्योंकि उनके अधिकारी सख्ती से बचते हैं। मयूर विहार फेज-3 के तांडव के पीछे सभ्य समाज के सभ्य लोग नहीं हैं बल्कि वे असामाजिक तत्व हैं जो वर्ग विशेष होने के कारण अपने आपको कानून से ऊपर समझते हैं। आप दिल्ली की सड़कों पर देख सकते हैं कि इस वर्ग विशेष के कितने दुपहिया सवार हेल्मेट पहनते हैं और पुलिस की मजाल है कि उन्हें रोककर चालान कर सके। रविवार का कांड भी रोकने से ही शुरू हुआ।

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