Saturday 15 September 2012

राहुल गांधी की काबलियत व नेतृत्व क्षमता पर उठे सवाल


 Published on 15 September, 2012

अनिल नरेन्द्र


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को नकारा कहने वाले पश्चिमी अखबार अब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की काबलियत पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। प्रसिद्ध अखबार द इकॉनमिस्ट ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की काबलियत पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि कुछ साल पहले राहुल ने बयान दिया था कि जब भी वह युवाओं से मिलते हैं तो एक ही सवाल पूछते हैं, बड़े होकर क्या बनना चाहते हो लेकिन पत्रिका ने अपने लेख में इस बात पर ही सवाल उठा दिया है कि राहुल को खुद नहीं मालूम कि वह क्या बनना चाहते हैं और क्यों बनना चाहते हैं? लेख में राहुल की शख्सियत पर सवाल उठाते हुए उन्हें कन्फ्यूज्ड एवं नॉन सीरियस बताया है। द राहुल प्रॉब्लम टाइटल से प्रकाशित इस लेख में सवाल किया गया है कि राहुल गांधी का नजरिया आखिर क्या है? लेख में सवाल उठाया गया है कि राहुल गांधी क्या करने की काबलियत रखते हैं, यह बात कोई नेता नहीं जानता। यहां तक कि राहुल को खुद भी नहीं मालूम है। हर कोई राहुल गांधी को प्रमोट करने पर लगा है। उन्हें अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का उत्तराधिकारी माना जाता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वह 2014 का चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले ही वह अपनी योग्यता की झलक दिखाएं। राज्यों में हुए चुनावों में भी राहुल ने प्रचार का जिम्मा सम्भाला लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं रहा। समस्या यह है कि न तो राहुल में अभी तक उच्च नेतृत्व की झलक दिखी है न ही उनमें अपने काम को लेकर दीवानगी देखने को मिली है। लेख में कहा गया है कि अन्ना हजारे के अनशन के दौरान जब मां सोनिया गांधी विदेश में थीं तब राहुल के पास खुद को साबित करने का मौका था लेकिन वह खामोश होकर कहीं छिपे रहे। संसद में वह इस मुद्दे पर बोले लेकिन इसमें भी वह गलत सलाह देते नजर आए। उधर कोलकाता में समाजवादी पार्टी ने केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार को दिशाहीन करार देने के बाद कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर निशाना साधा है। कोलकाता में सपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पेश राजनीतिक व आर्थिक प्रस्ताव पर पत्रकारों से बातचीत करने आए पार्टी महासचिव मोहन सिंह ने कहा कि राहुल गांधी में नेतृत्व करने की क्षमता ही नहीं है और केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के समुद्र में डुबकी लगा रही है। राहुल गांधी को घेरते हुए मोहन सिंह ने कहा कि देशभर की पत्र-पत्रिकाओं व राजनीतिक विश्लेषकों का आकलन है कि राहुल गांधी राष्ट्रव्यापी व जनहित से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने में अक्षम रहते हैं और वैसे भी देश के किसी भी मुद्दे या समस्या पर बोलते हुए नजर नहीं आते। जनता से जुड़े किसी भी मसले को अंजाम तक नहीं पहुंचाते हैं तो देश की कमान कैसे सम्भाल सकते हैं? पिछले दो वर्षों में राहुल गांधी लोकसभा में चुप्पी साधे बैठे रहे जबकि कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि गत दो वर्षों में हमें एक भी मौका नहीं मिला जब हम यह सुन पाते कि कई समस्याओं का सामना कर रहे देश से जुड़े संवेदनशील मसले पर राहुल ने संसद में अपना विश्लेषण रखा हो। जब किसी ने उन्हें बोलते हुए सुना ही नहीं तो कोई यह कैसे कह सकता है कि उनके हाथों में देश सुरक्षित है। भाजपा तो हमेशा ऐसे मौकों की तलाश में रहती है, वह भला कैसे पीछे रह सकती थी? भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि महंगाई हो या भ्रष्टाचार का मुद्दा या फिर कोयला ब्लॉक आवंटन पर चल रहा विवाद रहा हो हमने राहुल को बोलते नहीं सुना। यहां तक कि उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर कुछ भी नहीं कहा जिसमें पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा को जेल जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन का मुद्दा लगभग एक महीने से चल रहा है लेकिन राहुल ने चुप रहना ही मुनासिब समझा। राहुल ब्रांड हमें तो कहीं नजर नहीं आया। कांग्रेस में राहुल की बड़ी भूमिका में आने के संबंध में पूछे गए एक सवाल में रुडी ने कहा, जब 42 साल में कोई फिट नहीं बैठ रहा है तो कैसे कहा जाए कि 52 साल में वह फिट बैठेगा? कोई यह कह सकता है कि फैसला कांग्रेस को ही करना है। जब उनसे पूछा गया कि वह कैसी फिटनेस की बात कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया, राजनीतिक, प्रशासनिक और मानसिक। खबर है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन इस मुकाबले में पार्टी महासचिव राहुल गांधी को आगे नहीं करेगी। उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों की सियासी वास्तविकता के मद्देनजर कांग्रेस ने भी मोदी बनाम राहुल की बहस को खारिज कर दिया है। कुल मिलाकर राहुल गांधी की काबलियत से लेकर राजनीतिक सूझबूझ, राजनीति में दिलचस्पी सभी तरह के प्रश्न उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस यह कह सकती है कि हमें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है पर जो प्रश्न उठाए जा रहे हैं उनके जवाब व आत्मनिरीक्षण कांग्रेस पार्टी को करना ही होगा।


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