Tuesday 18 September 2012

जापान और चीन के बीच पूर्वी चीन सागर द्वीपों को लेकर गरमाया विवाद


 Published on 18 September, 2012  
 अनिल नरेन्द्र
चीन और जापान के बीच पूर्वी चीन सागर के द्वीपों को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। चीन ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने छह निगरानी जलयान विवादित इलाके में भेजे हैं। जापान ने भी इसकी पुष्टि की और चीनी जलयानों को इलाका छोड़ने की चेतावनी दी। पूर्वी चीन सागर के इन द्वीप को चीन में दियाओयू जबकि जापान में सेनकाबू कहा जाता है। झगड़ा क्या है? पूर्वी चीन सागर में झगड़ा पांच द्वीपों व तीन बैटन रॉक को लेकर है। इन द्वीपों का 4200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल है। तीनों देश जापान, चीन और ताइवान इन पर अपनी मलकीयत जताते हैं। इन द्वीपों के आसपास के समुद्री क्षेत्र में मछलियों के बड़े भंडार हैं। 1968 में किए एक अध्ययन में यहां तेल के भंडार होने के भी सबूत मिले थे। यह विवाद नया नहीं है। सौ साल से भी ज्यादा  पुराना है यह विवाद। 1895 में चीन से युद्ध के दौरान जापान ने इन द्वीपों को ओकिनावा प्रांत से जोड़ लिया था। 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब जापान हार गया तो इन पर अमेरिका का कब्जा हो गया। 1971 में अमेरिका में चीन ने आधिकारिक रूप से इन द्वीपों पर अपना दावा पेश कर दिया। 1972 में अमेरिका ने इन द्वीपों का अधिकार फिर से जापान को सौंप दिया। जापान अकेला देश नहीं जिससे चीन का इस क्षेत्र में विवाद है। दक्षिण चीन सागर में स्वामित्व पर भी चीन के साथ वियतनाम, ब्रुनई आदि देशों का विवाद चल रहा है। इसमें भारतीय कम्पनी को तेल खनन के वियतनाम से मिले ठेके पर भी बीजिंग एतराज जता चुका है। चीन के गश्ती पोत शुक्रवार को दियाओयू द्वीप के आसपास पहुंच गए हैं और पोतों ने गश्त तथा कानून परिवर्तन का अपना काम शुरू कर दिया है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार बीजिंग द्वारा दियाओयू द्वीपों व उससे लगे टापुओं के समुद्री क्षेत्र के आधार बिन्दुओं व आधार रेखाओं की सोमवार को घोषणा किए जाने के बाद चीनी गश्ती पोत पहली बार इस इलाके में पहुंचा है। सरकार द्वारा जारी एक बयान के अनुसार कानून परिवर्तन व गश्त की ये गतिविधियां दियाओयू द्वीपों पर चीन का अधिकार क्षेत्र जताने तथा देश के समुद्री हितों को सुनिश्चित करने को लक्षित है। यह द्वीप समूह पोत परिवहन के एक महत्वपूर्ण मार्ग पर पड़ता है और यहां हाइड्रोकार्बन का विशाल भंडार भी है। चीन के जलयान भेजने के दावे की पुष्टि जापान ने भी की है, साथ ही जापान ने इन जलयानों को इलाके से बाहर चले जाने का आदेश दिया है। जापान के तटरक्षक बल ने शुक्रवार को बताया कि चीनी जलयानों को जापानी जलसीमा से बाहर निकलने को कहा गया है। चेतावनी के बाद चीन के तीन जलयान बाहर चले गए हैं पर तीन अब भी विवादित इलाके में डटे हुए हैं। उधर चीन के मीडिया और चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के उप-प्रमुख क्यू. काराह ने सैनिकों को हर समय युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है। क्यू ने यह टिप्पणी गुरुवार को शम्सी प्रांत में सैन्य इकाई निरीक्षण के दौरान की। चीनी मीडिया ने भी जापान के खिलाफ जमकर हल्ला बोल दिया है। मीडिया ने कहा कि जापान को सबक सिखाने की जरूरत है। जापान ने मंगलवार को इन्हें (द्वीपों को) खरीद लिया था। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने अपने सम्पादकीय में लिखा है, `चीन अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ अच्छे संबंध बनाने में जुटा है लेकिन जापान ने पिछले कुछ सालों में चीन के लिए कई मुश्किलें खड़ी की हैं।' सम्पादकीय में यह भी कहा गया कि अमेरिका और रूस ने जापान के साथ जो किया वह चीन नहीं दोहरा सकता। लेकिन उसे सबक सिखाना जरूरी है।

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