Published on 21 September, 2012
अन्ना हजारे ने साफ कर दिया है कि वह राजनीतिक दल का गठन करने के अपने सहयोगी अरविन्द केजरीवाल के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। अपने गांव रालेगण सिद्धि में अन्ना ने अपने संगठन भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन को सक्रिय करने का जो फैसला किया है उसके बाद इस आंदोलन की दो अलग-अलग दिशाएं तय हो गई हैं। एक ओर अब अरविन्द केजरीवाल हैं जो दो अक्तूबर को एक राजनीतिक पार्टी शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं, दूसरी ओर अन्ना ने अपने पुराने गैर राजनीतिक संगठन को फिर से सक्रिय करके राजनीति से दूर रहने का साफ संकेत दे दिया है। भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन अन्ना हजारे का पुराना संगठन है, जिसके तहत उन्होंने महाराष्ट्र में कई आंदोलन किए थे। अन्ना ने मंगलवार को कहा कि केजरीवाल के पार्टी बनाने का मतलब होगा भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने का एक समान लक्ष्य पाने के लिए अलग-अलग रास्ता अपनाना। अन्ना हजारे ने कहा कि मैंने तय किया है कि मैं किसी राजनीतिक दल का गठन नहीं करूंगा और चुनाव भी नहीं लड़ूंगा। अन्ना से पूछा गया था कि क्या केजरीवाल के नई राजनतीकि पार्टी का गठन करने में उन दोनों के बीच दरार आ जाएगी। अभी तक ऐसा नहीं लग रहा था कि अन्ना हजारे राजनीतिक पार्टी के विचार के खिलाफ हैं या वह राजनीति में लिप्त नहीं होना चाहते, लेकिन अब शायद उन्हें लगा हो कि राजनीति की कीचड़ से उनकी छवि को दाग लग सकते हैं। वह अब कह रहे हैं कि वह राजनीति से दूर रहेंगे, पर चुनावों में ईमानदार और स्वतंत्र उम्मीदवारों को समर्थन दे सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चे में सिर्प यही दरार नहीं है। अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी के बीच भी मतभेद सामने आ गए हैं। इसके अलावा अन्ना की टीम के प्रमुख सदस्य भी अपनी-अपनी राह पकड़ सकते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार विरोध के अलावा अन्य मुद्दों पर उनकी राय अलग-अलग नजर आ रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अन्ना हजारे एक नेक नीयत, ईमानदार और मेहनती व्यक्ति हैं, लेकिन तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर उनका कोई व्यापक नजरिया नहीं है। दूसरी ओर अरविन्द केजरीवाल एक बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी व्यक्ति हैं जो आमतौर पर लेफ्ट की भाषा बोलते हैं। हाल ही में उन्होंने एक सर्वेक्षण कराया। इंडिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा किए गए सर्वे में निष्कर्ष निकला कि 7,37,041 लोगों में से 5,61,701 ने एक राजनीतिक पार्टी बनाने का समर्थन किया। सर्वे में 76 फीसदी ने पार्टी बनाने और 24 फीसदी ने विरोध में राय दी है। पुणे में सामाजिक कार्यकर्ताओं से बैठक के बाद अन्ना शाम को नई दिल्ली पहुंचे। उन्होंने कहा कि जो लोग चुनाव नहीं लड़ना चाहते उन्हें एक बड़ा आंदोलन खड़ा करना होगा। पिछले साल अगस्त के रामलीला मैदान आंदोलन से भी बड़ा। अन्ना ने आंदोलन के बदलते रंग को देखते हुए जेपी आंदोलन का भी जिक्र किया। यह भी कहा कि जय प्रकाश नारायण को क्या पता था कि उनके आंदोलन से लालू प्रसाद जैसे नेता निकलेंगे। इस बात की क्या गारंटी है कि हमारे पास ऐसे लोग नहीं होंगे। उन्होंने कहा, `मेरी अपील तो यह है कि चुनाव मत लड़ो। जो भी लड़ना चाहता है लड़े। आखिर हमारी मंजिल तो एक ही है बेशक रास्ते अलग-अलग।'
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