Friday 7 September 2012

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की गिरती छवि


 Published on 7 September, 2012

अनिल नरेन्द्र

किसी जमाने में अमेरिका के सबसे ज्यादा चहेतों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हुआ करते थे। अमेरिकन मीडिया मनमोहन सिंह का गुणगान करता थकता नहीं था। आज वही अमेरिकी मीडिया प्रधानमंत्री को भ्रष्ट सरकार का बेअसर मुखिया बता रहा है। अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वाशिंटन पोस्ट ने डॉ. मनमोहन सिंह पर जबरदस्त निशाना साधा है। अखबार ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह बेहद भ्रष्ट सरकार के मुखिया हैं। इस दौर में आर्थिक सुधारों का कामकाज ठप है। इसी से देश में लगातार विकास दर में गिरावट दर्ज हो रही है। ऐसे में भारत कभी सुपर पावर बनने का सपना भी नहीं देख सकता।  हैरानी की बात है कि अमेरिकी नीतियों के धुर पैरवीकार माने जाने वाले मनमोहन सिंह के खिलाफ अमेरिका के मीडिया ने एक दम यू-टर्न ले लिया है। जबकि अमेरिका के मीडिया विशेषज्ञ मनमोहन को भारत का लगातार तारणहार बताते रहे हैं। पिछले दिनों अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम ने अपने कवर पर मनमोहन की फोटो छापी थी। पत्रिका की कवर स्टोरी में हैडिंग दी गई थी `अंडर अचीवर लीडर' यानि फिसड्डी नेता। टाइम की इस कवर स्टोरी को लेकर भारत में काफी तीखी प्रतिक्रिया  हुई थी। सरकार के कई मंत्रियों ने कहा था कि उन्हें अमेरिका के मीडिया से प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। कोयला आवंटन ब्लॉक मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आज भारत की किरकिरी हो रही है। अंदरुनी खींचतान के चलते ही अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की नजर में मनमोहन सरकार की साख गिरी है और गिरती जा रही है। वाशिंगटन पोस्ट ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को भ्रष्ट करार देते हुए उन्हें इसका निप्रभावी व अनिर्णय की स्थिति वाला अगुवा करार दिया। समाचार पत्र ने `मायूस छवि के बन गए हैं भारत के मौन प्रधानमंत्री' शीर्षक से प्रकाशित लेख में लिखा है कि मनमोहन सिंह भारत को आधुनिकता, समृद्धि तथा शक्ति के रास्ते पर ले गए, लेकिन आलोचकों का कहना है कि संकोची, मृदभाषी 79 वर्षीय मनमोहन विफलता की ओर बढ़ रहे हैं। समाचार पत्र में लिखा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के वास्तुकार मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वह दुनिया में सम्मानित व्यक्ति हैं। लेकिन सम्मान विनम्र तथा बौद्धिक टेक्नोकेट के रूप में उनकी छवि धीरे-धीरे कमजोर होती गई और आज यह भ्रष्टाचार में गहरे डूबी सरकार के निप्रभावी मुखिया के रूप में नजर आ रहे हैं। गौर हो कि इससे पहले भी अमेरिका की एक प्रसिद्ध मैगजीन `टाइम' और ब्रिटेन के अखबार `द इंडिपेंडेंट' भी  प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर सवालिया निशान लगा चुके हैं। ब्रिटेन के अखबार ने मनमोहन सिंह का मजाक उड़ाते हुए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष की कठपुतली तक करार दे दिया था। जिसमें कहा गया था कि पीएम की कुर्सी पर वो सिर्प सोनिया गांधी की वजह से बैठे हैं। यह सच्चाई किसी से छिपी नहीं है कि मनमोहन सिंह ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो अपनी सरकार के बारे में कोई महत्वपूर्ण फैसला नहीं कर पाते। पूरा देश जानता है कि सरकार सात रेस कोर्स से नहीं दस जनपथ से चलाई जा रही है। ये बातें पूरी दुनिया को मालूम हैं। ऐसे में कोई अखबार मनमोहन को बेअसर प्रधानमंत्री कहे तो इसमें नागवार होने की क्या बात है?


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