Friday 21 September 2012

देश में बढ़ते बलात्कार और वारदातें ः 2012 में 29.27 फीसद वृद्धि


 Published on 21 September, 2012
 अनिल नरेन्द्र
देश में और खासकर राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए भले ही सरकार द्वारा कितने ही इंतजामात किए गए हों लेकिन इन दावों की हवा राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों ने खोखली साबित कर दी है। ब्यूरो के रिकार्ड चौंकाने वाले हैं। इसके मुताबिक बलात्कार जैसा जघन्य अपराध साल 2012 में 29.27 फीसदी दर के साथ आगे बढ़ रहा है। रिकार्ड के मुताबिक रोज लगभग 50 महिलाओं के साथ बलात्कार होता है अर्थात् एक घंटे में दो महिलाओं की इज्जत लुटती है। गौर करने वाली बात यह है कि यह आंकड़े सरकारी रिपोर्ट के आधार पर निर्भर हैं लेकिन बहुत से ऐसे मामले हैं जिनको दबा दिया जाता है। जो बदनामी के डर की वजह से रिपोर्ट ही नहीं होते। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2011 में बलात्कार के कुल 7112 मामले सामने आए, इससे पहले वर्ष 2010 में 5484 मामले दर्ज किए गए थे। बलात्कार के आंकड़ों पर गौर करें तो बलात्कार के मामलों में 29.27 फीसदी इजाफा हुआ है। बलात्कार के मामलों में मध्य प्रदेश राज्य प्रथम स्थान पर रहा जहां एक साल में 1262 मामले दर्ज हुए। दूसरे स्थान पर 1088 मामलों में उत्तर प्रदेश है जबकि 818 मामलों के साथ महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक शहरों में दिल्ली बलात्कार के मामले में अव्वल है। पिछले कुछ दिनों में ही यहां पर बलात्कार के कई मामले दर्ज किए गए हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई दूसरे जबकि भोपाल तीसरे स्थान पर है। इस मामले में पुणे चौथे स्थान पर है जबकि गुलाबी नगरी जयपुर पांचवें स्थान पर काबिज है। आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में वर्ष 2011 में बलात्कार के 568 मामले, मुंबई में 218 मामले दर्ज हुए। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन के मुताबिक, भारत में हर 54वें मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार किया जाता है। इस बीच राजधानी दिल्ली में साल 2011 के मुकाबले वर्ष 2012 में आपराधिक मामलों में भी काफी इजाफा हुआ है। हत्या, हत्या के प्रयास, फिरौती मांगने वाले अपराधों में भी वृद्धि दर्ज की गई है। रोड पर हो रहीं वारदातों को भी नहीं रोका जा सका। पुलिस का कहना है कि हर घर की सुरक्षा नहीं की जा सकती, लेकिन हाल में हुई वारदातों को तो अपराधियों ने सड़कों पर ही अंजाम दिया। दिन-दहाड़े सड़कों पर हो रहीं वारदातों को क्यों नहीं रोका जा सकता? गौरतलब है कि अपराधी अपराध करने के बाद भागने में क्यों सफल हो जाते हैं? क्यों नहीं उन्हें कहीं भी रोका जा सका? उदाहरण के तौर पर राजधानी दिल्ली के बिन्दापुर में एक सनकी आशिक ने पहले दो लोगों की हत्या की उसके बाद वो मोटर साइकिल पर सवार होकर बेखौफ गाजियाबाद की तरफ भागा, इस दौरान उसे कहीं भी रोकने की कोशिश नहीं की गई। दिल्ली पुलिस के जवान सड़कों पर बैरिकेटिंग कर वाहनों की जांच करते हैं, लेकिन सनकी रवि बेखौफ दिल्ली से गाजियाबाद गया और वहां भी दो लोगों की हत्या कर दी। इसी सिलसिले में राजधानी के स्वरूप नगर इलाके में सात सितम्बर 2012 को कुछ देर तक गोलियों की आवाज गूंजी और फिर मौत का सन्नाटा पसर गया। दो सनकी आशिकों ने अपनी ही प्रेमिकाओं को अपने हाथों से गोली मार दी। इन वारदातों से साफ है कि दिल्ली में सड़कों पर बदमाश आसानी से वारदात करते हैं और फिर भाग जाते हैं।

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