Published on 29 September, 2012
अनिल नरेन्द्र
राजधानी में अवैध बांग्लादेशियों की बाढ़ पहले से ही नाक में दम किए हुई है और अब नक्सली संगठनों की सक्रियता किसी अशुभ संकेत से कम नहीं है। पुलिस की मानें तो उपचार कराने व छिपने के मकसद से नक्सली राजधानी का रुख तो कर ही रहे हैं बल्कि अपनी गतिविधियों के लिए धन व अन्य संसाधन जुटाने, आम सभाएं करने हेतु भी यहां सक्रिय हो रहे हैं। यह बेहद चिन्ताजनक है। हाल ही में गृह मंत्रालय ने माना था कि राजधानी के सात जिलों, नई दिल्ली जिला, मध्य जिला, दक्षिण जिला, दक्षिण-पश्चिमी, उत्तरी, उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम जिलों में नक्सली गतिविधियों में वृद्धि हुई है। नक्सलियों की धरपकड़ में एक बड़ी समस्या उनकी पहचान को लेकर है। कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर पूर्वोत्तर के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं। इनके बीच प्रतिबंधित संगठनों का कौन-सा सदस्य मौजूद है, पता लगाना बेहद मुश्किल है। एक अधिकारी तो यहां तक कहते हैं कि स्थिति काफी विस्फोटक है। देश के तमाम राज्यों में सक्रिय नक्सली संगठन राजधानी को सुरक्षित ठिकाने के तौर पर प्रयोग में ला रहे हैं। बड़े पैमाने पर नक्सली यहां मौजूद हैं। जहां तक गिरफ्तारी की बात है तो अधिकतर वही लोग पकड़े जाते हैं जिनके बारे में संबंधित राज्यों की पुलिस या खुफिया एजेंसियों से सूचना मिलती है। हर नक्सली के विषय में संबंधित एजेंसियों को जानकारी हो, यह भी सम्भव नहीं है। गत वर्ष राजधानी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के विदेश मामलों के प्रमुख एन. दिलीप सिंह उर्प बाम्बा की गिरफ्तारी से तमाम चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। यह नक्सली संगठन न सिर्प देश के तमाम नक्सली संगठनों को एक मंच पर लाने की मुहिम में जुटा था बल्कि भारत सरकार के साथ मुकाबला करने के लिए जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठनों से हाथ मिलाने के मंसूबे भी पाल रहा था। खुलासा हुआ कि झारखंड में सीपीआई माओइस्ट के सदस्यों को इस ग्रुप ने हथियारों की ट्रेनिंग भी दी थी। एन. दिलीप सिंह के तार म्यांमार तक फैले थे। स्पेशल सेल ने नौ नक्सलियों को पकड़ा था। इनमें कांगलेईपारु कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों का इरादा राजधानी में ड्रग्स की खेप मणिपुर ले जाकर उसे म्यांमार के रास्ते हांगकांग व चीन भेजकर सरकार विरोधी गतिविधियों के लिए धन जुटाना था। इनके कब्जे से पुलिस ने करीब 1200 किलोग्राम एफेड्रिन नामक ड्रग्स की बरामदगी की थी। कटवारिया सराय से छत्तीसगढ़ की नक्सली महिला सोनी की गिरफ्तारी से सामने आया था कि किस प्रकार पुलिस का दबाव बढ़ने पर नक्सली छिपने के लिए राजधानी आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस इस समस्या से जागरूक है। खुफिया एजेंसियों के साथ निरन्तर नक्सलियों से संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है। स्पेशल सेल भी इस दिशा में सजग है। ऐसे सभी इलाकों पर पुलिस की पैनी नजर है जहां नक्सलियों के शरण लेने का शक है। दिल्ली पुलिस को अभी तक अवैध बांग्लादेशियों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी पड़ती थी अब यह नक्सली नई समस्या खड़ी होती जा रही है और यह नक्सली तो खालिस हिंसा में विश्वास करते हैं इसलिए यह और भी ज्यादा खतरनाक हैं।
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