Tuesday 11 September 2012

कोयले की कालिख में फंसती जा रही है कांग्रेस


 Published on 11 September, 2012

अनिल नरेन्द्र
कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में अब घोटाले की  परतें खुलती जा रही हैं। कांग्रेस ने सोचा था कि भाजपा को वह घेरकर घोटाले की धार को उसकी ओर घुमा देगी और अपने को इसकी आंच से बचा लेगी पर सीबीआई ने जिस ढंग से कार्यवाही शुरू की है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस और इस संप्रग सरकार की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। राजग सरकार और भाजपा शासित प्रदेशों में उनके अपने लोगों को लाभ मिलने की बात कांग्रेसी जोर-शोर से कर रहे थे। भाजपा अध्यक्ष के एक करीबी सांसद का भी नाम उछाला गया। लेकिन जो नाम खुलकर सामने आ रहे हैं वे ज्यादातर कांग्रेसियों और उनके सहयोगियों के हैं। मामला अब यह नहीं है कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में सम्भावनाओं पर आकलन किया? इस पर तकनीकी बहस की जा सकती है। मामला तो यह है कि कोयला आवंटन में क्या वास्तव में बड़ा घोटाला हुआ था और हुआ था तो इसमें फायदा किसको पहुंचा? कांग्रेस की ओर से सफाई दे रहे कपिल सिब्बल या सलमान खुर्शीद या दूसरे नेता इस बात से इंकार नहीं कर पा रहे हैं कि इन नेताओं को उनके रिश्तेदारों और उनकी कम्पनियों को आवंटन से अनुचित फायदा पहुंचाया गया। अब तक जो नाम सामने आए हैं उनमें प्रमुख हैं विजय दर्डा (कांग्रेस)। इनकी कम्पनी जेएलडी यवतमाल को छत्तीसगढ़ में नौ करोड़ 90 लाख टन का भंडार आवंटित हुआ। दूसरा नाम जो आ रहा है वह है केंद्रीय मंत्री सुबोध कान्त सहाय का। वह मनमोहन सरकार में पर्यटन मंत्री हैं। उनकी कम्पनी एलकेएस इस्पात को कोयला ब्लॉक नम्बर 3, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 26 करोड़ 30 लाख टन का भंडार आवंटित हुआ। तीसरा नाम राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) केंद्रीय मंत्री रह चुके और लालू प्रसाद यादव के करीबी प्रेम चन्द गुप्ता का है। इनकी कम्पनी आईएसटी एण्ड  पांवरे को कोयला ब्लॉक नम्बर 1 में महाराष्ट्र में सात करोड़ 10 लाख टन का आवंटन हुआ। एक अन्य नाम डीएमके नेता व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एस. जगतरक्षकन का आया है। इनकी कम्पनी जेआर जनरल प्राइवेट लिमिटेड को कोयला ब्लॉक नम्बर एक में उड़ीसा में ब्लॉक आवंटन हुआ। इनको कितना भंडार मिला, यह अभी तक पता नहीं चला। एक और नाम अजय संचेती का है जो एक बिजनेसमैन और नितिन गडकरी के करीबी हैं, का आया है। इनकी कम्पनी एसएमएस इंफ्रास्ट्रक्चर को कोयला ब्लॉक नम्बर एक में छत्तीसगढ़ में भंडार मिला। यह भंडार कितना है यह अभी पता नहीं चला है। एक दस्तावेज के मुताबिक कांग्रेस सांसद नवीन जिन्दल को सारे नियमों को ताक पर रखकर एक कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया। खास बात यह है कि कोल ब्लॉक को पाने की सरकारी नवरत्न कम्पनी कोल इंडिया लिमिटेड ने भरपूर कोशिश की लेकिन उसे मोजांबिक जाने को कह दिया गया। एक अंग्रेजी अखबार दैनिक हिन्दू ने एक सनसनीखेज रहस्योद्घाटन किया है। कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की रोज उधड़ रही परतों में चार मीडिया घरानों के हाथ भी काले नजर आ रहे हैं। अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा है कि कम से कम तीन प्रिन्ट मीडिया और एक इलैक्ट्रॉनिक चैनल को कोयला ब्लॉक आवंटन से लाभ हुआ। जांच से यह रहस्योद्घाटन हुआ है कि इन कम्पनियों ने कोल ब्लॉक हासिल करने के लिए फ्रंट कम्पनियां बनाईं ताकि इसका पर्दाफाश न हो सके कि आवंटन प्रक्रिया में इन मीडिया घरानों को सीधा लाभ मिला। इनमें से एक प्रकाशन ने तो ऊर्जा कम्पनी भी बना डाली और उसी के सहारे उसे कोल ब्लॉक मिला। कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल मामले की जांच सीबीआई कर रही है और सम्भवत प्राथमिकी दर्ज करने के दूसरे चरण में वह आधिकारिक तौर पर शिकायत भी दर्ज कर सकती है। बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया ने तो कोयला मंत्री श्री जयप्रकाश जायसवाल के संसदीय क्षेत्र कानपुर में जाकर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को 9 कोल ब्लॉक आवंटित किए और बाद में इनमें से 6 ब्लॉक कांग्रेस नेताओं को बेच दिए। उन्होंने चार हजार पन्नों के दस्तावेज शुक्रवार को मुंबई में सीबीआई को सौंपे  हैं। जैसा मैंने कहा कि परतें खुलती जा रही हैं और इस हमाम में कई नंगे होंगे।

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