Published on 28 September, 2012
अनिल नरेन्द्र
केंद्र
में `ऑल इज वेल' के अन्दाज में दिखने का प्रयास कर रही कांग्रेस को महाराष्ट्र के सियासी
घटनाक्रम ने फिर झकझोर दिया है। कांग्रेस-राकांपा की साझी सरकार में एक बड़ी दरार पड़
गई है। राकांपा के वरिष्ठ नेता और सूबे के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपने पद से इस्तीफा
दे दिया है। अजीत पवार एनसीपी सुप्रीमो और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के भतीजे
हैं। अजीत पवार के इस्तीफे के दबाव के चलते चाचा शरद पवार को भी अपने गृह राज्य में
कड़ी चुनौती मिलने लगी है। अजीत के इस्तीफा देने के महज 15 मिनट बाद उनके समर्थन में
पार्टी के 20 अन्य मंत्रियों ने भी इस्तीफे की पेशकश कर दी। आखिरकार मुख्यमंत्री पृथ्वीराज
चव्हाण को सफाई देने के लिए आना पड़ा। उन्होंने कहा कि अजीत का इस्तीफा मिला है। लेकिन
फैसला आलाकमान से बातचीत के बाद किया जाएगा। अजीत पवार पर करीब 60 हजार करोड़ रुपए
के सिंचाई घोटाले में शामिल होने का आरोप है। वे 1999 से 2009 तक महाराष्ट्र के जल
संसाधन मंत्री रहे। अजीत ने जनवरी से अगस्त 2009 के बीच 38 सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी
दी। 17,700 करोड़ रुपए के 32 प्रोजेक्ट तीन माह में पास किए गए। जल संसाधन विभाग के
मुख्य इंजीनियर विजय पांढरे ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को एक पत्र लिखा था। इसमें सिंचाई
परियोजनाओं में करीब 60 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया था। अधूरी सिंचाई
परियोजनाओं के बारे में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सवाल उठाया था। उन्होंने कहा
कि 20 वर्षों में महाराष्ट्र की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं पर करीब 70 हजार करोड़ रुपए
खर्च किए गए। लेकिन सिंचाई क्षमता में 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अजीत पवार ने इन
आरोपों का खंडन किया है। महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। इनमें 82 विधायक
कांग्रेस के हैं और 62 विधायक एनसीपी के हैं। भाजपा-शिवसेना के 47 और 45 विधायक हैं
और मनसे के 12 व 10 अन्य हैं। पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र में कांग्रेस और गठबंधन
पार्टनर एनसीपी में तनाव चल रहा है। दूसरी तरफ भतीजे अजीत अपनी पार्टी के प्रमुख चाचा
शरद पवार के रवैये से भी खुश नहीं हैं। वे चाहते हैं कि शरद पवार की राजनीतिक विरासत
उन्हें मिले। लेकिन शरद पवार अपनी सांसद बेटी सुप्रिया सुले को लगातार प्रमोट कर रहे
हैं। सुप्रिया इन दिनों महाराष्ट्र में एक राजनीतिक अभियान भी चला रही हैं। यह बात
भी अजीत पवार को हजम नहीं हो रही। एनसीपी सूत्रों के अनुसार इस मौके पर भतीजे ने एक
तीर से कई शिकार करने का प्रयास किया है। वे कांग्रेस पर दबाव बनाने के साथ राकांपा
में अपना वर्चस्व दिखाना चाहते हैं। उनका दावा है कि उनके साथ करीब 40 विधायक हैं।
साथ-साथ यह शरद पवार को सीधी चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है। लिहाजा पवार को
स्थिति सम्भालने के लिए खुद मैदान में उतरना पड़ रहा है। अजीत पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
पृथ्वीराज चव्हाण को हटाना चाहते हैं। कांग्रेस की कोशिश यह है कि राकांपा में असंतोष
का फायदा उठाकर कांग्रेस में मुख्यमंत्री विरोधी धड़ा सिर न उठाए। गौरतलब है कि राकांपा
के नेताओं के साथ कांग्रेस की भी एक लॉबी लगातार मुख्यमंत्री को बदलने का दबाव बना
रही है। इनका कहना है कि मुख्यमंत्री न तो उनकी सुनते हैं और न ही उनके इलाकों में
कोई कामकाज हो पा रहा है। जूनियर पवार का नया दांव कांग्रेस पर दबाव बनाकर मुख्यमंत्री
बदलवाने का प्रयास भी करना है। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से उनका शुरू से ही छत्तीस
का आंकड़ा है। अजीत पवार का यह भी मानना है कि ताजा सिंचाई घोटाले को उजागर करने में
भी मुख्यमंत्री का हाथ है और वह लगातार राकांपा के घोटालों को उखाड़ने में लगे हैं।
यदि एनसीपी का यही रवैया रहा तो महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार मुश्किल में
फंस जाएगी। हालांकि शरद पवार ने कांग्रेस नेतृत्व को भरोसा दिया है कि घटनाक्रम से
महाराष्ट्र या यूपीए सरकार पर कोई असर नहीं होगा। देखें ऊंट किस करवट बैठता है।
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