Sunday, 9 September 2012

राडिया टेप के सरोकार राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ते हैं


 Published on 9 September, 2012

अनिल नरेन्द्र

बहुचर्चित राडिया टेप कांड फिर सुर्खियों में आ गया है। मामला आज-कल सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने एक याचिका दायर की है। टाटा ने राडिया से फोन पर हुई बातचीत के टेप लीक करने के खिलाफ याचिका दायर की थी। मंगलवार को अदालत ने सरकार को टेप लीक होने से बचाने के लिए उचित तंत्र नहीं व्यवस्थित करने पर फटकार लगाई थी। वहीं सरकार की ओर से इन आरोपों को नकार दिया गया था कि टेप सरकार की ओर से लीक हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग को नोटिस दिया है कि वह औद्योगिक समूहों के लिए सम्पर्प का काम करने वाली नीरा राडिया की टेलीफोन पर 5800 बार हुई बातचीत के टेप दो महीने के भीतर लिप्यांतर कराए। बातचीत के कुछ अंश राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होने के मद्देनजर ऐसा किया गया है। यह नोटिस न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने गुरुवार को टाटा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। जजों ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि इतने गंभीर मामले में भी आयकर विभाग ने टेप की गई सारी वार्ता का लिप्यांतर नहीं कराया है। जजों की राय थी कि इसमें से कुछ टेलीफोन कॉल तो संदिग्ध वित्तीय लेन-देन से जुड़ी हैं जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा से सरोकार है। जजों ने आयकर विभाग की ओर से केंद्रीय जांच ब्यूरो को उपलब्ध कराई गई प्रतिलिपि के विश्लेषण के आधार पर इस घटना की जांच कराने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया। अतिरिक्त महान्यायवादी हरेन रावल ने जब यह कहा कि नीरा राडिया की टेप की गई सभी 5800 टेलीफोन वार्ताओं का लिप्यांतर नहीं किया गया है तो जजों ने कहा कि बेहतर होगा कि सारी वार्ताओं का लियांतर किया जाए। वरना अनुमान और अटकलों के आधार पर ही सारी कार्रवाई होती रहेगी। जजों ने कहा कि इस मामले को तीन साल हो गए हैं और आयकर विभाग ने रिकार्ड की गई वार्ता की प्रतिलिपि अभी तक तैयार नहीं की है जबकि उसी ने टेलीफोन की निगरानी का काम किया था। अदालत ने कहा कि इस वार्ता के अंश लीक होने के बारे में चल रही अफवाहों से बचने के लिए ही इन वार्ताओं की प्रतिलिपि जरूरी है। चूंकि बीच में सुनी गई कुछ बातचीत राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है और कुछ ऐसे वित्तीय सौदों के बारे में है जो संदिग्ध है। लिहाजा इतना करना तो जरूरी है। यह अधिक गंभीर मामला है और बेहतर होगा कि रिकार्ड की गई सारी वार्ता की प्रतिलिपि तैयार की जाए। वित्त मंत्री को 16 नवम्बर 2007 को मिली एक शिकायत के आधार पर आयकर (जांच) महानिदेशक ने नीरा राडिया के टेलीफोन टेपिंग का आदेश दिया था। इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नीरा राडिया ने नौ सालों के भीतर 300 करोड़ रुपए का कारोबार खड़ा कर लिया है। सरकार ने कुल 180 दिन नीरा राडिया की बातचीत रिकार्ड की थी। पहली बार 20 अगस्त 2008 से 60 दिन के लिए और फिर 19 अक्तूबर से अगले 60 दिन के लिए राडिया के फोन टेप हुए। इन टेपों के कुछ अंश मीडिया में लीक हो गए थे। लीक टेपों में सरकार के मंत्रियों, वरिष्ठ पदाधिकारियों व इलैक्ट्रानिक चैनलों के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की बातचीत रिकार्डिंग है। रतन टाटा ने अपनी याचिका में कहा कि टेलीफोन टेपिंग के अंश लीक होने से उनकी निजता के अधिकार का हनन हुआ है।

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