Published on 12 September, 2012
अनिल नरेन्द्र
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में लगातार तीन बार बोल्ड होने पर पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने आलोचनात्मक टिप्पणी क्या की, क्रिकेट की दुनिया में सचिन के संन्यास को लेकर भावनाओं की जंग ही छिड़ गई। सचिन तेंदुलकर की दरअसल परेशानी यह है कि आजकल उनका मनोबल कुछ गड़बड़ा गया है। न्यूजीलैंड के विरुद्ध तीन बार बोल्ड होने पर उनके अपने ही आलोचक बन गए हैं। चूंकि वह पिछली 25 पारियों में शतक नहीं बना पाए इसलिए उनके कैरियर पर संकट मंडराता नजर आ रहा है। आउट होने पर गुस्साना भी सवालों के घेरे में रहा है। अभी कुछ सप्ताह पहले सचिन ने कहा था कि जब उनकी इच्छा होगी संन्यास ले लेंगे। इस बारे में उन्हें किसी की राय की जरूरत नहीं लेकिन चन्द दिनों में ही परिस्थितियां बदलने लगी हैं। उनके परम भक्त और शुभचिन्तक भी चिंतित हैं। कुछ एक कहने लगे हैं कि सचिन पर उम्र हावी हो गई है, उनमें पहली सी चपलता, धैर्य, उत्साह और एकाग्रता नहीं रही। महान क्रिकेटर कपिल देव का कहना है कि सचिन के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखता। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनसे यह साबित हो जाता है कि 39 वर्षीय सचिन रिटायर होने के लिए तैयार हैं। टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस 39 वर्ष की उम्र में ग्रैंड स्लेम जीत रहे हैं। आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर रिंकी पोंटिंग 38 वर्ष की उम्र में, माइक हसी 37, साउथ अफ्रीका के जॉक कैलिस 37 और वेस्टइंडीज के चन्द्रपाल 38 वर्ष की उम्र में लगातार परफार्म कर रहे हैं। ऐसे 17 खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने 40 से 46 साल की उम्र के बीच टेस्ट शतक लगाए हैं। वीरेन्द्र सहवाग कहते हैं कि सचिन नेट्स में युवा खिलाड़ियों के बराबर प्रैक्ट्सि करते हैं। विराट कोहली के बाद विकेट के बीच सबसे तेज सचिन ही दौड़ते हैं। सचिन के करीबी हरभजन सिंह ने याद दिलाया है कि दस साल पहले भी ऐसा दौर आया था। 2002 में इंग्लैंड में चल रही सीरीज के दौरान वे लार्ड्स और नाटिंघम टेस्ट की लगातार तीन पारियों में बोल्ड हुए। इंग्लैंड की मीडिया ने लिखा कि उनका फुटवर्प पहले जैसा नहीं रहा। बैट और पैड के बीच दरार बढ़ती जा रही है। सचिन ने अपने अन्दाज में इन आलोचकों ने जवाब दिया। लीड्स टेस्ट में 193 रन और ओवल टेस्ट में 54 रन बना डाले। दूसरी ओर सुनील गावस्कर का कहना है कि अब सचिन का शरीर उनका साथ नहीं दे रहा। बढ़ती उम्र के कारण सचिन में पहले जैसी फुर्ती नहीं रही। एडम गिलक्रिस्ट इसका उदाहरण हैं। वे 2008 में भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कुछ कैच नहीं पकड़ पाए थे। खुद स्वीकार किया कि बढ़ती उम्र के चलते उनके रिफ्लैक्स कमजोर हो गए हैं। उससे उनकी परफॉर्मेंस प्रभावित हो रही थी। किसी को आलोचना का मौका नहीं दिया। संन्यास ले लिया। तब वे 36 वर्ष के ही थे। ग्रेग चैपल का कहना है कि उम्र बढ़ने पर स्टीव वॉ को कह दिया गया था कि या तो संन्यास ले लें या उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाएगा जबकि पिछले 15 पारियों में औसत 80 था सचिन की पिछली 15 पारियों में औसत 37.4 है। डेविड बेकहम इंग्लैंड के सितारा फुटबालर हैं। लेकिन उन्हें यूरो कप या ओलंपिक टीम में शामिल नहीं किया। क्योंकि युवा खिलाड़ी उनसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। सौरभ गांगुली का मानना है कि सिर्प नेट प्रैक्टिस के भरोसे परफॉर्मेंस नहीं सुधर सकता। सचिन टी-20 मैच तो खेलते ही नहीं। चुनिन्दा वन-डे ही खेलते हैं। ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मैचों में बड़ा स्कोर नहीं बनाया जा सकता जबकि आस्ट्रेलिया के माइक हसी 37 की उम्र में भी लगभग हर मैच खेलते हैं। अब भी मैच विनर हैं। इयान चैपल का कहना है कि सचिन अब टीम पर बोझ बन रहे हैं। सचिन का टेस्ट औसत गिरता जा रहा है। ऐसा न हो कि उन्हें कपिल देव जैसी स्थिति का सामना करना पड़े। कपिल 400 विकेट ले चुके थे। उसके बाद उन्हें हर विकेट के लिए संघर्ष करना पड़ा। रिचर्ड हैडली (431) का रिकार्ड तोड़ने के लिए 19 टेस्ट और खेले। आखिर में कप्तान अजहर को कुम्बले से कहना पड़ा कि रिकार्ड के लिए यह विकेट कपिल को लेने दो। राहुल द्रविड़ का कहना है कि आज भी सचिन किसी युवा खिलाड़ी जितने ही फिट हैं। सचिन जरूर वापसी करेंगे। हमारा मानना है कि रिटायरमेंट का फैसला खुद सचिन पर छोड़ देना चाहिए। आस्ट्रेलियाई क्रिकेट मैथ्यू हेडन, शेन वार्न, एडम गिलक्रिस्ट, स्टीव वॉ जैसे दिग्गजों ने खुद ही तय किया था कि वे रिटायरमेंट चाहते हैं। सबसे बेहतर सचिन के लिए अपने बल्ले से आलोचकों का मुंह बन्द करना रहेगा।
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