Tuesday, 25 September 2012

अगर वॉलमार्ट इतना ही अच्छा है तो न्यूयार्प में इसका विरोध क्यों?


 Published on 25 September, 2012
 अनिल नरेन्द्र
दुनिया की दिग्गज रिटेल कम्पनी वॉलमार्ट का रास्ता साफ करने के लिए भारत में तमाम फायदे गिनाए जा रहे हैं। अमेरिका की यह दिग्गज कम्पनी का 16 देशों में 404 अरब डॉलर का कारोबार है। हालांकि और भी कई दिग्गज रिटेल कम्पनियां हैं जैसे फ्रांस की केयरफोर (34 देशों में 2009 में 112 अरब डॉलर का कारोबार)। जर्मनी में मेट्रो एजी जिसका 33 देशों में 2009 में 91 अरब डॉलर का कारोबार था, ब्रिटेन की टैस्को जिसका साम्राज्य 13 देशों में फैला हुआ है और जिसका 2009 में राजस्व 90.43 अरब डॉलर का था पर सबसे बड़ी कम्पनी वॉलमार्ट है। वॉलमार्ट (एशियन) के प्रेजीडेंट व सीईओ स्कॉट प्राइस ने कहा है कि भारत में पहला वॉलमार्ट रिटेल स्टोर 12 से 18 महीने के अन्दर खुल सकता है। उनका कहना है कि अभी हम उन राज्यों में इजाजत मांगेंगे जो विदेशी रिटेल शॉप अपने यहां खोलने की इच्छा जता चुके हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि भारत में हम कहां-कहां कितने रिटेल स्टोर खोलेंगे। इस समय भारत के साथ 17 कैश एण्ड कैरी स्टोर्स में वॉलमार्ट की हिस्सेदारी है। सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि बेशक प्रधानमंत्री सिंह जितनी भी वॉलमार्ट के फायदे गिनाएं पर यह कम्पनी खुद अपने देश में ही तगड़े झटके से दो-चार हो रही है। चाहे मामला अमेरिका के सबसे बड़े शहर व वित्तीय राजधानी न्यूयार्प का ही क्यों न हो। कम्पनी ने यहां अपना पहला मेगा स्टोर खोलने की योजना बनाई थी, लेकिन स्थानीय छोटे व्यापारियों के भारी विरोध के चलते कम्पनी को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। वैसे न्यूयार्प में पहले से ही छह छोटे स्टोर मौजूद हैं। अमेरिकी अखबार न्यूयार्प टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉलमार्ट ने पूर्वी न्यूयार्प के ब्रुकलिन में नया शॉपिंग सेंटर बनाया है। इसी में वह मेगा स्टोर खोलने की तैयारी कर रही थी। मगर स्थानीय यूनियन, सिटी काउंसिल के कई सदस्यों और सामुदायिक समूहों ने इस पर कड़ा एतराज जताया। इसके बाद कम्पनी ने पिछले हफ्ते इस योजना को रद्द कर दिया। अमेरिका के लगभग हर छोटे-बड़े शहर में कम्पनी के चार हजार से ज्यादा स्टोर हैं। मगर सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि मेगा स्टोर खोलने के लिए कम्पनी को हर जगह चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। न्यूयार्प से पहले कई और बड़े शहरों में कम्पनी के मेगा स्टार का विरोध हो चुका है। न्यूयार्प में मेगा स्टोर खोलने के लिए कम्पनी 2007 से प्रयासरत है, लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिली है। न्यूयार्प को वॉलमार्ट से मुक्त कराने के लिए बाकायदा एक संगठन बनाया गया है। वॉलमार्ट फ्री न्यूयार्प सिटी ग्रुप के प्रवक्ता स्टेफनी यागजी के मुताबिक कम्पनी के पीछे हटने से यह साबित हो गया है कि न्यूयार्प के लोगों को भी वॉलमार्ट का कारोबारी तरीका नहीं सुहा रहा है। विरोध करने वाले अमेरिकियों का कहना है कि यह कम्पनी अपने कर्मचारियों को कम वेतन तो देती ही है, साथ ही इन्हें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह भी बदतर होती हैं। यह दाम कम रखकर अपने आसपास के छोटे दुकानदारों के मुनाफे पर चोट पहुंचाती है ताकि इन्हें इलाके से खदेड़ा जा सके। मनमोहन सिंह एक तर्प यह दे रहे हैं कि इससे किसानों और उपभोक्ताओं को फायदा होगा। मगर कुछ जानकार इसे सिरे से खारिज करते हैं। कृषि विशेषज्ञ देविन्दर शर्मा कहते हैं कि अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के संगठित रिटेल कारोबार में भले ही तेजी आई हो लेकिन इसका फायदा किसानों को कम ही हुआ है। अगर ऐसा होता तो इन देशों का कृषि क्षेत्र अभी भी भारी सरकारी सब्सिडी पर नहीं पल रहा होता। मनमोहन सिंह भले ही वॉलमार्ट सरीखे को भारत लाने में जो भी मर्जी आए दलीलें दें पर हकीकत तो कुछ और ही दर्शाती है।

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