Published on 14 September, 2012
अनिल नरेन्द्र
मंगलवार को अमेरिकी इतिहास के सबसे भीषण आतंकवादी हमले 9/11 की बरसी थी। न्यूयार्प में ग्राउंड जीरो, द पेंटागन, पेंसिलवानिया और वाशिंगटन ने इस भयानक हमले की 11वीं बरसी पर तीन हजार लोगों को श्रद्धांजलि दी। 11 सितम्बर 2001 को हुए आतंकी हमलों की बरसी पर सादे कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिस समय अमेरिका 9/11 के गम में डूबा हुआ था हजारों मील दूर लीबिया के बेनगाजी शहर स्थित अमेरिकी दूतावास पर एक जबरदस्त हमला हो रहा था। 9/11 हमलों के बाद अगर यह कहा जाए कि यह अमेरिका पर दूसरा बड़ा हमला था तो शायद गलत नहीं होगा। हजारों प्रदर्शनकारियों ने रॉकेटों, स्वचालित हथियारों, बमों से अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हमला बोल दिया। हमला इतना भयंकर था कि लीबिया में अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवंस और तीन अन्य अमेरिकी एम्बेसी स्टाफ मारे गए। क्रिस्टोफर मंगलवार को लीबिया के पूर्वी शहर बेनगाजी गए थे। राजदूत दूतावास में मौजूद थे जब हजारों प्रदर्शनकारियों ने वाणिज्य दूतावास पर हमला बोल दिया। प्रदर्शनकारी इस्लाम के खिलाफ बनाई एक फिल्म के प्रदर्शन से नाराज थे। दरअसल इस फिल्म की वजह से ही हिंसा भड़की, यू-ट्यूब पर इसका 14 मिनट का ट्रेलर जारी हुआ था। आरोप है कि इसमें पैगम्बर को गलत तरीके से पेश किया गया है। कैलिफोर्निया का रहने वाला सैम बेसाइल इसका प्रोड्यूसर-डायरेक्टर होने का दावा करता है। वह खुद को इजरायली बताता है, लेकिन इजरायल सरकार ने उससे कोई भी रिश्ता होने से साफ इंकार कर दिया है। न्यूज चैनल अल-जजीरा ने लीबिया के आंतरिक मंत्रालय के हवाले से बताया कि बन्दूकों से लैस सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने फायरिंग की और दूतावास पर रॉकेट लांचरों से हमला किया। इनकी लीबियाई सुरक्षाकर्मियों से मुठभेड़ भी हुई। प्रदर्शनकारियों ने दूतावास परिसर में आग भी लगा दी। स्टीवंस दूतावास में घिरे लोगों को बचाने के लिए जब पहुंचे तो रॉकेट अन्दर आ कर गिरे। अन्दाजा है कि इन्हीं रॉकेटों की वजह से उनकी मौत हुई। इससे पहले इजिप्ट की राजधानी काहिरा में भी फिल्म को लेकर इस्लामिक प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी दूतावास पर प्रदर्शन किया। मुस्लिम ब्रदरहुड के कार्यकर्ता दूतावास की दीवारों पर चढ़ गए और वहां लगे अमेरिकी झंडे को उतारकर इस्लामिक बैनर लगा दिया। क्रिस्टोफर स्टीवंस दूसरे अमेरिकी राजदूत हैं जो इस तरह के हमलों में मारे गए हैं। इससे पहले अफगानिस्तान में अमेरिकी राजदूत एडॉल्फ डब्स की काबुल में 1979 में हत्या कर दी गई थी। अरबी और फ्रेंच बोलने वाले अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवंस लीबिया में क्रांति के गवाह थे। पिछले साल लीबिया में गद्दाफी के खिलाफ जो विद्रोह हुआ था, बेनगाजी उसके केंद्र में था। स्टीवंस ने कहा था कि मुझे गर्व है कि क्रांति के दौरान मैं राजदूत रहा। लीबियाई लोगों को हक मांगते देख रोमांचित हो गया था। हमले में दो मरीन सैनिक व एक अन्य विदेश मंत्रालय के अफसर भी मारे गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एक अलकायदा से जुड़े संगठन अंसार-अल-शरिया के लोगों ने मशीन गनों, रॉकेट, ग्रैनेड राइफलों से हमला किया था। गद्दाफी के समर्थक भी हमला करने वालों में शामिल थे। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने क्रिस्टोफर स्टीवंस को एक साहसी अमेरिकी प्रतिनिधि बताया। हम उनके परिवार के साथ हैं और उनके काम को आगे बढ़ाने के लिए दोगुनी ताकत लगा देंगे। अमेरिका में यह चुनावी वर्ष है। राष्ट्रपति बराक ओबामा के कैरियर की यह एक बड़ी चुनौती है। ओसामा बिन लादेन को मारने का श्रेय कुछ फीका इस हमले से जरूर हो जाएगा। इस हमले का अमेरिका क्या जवाब देता है, यह देखना होगा। अभी यह साफ नहीं है कि बेनगाजी r और काहिरा के हमले के पीछे किसका हाथ है। लेकिन सीएनएन के मुताबिक काहिरा में अमेरिकी दूतावास की सीढ़ियों से मिले एक काले रंग के झंडे पर लिखा था ः `अल्लाह के सिवाय कोई दूसरा खुदा नहीं है और मोहम्मद उनके पैगम्बर हैं।' आमतौर पर अलकायदा ही ऐसे प्रतीकों का इस्तेमाल करता है। विडम्बना यह है कि दो दिन पहले ही अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने चेतावनी दी थी कि अलकायदा अभी समाप्त नहीं हुआ है। 9/11 हमले की बरसी पर अलकायदा नेता अयमान अल जवाहिरी ने वीडियो सन्देश जारी किया है। अलकायदा की साइट पर डाले गए वीडियो में उसने दावा किया है कि उसके योद्धाओं ने इराक में अमेरिका को हरा दिया है। सच सामने आया और झूठ ध्वस्त हुआ। 57 मिनट के वीडियो में लादेन के प्रवक्ता आदम गदहन, ओसामन तथा अन्य अलकायदा नेताओं के बयान हैं। अमेरिकी जनता एक बार फिर ओबामा प्रशासन से प्रश्न करेगी कि आखिर अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियां क्या कर रही थीं? क्या सीआईए को बेनगाजी में इतने बड़े हमले का आभास नहीं हुआ? एक बार फिर सीआईए फेल हुई।
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