Sunday, 9 September 2012

दिग्विजय सिंह बनाम ठाकरे परिवार का वाकयुद्ध तेज हुआ


 Published on 9 September, 2012

अनिल नरेन्द्र

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह व ठाकरे परिवार का आज-कल दिलचस्प वाकयुद्ध छिड़ा हुआ है। वाकयुद्ध तब शुरू हुआ जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कह दिया कि बगैर सूचना दिए एक किशोर को उठा ले आने के मामले में अगर बिहार सरकार की ओर से मुंबई पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो मैं बिहारियों को घुसपैठ करार देकर महाराष्ट्र से बाहर खदेड़ दूंगा। इस पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने राज ठाकरे को खुद बिहारी करार दे दिया। उन्होंने कहा कि ठाकरे परिवार खुद बिहार से आया है। दिग्विजय सिंह ने सबूत के तौर पर पेश की राज ठाकरे के बाबा प्रबोधनकार ठाकरे द्वारा लिखी गई पुस्तक। ठाकरे परिवार के कुल गुरू मैथिल ब्राह्मण रामनाथ थे, ऐसा बाल ठाकरे के पिता प्रबोधनकार ठाकरे समग्र वांड्मय के पांचवें खंड के 45 नम्बर पन्ने पर लिखा है। पुस्तक में  लिखा है कि मगध देश के प्रख्यात क्षत्रिय राजा महापद्मनन्द के जुल्म से तंग आकर कई चांद्रसेनीय कायस्थ प्रभु ने देश छोड़ा था। इनमें से कुछ चांद्रसेनीय कायस्थ प्रभु नेपाल और कश्मीर चले गए। चांद्रसेनीय कायस्थ प्रभु परिवार ताल भोपाल आया यहां यवन राजा का राज था। चांद्रसेनीय कायस्थ प्रमुख परिवार के लोगों ने यवन राजा के साथ संबंध अच्छे किए और उन्हें यहां ठाकरे उपनाम मिला। ठाकरे परिवार ने चितौड़ में एक मंदिर की स्थापना की। दिग्विजय के इस बयान और सबूत से ठाकरे परिवार बौखला गया। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के बेटे और शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने दिग्विजय सिंह को इटेलियन के घर बर्तन मांजने वाला तक बता दिया। दिग्विजय के सबूत पर उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को सफाई दी। उन्होंने कहा, मेरे दादा जी ने जो किताब लिखी है, उसमें ठाकरे परिवार का जिक्र नहीं बल्कि बिहार में उस समय रह रहे ठाकरे मराठों की स्थिति के बारे में है। उद्धव ने कहा कि `इटेलियन के घर बर्तन मांजते-मांजते' दिग्विजय सिंह का दिमाग शराब हो गया है। दिग्विजय ने जवाब में कहा कि मुझे ठाकरे परिवार से कोई शिकायत नहीं है, मैं सिर्प उन्हें यह ध्यान दिलाना चाहता था कि वे भी चार सौ साल पहले कहां से आए थे। उन्होंने ठाकरे पर वार करते हुए कहा कि वह उस समय किस बिल में छिप गए थे, जब मुंबई में आतंकवादियों ने हमला किया था? दरअसल सारा खेल वोट बैंक राजनीति का है। 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी के चलते ठाकरे परिवार ने फिर से मुंबई में रहने वाले बिहारी लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्हें मालूम है कि मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में बिहारियों का कोई नेता नहीं है और उन्हें निशाना बनाना सबसे आसान है। मराठीवाद की इस सियासत में एक कारण यह भी है कि मनसे और शिवसेना के पास यही सबसे बड़ा मुद्दा है। ठाकरे बंधु नए मुद्दों की तलाश में रहते हैं और भड़काऊ बयान देकर किसी भी विषय को मुद्दा बनाने की कोशिश करते हैं। मराठी का मुद्दा हो या पाक कलाकारों का, पाक से क्रिकेट मैच का हो ठाकरे परिवार अपने तेवर दिखाने से चूकता नहीं। मनसे प्रमुख राज ठाकरे इस बयान से विभिन्न रानीतिक दलों के भी निशाने पर आ गए हैं। बिहारी मूल के लोगों को महाराष्ट्र से खदेड़ने की उनकी धमकी को कांग्रेस और भाजपा समेत कई दलों ने तानाशाह रवैया करार दिया है, साथ ही कहा कि राज्य विशेष के लोगों के खिलाफ इस तरह का बयान देश की एकता के खिलाफ है।

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