Saturday 22 September 2012

राजा परवेज अशरफ की शातिर चाल


 Published on 22 September, 2012
 अनिल नरेन्द्र
अपने पुराने रुख से यू-टर्न लेते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ मंगलवार को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में मुकदमा चलाने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने को राजी हो गए। परवेज अशरफ के इस यू-टर्न पर कई सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि इसके लिए कानून मंत्रालय को निर्देश दिए जा चुके हैं। पाकिस्तान सरकार इस मामले में लम्बे समय से स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने से इंकार करती रही है। कुछ लोग अशरफ के इस स्टैंड को एक स्मार्ट मूव मान रहे हैं। सरकार के पास अब कुल चार महीनों का कार्यकाल बचा है और इस स्टेज पर सुप्रीम कोर्ट की शर्त मानने से सदर जरदारी को कोई नुकसान होने वाला नहीं है। पत्र लिखने में कई दिन निकल जाएंगे। फिर स्विस अधिकारी भी किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ इतनी फुर्ती से तो काम करने से रहे। इस सरकार का कार्यकाल 2013 में समाप्त होने वाला है और अगर यह सरकार तब तक चल जाती है तो यह भी एक चमत्कार ही होगा कि एक चुनी हुई सरकार पाकिस्तान में अपना कार्यकाल पूरा कर ले। प्रधानमंत्री अशरफ ने अपनी सरकार को इतना टाइम दिला दिया है कि बुरी तरह से पीछे पड़े सुप्रीम कोर्ट के पास अब इस सरकार को घेरने का कोई बहाना नहीं बचता। इस कदम से पाकिस्तानी ज्यूडिश्यिरी और चुनी हुई सरकार के बीच अरसे से श्रेष्ठता की लड़ाई में भी कुछ दिनों के ठहराव की गुंजाइश बनी है। कोर्ट ने अशरफ को पत्र का मसौदा तैयार करने के लिए 25 सितम्बर और अदालत की रजामंदी मिलने के बाद उसे स्विस अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए दो अक्तूबर तक का समय दिया है। प्रधानमंत्री के इस रुख के बाद उनके खिलाफ अदालत की अवमानना को लेकर चल रहे मुकदमे की सुनवाई पत्र का मजमून जमा करने की तारीख तक के लिए टाल दी गई है। पिछले तीन सालों से पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में जांच करवाने के लिए हाथ धो कर पीछे पड़ा हुआ है। सरकार का स्टैंड यह था कि देश के शीर्ष कार्यकारी अधिकारी के रूप में उन्हें किसी भी जांच से मुक्त रहने का संवैधानिक विशेषाधिकार प्राप्त है। बीते जून में सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराते हुए पद के अयोग्य घोषित कर दिया था। उनकी जगह लेने वाले राजा परवेज अशरफ भी हाल तक गिलानी के रास्ते पर ही बढ़ते नजर आ रहे थे। लेकिन अब शायद अपनी सरकार का कार्यकाल पूरा होते देखकर सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने अदालत से एक और टकराव न मोल लेने का फैसला किया है। पाकिस्तान में आज तक किसी भी निर्वाचित केंद्र सरकार को पांच साल का निर्धारित कार्यकाल पूरा करने का मौका नहीं मिला है। इस लिहाज से जरदारी सरकार अगर अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है तो यह न केवल एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी बल्कि आगामी चुनाव में भी पीपीपी और उनके सहयोगी दलों को इसका फायदा मिलेगा और पाकिस्तान में कार्यपालिका और न्यायपालिका का टकराव भी टलेगा। कुल मिलाकर अशरफ की यह मूव शातिर चाल मानी जाएगी।

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