Wednesday 26 September 2012

प्रफुल्ल पटेल पर कसता शिकंजा


 Published on 26 September, 2012
 अनिल नरेन्द्र
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एयर इंडिया की विमान खरीद में कथित अनियमितताओं की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार और विमानन कम्पनी से जवाब तलब किया। यह कथित अनियमितताएं नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में प्रफुल्ल पटेल के कार्यकाल के दौरान हुई बताई गई हैं। न्यायमूर्ति एमएल दत्तू और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्टलिटीगेशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, एयर इंडिया और सीबीआई से जवाब मांगा है। इस याचिका में आरोप लगाया है कि प्रफुल्ल पटेल के कार्यकाल में लिए गए विभिन्न निर्णयों का उद्देश्य निजी एयरलाइंस कम्पनियों को लाभ पहुंचाना था, जिससे एयर इंडिया को नुकसान हुआ। सीपीआईएल के वकील ने दलील दी कि श्री प्रफुल्ल पटेल ने नागरिक विमानन मंत्री के रूप में अनेक ऐसे फैसले लिए जिससे निजी विमानन कम्पनियों को फायदा हुआ और राष्ट्रीय राजस्व को करोड़ों का चूना लगा। याचिकाकर्ता के अनुसार श्री पटेल ने अपने कार्यकाल में न केवल एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय किया बल्कि लाभ कमाने वाले वायु मार्गों को निजी विमानन कम्पनियों के हवाले भी कर दिया। इतना ही नहीं, इन मार्गों पर एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विमानों का उड़ान समय भी बदला गया जिससे निजी विमानन कम्पनियों को फायदा हुआ। खंडपीठ ने इन दलीलों को सुनने के बाद नोटिस जारी किया। सीपीआईएल ने पहले दिल्ली हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि यह मामला संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष लम्बित है। इसके बाद सीपीआईएल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता का दावा है कि एयर इंडिया ने 67 हजार करोड़ रुपए की लागत से 111 उन्नत विमान खरीदे थे, जिसमें भारी अनियमितताओं की शिकायत मिली है। यह दावा किया गया कि पटेल के कई निर्णय हैं जिनसे राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। इनमें कई फैसलों का जिक्र भी किया गया है। उदाहरण के तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइंस कम्पनी के लिए 70 हजार करोड़ खर्च करके 111 विमानों की ब़ड़े पैमाने में खरीद, विमानों को लीज पर लेना, लाभ वाले उड़ान मार्गों और समय निजी कम्पनियों को देना तथा एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय शामिल हैं। आरोप लगाया गया कि तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल की कार्रवाई और उनके फैसलों ने राष्ट्रीय एयरलाइंस को बर्बाद कर दिया, हजारों करोड़ रुपए का बोझ पड़ा है। गत 10 सितम्बर को उच्चतम न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ के एक सदस्य ने इस याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद यह मामला नई खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को रखा गया। एयर इंडिया एक जमाने में दुनिया की जानी-मानी कम्पनियों में से एक हुआ करती थी पर मिसमैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और दूसरी निजी कम्पनियों को खड़ा करने में कई मंत्रियों का हाथ है। इन कारणों से आज एयर इंडिया की प्रतिष्ठा धरातल पर है। इन एयरलाइंस के मामलों में बारीकी से जांच होनी चाहिए। एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के पीछे क्या-क्या असल कारण थे इसकी भी जांच होनी चाहिए। एयर इंडिया की प्रतिष्ठा सीधी देश से जुड़ती है क्योंकि यह राष्ट्रीय एयरलाइंस है।



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