Friday, 26 November 2021
जनधन खाते वाले गरीबों को लगाया 164 करोड़ का चूना
भारतीय स्टेट बैंक यानि एसबीआई ने पिछले कुछ सालों में गलत तरीके से जनधन खातों के जरिये डिजिटल लेन-देन पर भी ट्रांजेक्शन शुल्क वसूले हैं। सरकारी निर्देशों के बाद हालांकि बैंक की तरफ से 90 करोड़ रुपए ग्राहकों को लौटा दिए गए हैं लेकिन आशंका जताई जा रही है कि अभी भी ग्राहकों के डेढ़ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा बैंक के पास फंसे हैं। आईआईटी बॉम्बे की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एसबीआई ने यह रकम अप्रैल 2017 से सितम्बर 2020 के दौरान वसूली है। इस दौरान बैंक ने खाताधारकों के यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड के जरिये हुए 14 करोड़ डिजिटल लेन-देन पर ढाई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा वसूले हैं। रिपोर्ट तैयार करने वाले आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास ने बताया है कि बैंक ने ग्राहकों से यह 17.70 रुपए का शुल्क प्रति डिजिटल ट्रांसजेक्शन पर नाजायज तरीके से वसूला है। इस हिसाब से आंकलन किया गया है कि अप्रैल 2017 से सितम्बर 2020 के दौरान जनधन खाता धारकों के जरिये हुए कुल 14 करोड़ डिजिटल लेन-देन पर 254 करोड़ रुपए वसूले गए। प्रोफेसर दास का मानना है कि इस शुल्क को लेना बैंक बोर्ड की तरफ से एक भूल थी। हालांकि अक्तूबर 2020 से बैंक ने यह शुल्क लगाना बंद कर दिया है। अपेक्षाकृत कमजोर वर्ग से वसूले गए 164 करोड़ रुपए के नाजायज शुल्क बैंक के पास अभी तक बकाया है।
-अनिल नरेन्द्र
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