Saturday, 6 November 2021

भावी राजनीति की जमीन तैयार करेंगे नतीजे

देश के 13 राज्यों में लोकसभा की तीन और विधानसभा की 29 सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे मंगलवार को नए सियासी संकेत लेकर आए हैं। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया, तो पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को करारी मात दी है। लोकसभा की तीन सीटों में शिवसेना, कांग्रेस और भाजपा को एक-एक सीट हासिल हुई है। हालांकि मध्यप्रदेश व असम में भाजपा को थोड़ी राहत जरूर मिली है। यदि हिमाचल प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो सभी राज्यों में सत्तारूढ़ दलों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। बावजूद राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कई राज्यों में यह नतीजे भावी राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। खासकर जिन राज्यों में निकट भविष्य में चुनाव होने वाले हैं। भाजपा न केवल हिमाचल में लोकसभा की अपनी मंडी सीट कांग्रेस के हाथों गंवा बैठी, बल्कि विधानसभा की तीनों सीटों पर भी कांग्रेस के उम्मीदवारों ने कब्जा कर लिया। गौरतलब है कि अगले साल ही वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इन उपचुनावों को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था। हिमाचल के यह परिणाम इसलिए भी खासे अहम हैं कि इसके पड़ोसी प्रदेशोंöपंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी अगले साल के पूर्वार्द्ध में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस करारी हार के लिए यदि महंगाई को उत्तरदायी ठहराया है, तो इसे बचाव का बयान नहीं समझा जाना चाहिए। यह सही है कि महंगाई लोगों के दिन-ब-दिन जीवन पर असर डालने लगी है और इसके लिए यहां पेट्रोल-डीजल या खाद्य पदार्थों के दाम याद दिलाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। हिमाचल में भाजपा की सरकार है। आमतौर पर जिस दल की सरकार राज्य में होती है, उसे ऐसी पराजय का सामना करना पड़ता है। इसलिए हिमाचल की हार-जीत को आगामी चुनावों से जोड़कर देखा जाने लगा है पर चुनाव में अभी वक्त है और भाजपा के पास रणनीति को नए सिरे से निर्धारित करने का पर्याप्त समय है। राजस्थान में दोनों सीटें कांग्रेस ने जीती हैं, जिनमें से एक सीट भाजपा से छीनी है। राजस्थान में गहलोत सरकार के कामकाज को लेकर बेशक पार्टी में ही सवाल उठे हैं। बावजूद इस जीत में यही माना जाएगा कि राजस्थान की जनता में सरकार के खिलाफ विरोध अभी इस कदर नहीं बढ़ा है। इन नतीजों के बाद भाजपा को भी नए सिरे से गहलोत सरकार की घेराबंदी के लिए रणनीति बनानी होगी। बंगाल में तृणमूल का मानो सीटों पर जीतना और असम में पांच सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगियों का काबिज होना स्वाभाविक है। इससे साबित होता है कि इन राज्यों में दोनों दलों ने वोटरों पर पकड़ मजबूत की हुई है। भाजपा ने मध्यप्रदेश में तीन में से दो सीटें जीती हैं। उसकी एक सीट बढ़ी है। लोकसभा की सीट को कायम रखने में सफलता मिली है। कर्नाटक में दो सीटों पर उपचुनाव में भाजपा हालांकि हंगल सीट को कांग्रेस से हार गई पर उसने जेडीएस से सिंदगी सीट जीत ली। पांच राज्यों की विधानसभा सीटों के परिणामों से कांग्रेस उत्साहित है। पार्टी को हिमाचल, राजस्थान, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में उम्मीद की किरण दिखाई दी है। क्योंकि उपचुनाव में कई सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला था। कुल मिलाकर यह उपचुनाव भावी राजनीति के संकेत देते हैं।

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