Thursday, 25 November 2021

अब एमएसपी पर अड़े किसान

सरकार ने तीनों विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने की घोषणा भले ही कर दी हो, पर किसान आंदोलन खत्म होने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे। लखनऊ की महापंचायत में किसान संगठनों ने अपनी मांगों को दोहरा कर स्पष्ट संकेत दे दिया है कि जब तक सभी मांगें नहीं मान ली जातीं तब तक आंदोलन खत्म करने का सवाल ही नहीं उठता। अभी तक माना जा रहा था कि तीनों विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने के सरकार के फैसले के बाद किसान धरना-प्रदर्शन खत्म कर देंगे। सोमवार को लखनऊ की महापंचायत में किसान नेताओं ने एक स्वर में आंदोलन जारी रखने की घोषणा की। कहाöसिर्फ तीन कृषि कानून वापस लेने से आंदोलन खत्म नहीं होगा। कई अन्य ज्वलंत मुद्दे भी हैं, जिनका निस्तारण जरूरी है। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने की मांग सबसे अहम है, इसलिए आंदोलन चरणबद्ध जारी रहेगा। ईको गार्डेन पार्क में हुई महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार को अपनी भाषा में समझाने में एक साल लग गया। सरकार को अब समझ आया कि तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि माफी मांगने से किसानों का भला होने वाला नहीं है। उनका भला एमएसपी के लिए कानून बनाने से होगा। इस कानून को लेकर केंद्र सरकार झूठ बोल रही है कि कमेटी बना रहे हैं। उन्होंने कहाö2011 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी कि किसानों के लिए एमएसपी कानून लागू करे। यह रिपोर्ट पीएमओ में रखी है। उसे ही लागू कर दें। सवाल है कि ऐसे में हो क्या? बिना समाधान निकाले तो आगे बढ़ पाना संभव नहीं होगा। सरकार के सामने व्यावहारिक समस्या यह है कि अगर एमएसपी कानून बन गया तो इसके लिए किसानों की उपज खरीदने की मजबूरी हो जाएगी। यह तर्क भी दिया जा रहा है कि एमएसपी कानून बन जाने के बाद अगर सरकार ने व्यापारियों को तय दाम पर उपज खरीदने के लिए मजबूर किया तो व्यापारी कम दाम पर आयात करने जैसा कदम उठा सकते हैं। संकट यही है कि जब सरकार पूरी उपज खरीद नहीं सकती, व्यापारी निर्धारित एमएसपी पर उपज खरीदने से बचेंगे, तो किसान करेगा क्या? हैरानी की बात यह है कि एमएसपी को लेकर आज तक कोई ऐसा फैसला नहीं हो पाया है जिससे किसान संतुष्ट नजर आए हों। एमएसपी के बारे में अब तक जो दलीलें दी जाती रही हैं उनमें एक यह है कि आज देश में खाद्यान्न संकट नहीं है और अगर एमएसपी पर कानून बना दिया गया तो सरकार के लिए उपज खरीदना और उसका भंडारण संकट बन जाएगा। वैसे भी भंडारण व्यवस्था के अभाव में भारी मात्रा में अनाज सड़ने की समस्या बनी हुई है। कहा यह भी जाता रहा है कि अगर एमएसपी कानून बन गया तो बड़े किसान ही छोटे किसानों से उपज खरीद कर सरकार को बेच देंगे और इससे छोटे किसान और संकट में पड़ जाएंगे। इस बात से कोई इंकार नहीं करेगा कि किसानों को उपज का पूरा दाम मिलना चाहिए। अगर मौजूदा व्यवस्था से समाधान नहीं निकल रहा है तो इसके लिए नए उपायों पर विचार किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि कृषि और किसानों की समस्या को लेकर अब जो फैसला पहले हो, उसमें पारदर्शिता हो। ईमानदारी से हल निकालने की कोशिश हो।

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