Wednesday, 17 November 2021

राफेल सौदे के लिए दी गई थी दलाली

फ्रांस की खोजी पत्रिका मीडियापार्ट ने नए सिरे से दावा किया है कि फ्रांसीसी विमान कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत से राफेल विमान सौदा हासिल करने के लिए एक बिचौलिये को कम से कम 75 लाख यूरो (करीब 65 करोड़ रुपए) का भुगतान किया। पत्रिका ने अपनी पड़ताल में पाया कि बिचौलिये को यह भुगतान वर्ष 2007-12 की अवधि में मारीशस में किया गया। उस समय केंद्र में कांग्रेस की संप्रग की सरकार थी। फ्रेंच पोर्टल मीडियापार्ट की रिपोर्ट के बाद एक बार फिर राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा गरमा गया है। कांग्रेस ने जहां मोदी सरकार पर हमला बोला है, वहीं भाजपा ने यूपीए सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल उठाया कि राफेल की 526 करोड़ की डील 1600 करोड़ रुपए में बिना टेंडर के क्यों की गई? अब सरकार ऑपरेशन कवरअप चला रही है। घोटाले पर पर्दा डालने के लिए सीबीआई-ईडी के बीच साठगांठ हुई। हमारी मांग है कि सरकार संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराए। वहीं भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहाöमीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राफेल डील में कमीशन का खेल 2007 से 2012 के बीच हुआ। तब देश में किसकी सरकार थी? राहुल गांधी इसका जवाब दें। पात्रा ने तंज कसते हुए कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस यानि आईएनसी का नाम आई नीड कमीशन कर दिया जाना चाहिए। पात्रा ने कहाöसोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, रॉबर्ट वाड्रा.... सभी कहते हैं कि उन्हें कमीशन चाहिए। कांग्रेस का सवाल आधी रात को सीबीआई में तख्तापलट क्यों? आरोपी सुशेन गुप्ता से राफेल डील से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद होने के बावजूद सरकार ने उसकी भूमिका की जांच क्यों नहीं कराई? 2018 में इसी मामले को दबाने के लिए सीबीआई में तख्तापलट किया गया। आखिर आधी रात को सीबीआई में तख्तापलट क्यों किया गया? जुलाई 2015 में अंतर-सरकारी समझौते के जोर देने के बावजूद सितम्बर 2016 में सरकार द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी खंड क्यों हटाया गया? वायुसेना से परामर्श किए बिना विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 क्यों की गई। भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एचएलए द्वारा विमान निर्माण से इंकार क्यों किया गया? भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इसमें कुछ गलत नहीं मिला। रिपोर्ट में 2007 से 2012 के बीच रिश्वत देने का जिक्र है, तब सरकार यूपीए की थी। उस समय राफेल सौदा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि कांग्रेस दलाली की राशि से संतुष्ट नहीं थी। राहुल गांधी जवाब दें कि राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश आपने और आपकी पार्टी ने इतने वर्षों तक क्यों की? बिचौलिये सुशेन गुप्ता का नाम राफेल मामले में सामने आया था। वह वीवीआई विमान खरीदे जाने वाले मामले में भी आरोपी था। सुप्रीम कोर्ट और कैग ने मोदी सरकार की राफेल डील की विषयवस्तु को देखा है और उसमें कुछ भी गलत नहीं पाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि सरकार का भ्रष्टाचार सामने आ चुका है लेकिन सरकार जेपीसी के जरिये जांच करवाने से क्यों डर रही है? हमारी मांग क्या गलत है। उन्होंने आरोप लगायाöमोदी सरकार द्वारा राफेल सौदे में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवरअप (मामले को रफा-दफा करने का अभियान) एक बार फिर उजागर हो गया है। नवीनतम खुलासे से राफेल घोटाले पर पर्दा डालने के लिए मोदी सरकार सीबीआई-ईडी के बीच संदिग्ध साठगांठ का पता चलता है।

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