Wednesday 3 November 2021

सैन्य गतिरोध के बीच नया भूमि कानून

अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज आने की बजाय चीन पड़ोसियों को परेशान करने की नीति पर पूरी ढीठता से आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में वह नया भूमि सीमा कानून (लैंड बाउंड्री लॉ) लेकर आया है, जो पड़ोसी देशों के साथ विवादित क्षेत्रों पर केंद्रित है, भारत ने चीन की इस हरकत पर कड़ा ऐतराज किया है। इस कानून से पहली नजर में ही यह स्पष्ट हो जाता है कि वह जिस जमीन पर पैर रख देगा, वह उसी की हो जाएगी। यह नया कानून एक जनवरी 2022 से लागू हो जाएगा। गौर करने वाली बात यह है कि चीन ने यह पैंतरा ऐसे वक्त में चला है जब भारत के साथ उसका विवाद चल रहा है और इसे लेकर अकसर ही तनाव तथा टकराव की स्थितियां बनती रही हैं। चीन का दावा है कि उसने अपनी सीमा से लगते 12 देशों के साथ तो सीमा विवाद सुलझा लिया है। ऐसे में भारत और भूटान ही बचे हैं जिनके साथ विवाद का समाधान निकालना है। गौरतलब है कि भूटान की तुलना में भारत के साथ चीन का सीमा विवाद कहीं ज्यादा पेचीदा है। समय-समय पर होते आए टकरावों ने इसे और बिगाड़ दिया है। ऐसे में नए कानून का इस्तेमाल चीन कैसे और कब करेगा, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। भारत ने बुधवार को कहा कि चीन को सीमा के विवादित क्षेत्रों में एकतरफा बदलाव करने के लिए अपने नए सीमा कानून का इस्तेमाल करने से परहेज करना चाहिए। चीन ने 23 अक्तूबर को यह नया कानून पारित किया है। इस कानून में कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ हुए या संयुक्त रूप से स्वीकार किए समझौतों का पालन करेगा। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों के पुनर्गठन के प्रावधान भी हैं। यही भारत के ऐतराज की प्रमुख वजह है। भारत और चीन ने सीमा संबंधी प्रश्नों का अभी तक समाधान नहीं निकाला है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार-विमर्श करके निष्पक्ष, व्यावहारिक और एक-दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है। भारत की चिन्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा के लद्दाख सेक्टर में सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि है। ध्यान रहे कि इससे पहले वह इसी साल के शुरुआत में समुद्री सीमा को लेकर भी ऐसा ही वादा करने वाला कोस्ट गार्ड कानून पारित कर चुका है। बताया तो यह जा रहा है कि भूमि संबंधी (सीमा) कानून अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण और कोविड से उपजी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लाया गया है। आशंका जताई जा रही है कि अफगानिस्तान से मुस्लिम कट्टरपंथी सीमा पार कर शिनजियांग प्रांत में आ सकते हैं और उइगर मुस्लिमों से मिल सकते हैं। मगर हकीकत यह है कि चीन की 14 देशों के साथ 22 हजार किलोमीटर की लंबी सीमा है जिससे 12 देशों के साथ सीमा संबंधी मसले सुलझाने के वादे किए गए हैं। चीन के भूमि सीमा संबंधी कानून को लेकर सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि यह कानून ऐसे समय आया है, जब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध कायम है और हाल ही में उसने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा उठाने की भी कोशिश की थी। भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता, लेकिन इसके साथ ही चीन की इन नई गतिविधि पर कड़ी नजर रखनी होगी। दोस्ताना माहौल के लिए कानून की नहीं, बल्कि अच्छे पड़ोसी और भाईचारे की भावना की जरूरत होती है, जो उसमें न पहले कभी रही, न अब दिख रही है।

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