Wednesday 3 November 2021

बढ़ती महंगाई गरीबों की पीठ तोड़ रही है

महंगाई आसमान छू रही है। आश्चर्य और दुख की बात यह है कि बढ़ती महंगाई से जनता परेशान है और कोई सुनने वाला नहीं है। सरकार चुप्पी साधे बैठी है। लगता है कि उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। आम जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई है। दो वक्त की रोटी भी गरीब को नसीब नहीं हो रही। रही बात दीपावली की तो दीपावली से ऐन पहले 19 किलो वाले कॉमर्शियल सिलेंडर के दाम एकदम 266 रुपए बढ़ा दिए गए हैं। अब दिल्ली में इसका रेट 2000.50 रुपए हो गया है। खाने के तेल के दाम भी बढ़े हुए हैं। पेट्रोल-डीजल के रेट में बढ़ोत्तरी नवम्बर में जारी रही। दोनों के दाम 35-35 पैसे प्रति लीटर बढ़े हैं। दिल्ली में पेट्रोल 110.04 रुपए और डीजल 98.42 रुपए प्रति लीटर हो गया है। इस बढ़ोत्तरी के कारण सब्जियों और अन्य घरेलू खाद्य वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। वाहनों के मालभाड़े और यात्री किराये में तेजी आ रही है। 31 दिनों में 24 बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हुआ है। हालांकि रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट है। कच्चे तेल की सप्लाई बूस्ट करने के लिए चीन ने दो गैसोलीन और डीजल के भंडार खोले हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट आ सकती है। सत्ता में बैठे नेताओं को फर्क नहीं पड़ता। गरीब और भुखमरी के शिकार लोगों की हालत खराब है। टमाटर, प्याज तक के रेट बढ़ गए हैं। इस दौरान खबर आई है कि सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क के रूप में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 43 हजार करोड़ रुपए की ज्यादा कमाई हुई है। इस अवधि में कुल उत्पाद शुल्क संग्रह सालाना आधार पर 33 प्रतिशत बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया। यह महामारी पूर्व स्तर (2019) के 93,930 करोड़ रुपए से 79 प्रतिशत ज्यादा है। 2020-21 के अप्रैल-सितम्बर में कुल उत्पाद शुल्क संग्रह 1.28 लाख करोड़ रुपए का रहा था। सरकारी तिजोरी भरते जाने के बावजूद लोगों को राहत नहीं है। चाहे केंद्र सरकार हो चाहे राज्य सरकारें सभी ने पेट्रोल-डीजल उत्पाद को जनता की कीमत पर अपनी आमदनी का बड़ा जरिया बना लिया है। मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने रविवार को कहा कि अगर जनता की आमदनी बढ़ रही है तो उसे थोड़ी महंगाई भी स्वीकार करनी पड़ेगी, साथ ही मंत्री ने कहा कि सरकार नागरिकों को हर चीज मुफ्त नहीं दे सकती। मंत्री से पूछा गया कि पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी कीमतों की मार झेल रही आम जनता को राहत देने के लिए क्या राज्य सरकार इन पर मूल्य संवर्द्धित (वैट) नहीं घटा सकती? इस पर उन्होंने कहा कि अब सरकार (नागरिकों को) मुफ्त में हर चीज नहीं दे सकती। पेट्रोलियम पदार्थों पर कर वसूली से सरकार को राजस्व मिलता है। इसी राजस्व से विकास और जनहित की सरकारी योजनाएं चलती हैं। जनता घुट-घुट कर मर रही है और मंत्री जी बढ़ती कीमतों को तर्कसंगत बता रहे हैं?

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