Tuesday, 23 November 2021

कृषि कानून वापसी मोदी का मास्टर स्ट्रोक?

मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने 20 अक्तूबर को बीबीसी को दिए साक्षात्कार में कहा था, कृषि कानून पर केंद्र सरकार को ही मानना पड़ेगा, किसान नहीं मानेंगे और एक महीने बाद उनकी यह बात सच साबित हो गई। मोदी सरकार ने नए कृषि कानून वापस लेने का फैसला ले लिया है। इसकी टाइमिंग की चर्चा खूब हो रही है। अगले हफ्ते 29 नवम्बर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है। पांच राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। जहां एक दिन पहले ही अमित शाह को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई थी। लेकिन गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा कर सबको चौंका दिया। सोशल मीडिया पर इसके साथ ही मास्टर स्ट्रोक ट्रेंड कर रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह फैसला एक मास्टर स्ट्रोक है। इस वजह से अब इस टाइमिंग में पंजाब एंगल भी जुड़ गया है। सालों से भाजपा कवर कर रही एक वरिष्ठ पत्रकार कहती हैं कि मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे उत्तर प्रदेश और पंजाब, दोनों कारण हैं। जाहिर है कि उत्तर प्रदेश चुनाव पर असर मुख्य वजह है। लेकिन पंजाब भी कई लिहाज से भाजपा के लिए अहम राज्य है। पंजाब पाक सीमा से लगा राज्य है। बहुत सारे खालिस्तानी ग्रुप अचानक सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में चुनाव से पहले कई गुट पंजाब में एक्टिव हैं जो मौके का फायदा उठाने की फिराक में हैं। जब भाजपा और अकाली दल का गठबंधन हुआ था, उस वक्त दोनों दलों के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी और प्रकाश सिंह बादल की सोच यह थी कि अगर सिखों की नुमाइंदगी करने वाली पार्टी (अकाली दल) और खुद को हिन्दू के साथ जोड़ने वाली पार्टी (भाजपा) साथ में चुनाव लड़े तो राज्य और देश की सुरक्षा के लिहाज से यह बेहतर होगा। इस वजह से सालों तक यह गठबंधन चला। पंजाब लांग टर्म के लिए भाजपा के लिए बहुत अहम है। 80 के दशक की चीजें दोबारा से वहां शुरू हो जाएं, ऐसा कोई नहीं चाहता। इस वजह से भी केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया। नए कृषि कानून की वजह से अकाली दल ने पिछले साल भाजपा से नाता तोड़ लिया था और एनडीए से अलग हो गए थे। अकाली दल भाजपा की सबसे पुरानी साथी थी। एक विशेषज्ञ ने टिप्पणी कीöदेर आए दुरुस्त आए। यह फैसला 700 किसानों की बलि देने के बाद आया है। मोदी सरकार ने नए कृषि कानून रद्द खुद नहीं किए, उनको किसानों के गुस्से की वजह से ऐसा करना पड़ा। इस फैसले से उनके अनुसार पंजाब में भाजपा को कोई सियासी फायदा नहीं होने वाला। बेशक कैप्टन अमरिन्दर सिंह के उनके साथ आने से भी शायद ही पंजाब में भाजपा की दाल गले। यह देखना बाकी है कि मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अकाली दल वापस एनडीए के साथ आती है या नहीं? एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश को कई इलाकों में बांटते हुए भाजपा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान अमित शाह को दी गई थी। यह अपने आपमें इस बात का स्पष्ट संकेत था कि इस क्षेत्र को भाजपा कितना अहम मानती है। कुछ विश्लेषकों के अनुसार किसान आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर पड़ सकता है। कुल मिलाकर भाजपा समर्थक इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक मान रही है। बाकी तो समय ही बताएगा। -अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment