Thursday 4 November 2021

हैदर ने अलकायदा फार्मूले से किए बम धमाके

2013 में पटना जंक्शन और गांधी मैदान में पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुए बम धमाकों में प्लांट किए गए बम अलकायदा के फार्मूले पर रांची के आतंकी हैदर ने तैयार किए थे। अलकायदा की मैगजीन इंस्पायर से देखकर बनाए गए इन्हीं बमों में से एक ने 27 अक्टूबर 2013 को पटना जंक्शन पर धमाके से एक आतंकी को मौत तक पहुंचाया, फिर गांधी मैदान में नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान 6 विस्फोटों में 6 लोगों की जान गई और 89 घायल हुए। एनआईए की जिस जांच ने इन आतंकियों को सजा तक पहुंचाया है, उसकी चार्जशीट अनुसार लाइन मौहल्ला, रांची का रहने वाला हैदर इस ब्लास्ट का मास्टर माइंड। उसने अलकायदा की आनलाइन मैगजीन इंस्पायर को पढ़कर एल-बो व टाइमर बम बनाना सीखा। सीखने के बाद उस बम को गांधी मैदान में प्लांट कर दिया। बम बनाने का सामान रामपुर, मिर्जापुर, इलाहाबाद, रांची से खरीदा गया था। बोधगया ब्लास्ट का सिलेंडर बम भी हैदर ने ही बनाया था। गांधी मैदान में भीड़ में भगदड़ मचाने के लिए बमों के प्लांट किया गया था। धमाकों में दोषी पाए गए चार आतंकियों को मौत की सजा सुनाकर इस मामले को निर्णायक पगति तक पहुंचाने के लिए एनआईए बधाई की पात्र है। एनआईए की विशेष अदालत ने नौ दोषियें में से चार को फांसी की सजा सुनाई है। अन्य पांच में से दो को उम्र कैद, दो को 10-10 साल और एक को सात साल की सजा सुनाई है। जबकि एक अन्य आरोपी यूपी के फखरुद्दीन को निर्दोष पाते हुए कोर्ट ने रिहा कर दिया था। वह आठ साल से जेल में बंद था। तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनकी सभा के ऐन पहले सुबह 9.30 बजे से 12.30 बजे के बीच पटना रेलवे स्टेशन और गांधी मैदान सहित कुछ जगहों पर बम धमाके किए गए थे। हालांकि इन धमाकों की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली थी, लेकिन जांच एजेंसियों ने पतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएएम) और उससे जुड़े एक अन्य पतिबंधित संगठन सिमी पर शक जताया था और यह सच साबित हुआ भी। रैली में करीब 3 लाख लोग मौजूद थे, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आतंकी किस तरह की दहशत पैदा करना चाहते थे। एक आरोपी को घटनास्थल पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था जिससे पूछताछ में सारी साजिश का पता चला। एनआईए के इस फैसले ने जता दिया है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में आतंकवाद की कोई जगह नहीं हो सकती। यह फैसला उस कट्टरपंथी विचारधारा पर भी सवाल खड़े करता है जिसके बहकावे में आकर युवा, यहां तक कि नाबालिग भी आतंक के रास्ते पर चल पड़ते हैं। -अनिल नरेन्द्र

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