Monday, 22 November 2021

गुजरात बन गया है मादक पदार्थ तस्करी का अड्डा

देश में ड्रग्स की घुसखोरी के लिए पाकिस्तानी ड्रग्स माफियाओं ने गुजरात की समुद्र सीमा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जबकि एजेंसियों के सतर्क होने के कारण ड्रग्स की बड़ी-बड़ी सप्लाई पकड़ी जा रही है। राज्य के पुलिस प्रमुख आशीष भाटिया ने बताया कि पकड़े गई ड्रग्स की सप्लाई लेने के बाद मारेबी लाया गया। अधिकांश ड्रग्स भारत में लाकर विदेश भेजी जाती है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान गुजरात से मादक पदार्थों की जब्ती और कुछ गिरफ्तारियों की खबरें आई हैं। इसके अलावा हाल में मुंबई में क्रूज जहाज पर मादक पदार्थों की जब्ती के मामले में समूचे देश का ध्यान इस मामले की ओर खींचा है। सोमवार को गुजरात में आतंकवाद निरोधक दस्ते ने सवा सौ किलो हेरोइन जब्त कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इतनी बड़ी तादाद में हेरोइन की कीमत छह सौ करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। इससे पहले बीते कुछ दिनों में गुजरात पुलिस ने मादक पदार्थों की दो बड़ी खेप जब्त कीं। वहीं गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते ने 2016 से लेकर अब तक 29,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कीमत का मादक पदार्थ जब्त किया गया है। इसमें 900 करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ अकेले इस साल बरामद किए गए। इस दौरान 70 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। गुजरात के ही अडानी मुंद्रा बंदरगाह से करीब 3000 किलो मादक पदार्थ जब्त किए गए थे। सवाल है कि छिपी हुई आपराधिक गतिविधियों का भी भंडाफोड़ करने और हर स्तर पर निगरानी का दावा करने वाली सरकार और उसकी पुलिस की नजरों के सामने इतने बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी के जाल ने कैसे अपना इतना बड़ा तंत्र खड़ा कर लिया? दरअसल अब तक पंजाब के माध्यम से पाकिस्तान से ड्रग्स सप्लाई होती थी पर अब लगता है कि पाकिस्तान, ईरान या अफगानिस्तान से भारत में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए गुजरात का समुद्र तट पसंदीदा मार्ग बन गया है। तस्कर पाकिस्तान से चलकर गुजरात के कच्छ या भुज समुद्र के रास्ते अपने साथ मादक पदार्थ लेकर आते हैं। चोरी-छिपे गुजरात के अपने ठिकानों पर पहुंचाने के बाद इसे अवैध तरीकों से देश के अन्य राज्यों में भी पहुंचा दिया जाता है। जाहिर है कि इस रास्ते और इलाके में तस्करी की कोई न कोई सुविधा है, जिसके बलबूते पर वह कई देशों के इतने बड़े दायरे में अपना धंधा चला रहे हैं। पिछले कुछ समय में जितनी मात्रा में हेरोइन या दूसरे मादक पदार्थों की जब्ती की खबरें आई हैं, अनुमानों के मुताबिक वह इस कारोबार का महज छोटा-सा हिस्सा है। इस तरह छोटे स्तर पर की जा रही कार्रवाइयों या अभियानों से कुछ समय के लिए समस्या काबू में आती भले दिख सकती हो, लेकिन जब तक इस कारोबार के असली खेप लाने वालों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा, तब तक इसके मूल तंत्र तक पहुंच कर उन्हें तोड़ा या खत्म नहीं किया जा सकता। फिर इस बात की बारीकी से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि आखिर गुजरात में इन तस्करों के साथ स्थानीय अधिकारी भी कौन हैं? बिना अधिकारियों की मिलीभगत के इतनी बड़ी तादाद में मादक पदार्थ फल-फूल नहीं सकता।

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