Sunday, 7 November 2021
जीते जी न दें कभी बच्चों को अपनी सम्पत्ति
उद्योगपति विजयपत सिंघानिया का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में जो सबसे बड़े सबक सीखे हैं उनमें से एक यह भी है कि किसी को जीवित रहते अपनी सम्पत्ति अपने बच्चों को देते समय सावधान रहना चाहिए। रेमंड समूह के पूर्व चेयरमैन एमेरिटस ने अपनी आत्मकथा ऐन इनकम्पलीट लाइफ में अपने बचपन से लेकर रेमंड में बिताए कई दशकों और उसके बाद के जीवन का वृत्तांत लिखा है। परिवार के सदस्यों के बीच सम्पत्ति को लेकर हुए विवाद में फरवरी 2015 में सिंघानिया को अपना काम और पैतृक घर छोड़ना पड़ा था। उन्होंने जो खोया था उसे पाने के लिए वह आज भी संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहाöअनुभव से मैंने सबसे बड़ा सबक सीखा, वह यह कि अपने जीवित रहते अपनी सम्पत्ति को अपनी संतानों को देते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आपकी सम्पत्ति आपके बच्चों को मिलनी चाहिए लेकिन यह आपकी मौत के बाद ही होनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि किसी माता-पिता को वह झेलना पड़े जिससे मैं हर दिन गुजरता हूं। सिंघानिया के अनुसार, अब सब कुछ उनके ऊपर निर्भर करता है। उन्होंने कहाöमुझे मेरे कार्यालय जाने से रोक दिया गया जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज पड़े हैं और अन्य सामान जोकि मेरा है। अपनी किताब में सिंघानिया ने लिखाöमुंबई और लंदन में मुझे अपनी कार छोड़नी पड़ी और मैं अपने सचिव से भी सम्पर्प नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि रेमंड के कर्मचारियों को कड़े आदेश दिए गए हैं कि वह मुझसे बात नहीं करें और मेरे कार्यालय में न आएं। प्रसिद्ध सिंघानिया परिवार में जन्मे विजयपत सिंघानिया से यही उम्मीद की जाती थी कि वह अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालेंगे लेकिन कोई उन्हें उनकी रुचि का काम करने से रोक नहीं सका और उन्होंने पायलट के तौर पर आकाश में दो विश्व कीर्तिमान स्थापित किए, कुछ समय के लिए प्रोफेसर रहे, एक बार मुंबई के शेरिफ भी बने।
-अनिल नरेन्द्र
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