Thursday, 18 November 2021

न्यायपालिका की स्वतंत्रता सबसे अहम है

देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने रविवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका के मानस को लाखों लोग निचली अदालतों और जिला न्यायपालिका के कार्यों के जरिये मोटे तौर पर जान सकते हैं। अत न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की सभी स्तरों पर रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका कल्याणकारी राज को आकार देने में हमेशा सबसे आगे रही है और देश की संवैधानिक अदालतों के फैसलों में सामाजिक लोकतंत्र को फलने-फूलने में सक्षम बनाया है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित जागरुकता एवं सम्पर्प अभियान के समापन समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस रमण ने कहाöहम एक कल्याणकारी राज का हिस्सा हैं, इसके बावजूद लाभ चिन्हित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक मुख्य चुनौती गरीबी है। उन्होंने कहाöभारतीय न्यायपालिका के मानस को लाखों लोग निचली अदालत और जिला न्यायपालिका के क्रियाकलापों के जरिये जान सकते हैं। बहुत बड़ी संख्या में वादियों के लिए जो वास्तविक और विद्यमान हैं, वह केवल न्यायपालिका ही है। न्याय प्रदान करने की प्रणाली को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाए बगैर हम स्वस्थ न्यायपालिका की कल्पना नहीं कर सकते। इसलिए न्यायपालिकाओं की सभी स्तरों पर स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है। प्रधान न्यायाधीश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों को पहली बार प्रत्यक्ष रूप से संबोधित कर रहे थे। एनएएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूयू ललित ने अभियान में शामिल पैरा-लीगल स्वयंसेवकों के प्रयासों की सराहना की।

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