Friday 19 November 2021

उग्रवादी संगठनों की चीनी साठगांठ

मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद पूर्वोत्तर में उग्रवादी गुटों की चुनौती को लेकर सुरक्षा व गुप्तचर एजेंसियां एक बार फिर हाई अलर्ट पर हैं। सुरक्षा एजेंसियों की ओर से उग्रवादी संगठनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। माना जा रहा है कि इस समय 20 से अधिक उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर में सक्रिय हैं। पीएलए सहित आधा दर्जन से ज्यादा गुट मणिपुर में भी अपनी गतिविधियां चला रहे हैं। एजेंसियों को आशंका है कि चीन की मदद से उग्रवादी संगठन नए सिरे से गतिविधियां शुरू कर सकते हैं। म्यांमार में कई उग्रवादी गुटों के कैंप हैं, जो पूर्वोत्तर में हिंसा की साजिश रचते हैं। इसके अलावा इनका चीनी कनेक्शन मजबूत है। एजेंसियों को आशंका है कि कुछ संगठनों ने म्यांमार से हटकर दक्षिण चीन के इलाके में ठिकाना बना लिया है। मणिपुर में पीएलए का चीन से मजबूत सम्पर्प है। इसके अलावा कई अन्य गुट भी चीनी सेना के सम्पर्प में बताए जाते हैं। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट के प्रमुख ने म्यांमार की सीमा से सटे दक्षिणी चीन के रुडली में नया ठिकाना बनाया था। उग्रवादी संगठन का ऑपरेशनल बेस और प्रशिक्षण शिविर म्यांमार के सामैंग सब-डिवीजन में है। पिछले साल अरुणाचल प्रदेश में असम राइफल्स के जवान की हत्या के बाद इस तरह की आशंकाएं जाहिर की गई थीं कि चीन सीमा विवाद के बीच पूर्वोत्तर में नया मोर्चा खोलने की तैयारी में है। चीनी सेना पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवादी गुटों को न केवल शह दे रही है बल्कि हथियारों की आपूर्ति से लेकर सुरक्षित ठिकाने भी उपलब्ध करा रही है। 1975 में भारत सरकार और नगा नेशनल काउंसिल के बीच शिलांग समझौते का एसएस खापलांग व थिगालेंग शिवा जैसे नेताओं ने विरोध किया था, जो तब चाइना रिटर्न गैंग कहलाते थे। 1980 में खापलांग व यूईका ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम का गठन किया था। 1998 में इसाक मुईवा नैचिशी स्वयंभू संगठन एनएससीएन (आईएम) गुट का गठन किया, जबकि खापलांग ने अपने गुट को एनएससीएन (के) नाम दिया। पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि मणिपुर अभी भी उग्रवाद का गढ़ बना हुआ है। क्षेत्रीय-जमीनी संसाधनों पर नियंत्रण की कोशिश, पहचान बनाने की जद्दोजहद और सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (आफस्पा) का क्रियान्वयन राज्य में हिंसा की मुख्य वजह है। -अनिल नरेन्द्र

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