Tuesday, 2 November 2021
खुद ही चारों तरफ से घिर गए समीर वानखेड़े
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के मुंबई जोन इंचार्ज समीर खुद कई तरफ से घिर गए हैं। इस चक्र से निकलना आसान नहीं होगा। खासकर यह देखते हुए कि महाराष्ट्र में महाअघाड़ी सरकार है और उसके एक मंत्री नवाब मलिक ने वानखेड़े पर आरोपों की बौछार कर रखी है। मलिक रोज नए-नए आरोप लगा रहे हैं। मुंबई में कई दर्ज केस वानखेड़े को काफी परेशान कर सकते हैं। अब तो उनके अपने विभाग की विजिलेंस जांच भी हो रही है। आर्यन केस के गवाह की शिकायत पर पूरी जांच होगी। इस सबके बीच आर्यन केस के गवाह केपी गोसावी की पुणे में गिरफ्तारी हुई है। देखने की बात है कि अन्य गवाह प्रभाकर सैल की तरह अब गोसावी भी पहले के बयान से पलटता है या कायम रहता है? क्या वह वानखेड़े पर दबाव में बयान लेने या कोरे कागज पर दस्तखत लेकर कोई बयान किसी दबाव या पुलिस जांच से बचने के लिए देता है? जानकार मानते हैं कि यदि गोसावी भी हॉस्टाइल हो जाता है तो न केवल वानखेड़े की मुसीबत बढ़ सकती है, बल्कि एनसीबी के कूज केस पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि गोसावी ने कुछ दिन पहले एक वीडियो जारी कर सैल पर आरोप लगाए हैं कि वह झूठ बोल रहा है और दो अक्तूबर की रात कूज केस के बाद सैल के फोन और अन्य तरह की जांच की जाए। लेकिन जांच करेगा कौन? क्या एनसीबी करेगा और की तो इतने विवाद के बाद उस जांच का नतीजा कितना मान्य होगा? वानखेड़े पर एक केस फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का भी है। और केस भी आने वाले समय में हो सकते हैं। फिर वानखेड़े की पत्नी क्रांति ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर मदद मांगी है। वहीं वानखेड़े ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र लिखकर शिकायत की है कि महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक उत्पीड़न कर रहे हैं। राहत के लिए वानखेड़े, हो सकता है और भी कानूनी रास्ते तलाशे लेकिन फिलहाल वानखेड़े बहुत परेशान हैं। उन्होंने अदालत की सहायता ली है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एनसीबी मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े को गिरफ्तारी से आंशिक राहत देते हुए बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि रिश्वत और भ्रष्टाचार के मामले में मुंबई पुलिस को गिरफ्तारी से कम से कम तीन दिन पहले वानखेड़े को नोटिस देना होगा। इस पर महाराष्ट्र सरकार के वकील ने भी आश्वासन दिया कि तीन कामकाजी दिनों का नोटिस देने के बाद ही उनकी गिरफ्तारी होगी। कोर्ट ने हालांकि वानखेड़े की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की थी। वानखेड़े ने बृहस्पतिवार को बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख करते हुए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की मांग की थी, साथ ही जांच के लिए मुंबई पुलिस की चार सदस्यीय टीम गठित किए जाने के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की भी मांग की थी। महाराष्ट्र सरकार ने शुरुआत में उनकी इस याचिका का विरोध किया लेकिन बाद में मुख्य लोक अभियोजक अरुणा पाई ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि तीन दिन का नोटिस दिए बगैर वानखेड़े को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने वानखेड़े की याचिका का निस्तारण कर दिया। इतना कहा जा सकता है कि बॉलीवुड ने वानखेड़े के खिलाफ युद्ध घोषित कर दिया है और उसकी पूरी मदद नवाब मलिक कर रहे हैं।
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