Tuesday, 30 November 2021
किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा
किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर शुक्रवार को आंदोलन स्थल पर किसानों ने संघर्ष व जीत का जश्न मनाया। धरना स्थल पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर महिला व पुरुष पहुंचे। किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर यूपी गेट पर हुई महापंचायत में भाकियू नेता राकेश टिकैत केंद्र सरकार के खिलाफ खूब बोले। किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि तीन विवादित कृषि कानून बेशक वापस हो गए, लेकिन अभी कई मुद्दे बाकी हैं। उन्होंने कहा कि संसद चलने पर ही किसान आगे की रणनीति बनाएंगे। किसान आंदोलन के पहले दिन से ही अपनी फसलों के उचित दाम मांग रहे हैं, मगर कृषि कानूनों ने डेढ़ साल पीछे कर दिया। कोरोना और तीन कृषि कानून एक बीमारी थे, दोनों 2019-20 में आए और अब दोनों ही भाग गए। किसानों ने इनका डटकर मुकाबला किया। राकेश टिकैत ने कहा कि 2011 में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी वित्त मामलों की एक कमेटी के अध्यक्ष थे। कमेटी ने पूर्व की केंद्र सरकार को रिपोर्ट दी थी कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाना चाहिए, लेकिन अब मोदी प्रधानमंत्री हैं और कमेटी की रिपोर्ट भी उनके पास है तो एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने से कौन रोक सकता है। टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले 750 किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने, लखीमपुर कांड में गृहमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने, किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने समेत अन्य कई मुद्दे हैं, जिन पर सरकार से बैठकर बात होनी बाकी है। यूपी गेट पर किसान महापंचायत में पहुंचे भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि पछतावा है कि हमने भाजपा को वोट दिया। पार्टी को खुलकर समर्थन करना हमारी बड़ी भूल थी। हम यहां विधानसभा चुनाव पर बैठक करने नहीं आए हैं। लोगों का अधिकार है कि वह अपनी पसंद से किसी को भी वोट दें। नरेश टिकैत ने कहा कि हम किसानों के साथ हैं और उनके लिए बात करनी है। आगे से किसी भी पार्टी को खुला समर्थन नहीं करेंगे। तीन विवादित कृषि कानूनों की वापसी पर कहा कि एक कहावत हैö`न तुम जीते न हम हारे।' हम इसे सरकार की हार नहीं मान रहे। अब प्रधानमंत्री एमएसपी पर गारंटी कानून की भी बात करें। कृषि कानूनों की वापसी के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हैं। कई माह से सरकार ने वार्ता भी बंद कर दी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने अचानक निर्णय लिया। कानून वापस होने से लोगों में खुशी है। उन्होंने कहा कि एक साल से चल रहे आंदोलन को कुछ घंटों में कैसे खत्म कर दें।
सवाल दागी राजनेताओं पर ताउम्र पाबंदी लगाने का?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह उन राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने पर विचार करने को तैयार है, जिन्हें अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की पीठ ने वकील अश्विनी उपाध्याय की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से यह सवाल पूछा। न्यायमूर्ति रमण के साथ पीठ में न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी थे। न्यायाधीशों ने कहा कि जब तक केंद्र चुनाव आयोग की राय लेने के बाद लोक प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन का निर्णय नहीं लेता है, तब तक अदालत के लिए इस मुद्दे पर फैसला करना मुश्किल है। राजू ने जवाब दिया कि वह सरकार के निर्देश लिए बिना कुछ भी नहीं कह सकते। उपाध्याय की जनहित याचिका में दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के दायरे को इस हद तक चुनौती देती है, जब यह व्यक्तियों को निर्दिष्ट अपराधों के लिए सजा दिए जाने पर केवल कुछ वर्षों की अवधि के लिए चुनाव लड़ने से रोकती है। याचिकाकर्ता उपाध्याय ने पीठ से आजीवन प्रतिबंध की मांग वाली अपनी जनहित याचिका में उठाए गए मुख्य मुद्दे पर सुनवाई करने का आग्रह किया था। उन्होंने तर्प दियाöएक दोषी व्यक्ति क्लर्प नहीं बन सकता, लेकिन मंत्री बन सकता है। यह मनमानी है। न्यायमूर्ति रमण ने चुटकी लेते हुए कहाöअश्विनी उपाध्याय ने 18 याचिकाएं दायर की हैं। मैं चाहता हूं कि अश्विनी उपाध्याय और एनएल शर्मा के मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत की जरूरत है। उपाध्याय की याचिका पर अदालत ने मौजूदा और पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाने के लिए कई आदेश पारित किए हैं। अदालत मुख्य रूप से इस मुद्दे पर चर्चा कर रही थी कि क्या मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय मामलों में सेशन अदालत स्तर पर बनाई गई विशेष एमपी/एमएलसी अदालतों को सौंपा जा सकता है। पीठ ने स्पष्ट किया कि उसके आदेशों का गलत अर्थ नहीं निकाला जा सकता है कि मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय मामलों को सेशन अदालत को सौंपा जाना है। पीठ ने कहाöइस अदालत के निर्देश पूर्व और मौजूदा विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों को सेशन अदालतों या जैसा भी मामला हो, मजिस्ट्रियल अदालतों को सौंपने और आवंटित करने का आदेश देते हैं। यह लागू कानून के शासी प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए। परिणामस्वरूप जहां दंड संहिता के तहत एक मजिस्ट्रेट द्वारा मामला विचारणीय है। मामले को अधिकार क्षेत्र वाले मजिस्ट्रेट की अदालत को सौंपना/आवंटित करना होगा और इस अदालत के दिनांक चार दिसम्बर 2018 के आदेश को एक निर्देश के रूप में नहीं माना जा सकता है।
गरीबों में कमी आने का दावा
केंद्र सरकार का मानना है कि वित्त वर्ष 2016 से लेकर 2020 के बीच सरकार की ओर से चलाई जा रहीं कल्याणकारी योजनाओं की वजह से भारत में जमीनी स्तर पर सुधार हुआ है और यह देखने को भी मिल रहा है। सरकार के एक्सप्लेनर नोट में बताया गया यहै कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एनएफएचएस-5 के पांचवें दौर के प्रारंभिक निष्कर्षों ने कल्याणकारी लक्ष्यों में सुधार का सुझाव दिया है, जो अभाव में कमी दर्शाता है यानि गरीबी दूर करने के विभिन्न मानकों में सुधार हुआ है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जब राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) का अगला एडिशन आएगा तो उसमें सुधार भी दिखाई देगा। आधारभूत राष्ट्रीय एमपीआई 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के चौथे दौर के आधार पर तैयार किया गया था। एनएफएचएस-5 सर्वे 2019-20 के बीच किया गया है। सरकार का दावा है कि 24 नवम्बर को जारी एनएफएचएस के आंकड़े शुरुआती दौर में देखने पर काफी उत्साहजनक लग रहे हैं। रिपोर्ट में स्वच्छ खाना पकाने के तेल, स्वच्छता और बिजली तक पहुंच में सुधार का सुझाव दिया गया है। यह अभाव में कमी को दर्शा रहा है। इसके अतिरिक्त 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए जारी राज्यों की रिपोर्ट में स्कूल में उपस्थित पेयजल, बैंक खातों और आवास में कमी को दूर करने का सुझाव दिया गया है। यह सुधार एनएफएचएस-5 घरेलू माइक्रो डाटा पर आधारित आगामी सूचकांक में बहुआयामी गरीबी की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी की समग्र दिशा का संकेत देते हैं। एनएफएचएस के चौथे राउंड के बाद से प्रमुख योजनाओं के माध्यम से मिल रहे फैक्ट शीट और नेशनल एमपीआई आधार पर आने वाली रिपोर्ट में भी दिखाई देता है।
-अनिल नरेन्द्र
Sunday, 28 November 2021
प्रधानमंत्री ने एक तीर से कई निशाने साधे
राजधानी दिल्ली से सटे जेवर में एक नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण से उत्तर प्रदेश में निवेश के नए दरवाजे तो खुलेंगे ही, इससे दिल्ली-एनसीआर की बड़ी आबादी को हवाई सफर का एक और बेहतर विकल्प मिल सकेगा। हवाई अड्डा न सिर्फ लोगों के आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए जरूरी होता है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को भी उड़ान भरने में मदद करता है। इस दृष्टि से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का शिलान्यास सरकार की दूरदर्शिता का परिचायक है। दिल्ली से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर प्रदेश के जेवर में दुनिया के चौथे सबसे बड़े हवाई अड्डे का प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया। शिलान्यास के बहाने मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे। सीधे-सीधे देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेवर में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के शिलान्यास कार्यक्रम में कोई बड़ी घोषणा या बात नहीं कही, लेकिन 30 मिनट के संबोधन में उन्होंने केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। राज्य सरकार की प्रशंसा की और विपक्षी दलों पर हमले किए। इस बीच वह विकास की बात कहना नहीं भूले। मंच पर मौजूद नेताओं में किसी के कंधे पर हाथ रखा तो किसी से रुक कर हालचाल भी जाना। अपने संबोधन में उन्होंने कई वर्गों को समेटा और साधने का प्रयास भी किया। उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को शिलान्यास करने के बाद विपक्षी पार्टियों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहाöइस एयरपोर्ट से खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को ज्यादा फायदा होगा। हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। पहले की सरकारों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अनदेखी की है। दो दशक तक एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को लटकाए रखा। लोगों को झूठे सपने दिखाए। सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए घोषणाएं होती थीं। लेकिन हमारी सरकार का मकसद है कि प्रोजेक्ट लटके-भटके और अटके नहीं। हमारे लिए इंफ्रास्ट्रक्चर राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति का एक हिस्सा है। अपने भाषण में मोदी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जिक्र कई बार किया। एयरपोर्ट से कैसे इस इलाके को फायदा होगा वह यह गिनाना नहीं भूले। एयरपोर्ट केवल यात्रियों के लिए ही फायदेमंद नहीं होगा यह इस क्षेत्र में बड़ी आर्थिक क्रांति भी लेकर आएगा। इसे उन्होंने स्पष्ट किया। भले ही अभी यह योजना स्तर पर ही है। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट से छोटे किसानों को फायदा होगा। अब वह अपनी उपज को आसानी से निर्यात कर पाएंगे। आसपास के शहरों में जो भी उत्पाद है, सहारनपुर का फर्नीचर, मुरादाबाद का ब्रासवेयर, मेरठ का स्पोर्ट्स का सामान, आगरे का पेठा, इन सबको बड़ा बाजार मिल पाएगा। वह केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाने से भूले नहीं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कनेक्टिविटी पर ज्यादा काम किया है। मिसाल के तौर पर उन्होंने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे का जिक्र किया। पीएम को जवाब में बसपा प्रमुख मायावती ने कहाöजेवर एयरपोर्ट शुरू करने की हमारी तैयारी थी। लेकिन उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अड़ंगा लगा दिया। भाजपा इस वक्त शिलान्यास करके चुनावी फायदा लेना चाहती है। समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि यह कैसी सरकार है, जो एक तरफ तो एयरपोर्ट बेच रही है, तो दूसरी तरफ नया बना रही है। अगर हम राजनीतिक नफे-नुकसान के बजाय वास्तविक फायदों की दृष्टि से देखें तो यह हवाई अड्डा निस्संदेह केंद्र और राज्य सरकार की बड़ी उपलब्धि साबित होगा।
आबादी में पहली बार 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं
देश के लिए सुकून की खबर है। पहली बार भारत की कुल आबादी में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। बुधवार को जारी नेशनल हैल्थ-सर्वे-5 के आंकड़ों से यह पता चलता है। इससे पहले 2015-16 में हुए एनएफएफएस-4 में यह आंकड़ा प्रति 1000 पुरुषों पर 991 महिलाओं का था। यही नहीं, जन्म के समय का लिंगानुपात भी सुधरा है। 2015-16 में यह प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का था। ताजा सर्वे में यह आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों पर पहुंच गया है। खास बात यह है कि कुल आबादी में लिंगानुपात शहरों के बजाय गांवों में बेहतर है। गांवों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं हैं। आबादी में महिलाओं का अनुपात भले ही बढ़ गया है, लेकिन अभी तक उनकी स्थिति बहुत बेहतर नहीं हुई है। आज भी देश में 41 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं जिन्होंने 10 वर्ष से ज्यादा स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की है, यानि वह 10वीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ सकीं। 59 प्रतिशत महिलाएं 10वीं से आगे नहीं पढ़ सकीं। ग्रामीण इलाकों में तो सिर्फ 33.7 प्रतिशत महिलाएं ही 10वीं के आगे नहीं पढ़ सकीं। 5जी के दौर में भी इंटरनेट देश की सिर्फ 37.3 प्रतिशत महिलाओं तक पहुंच पाया है।
यूरोप में कोविड की घातक चौथी लहर
यूरोप एक बार फिर दुनिया में कोरोना का केंद्र बन गया है। इस महीने दुनिया में कोरोना से हुई कुल मौतों में से आधी से अधिक यूरोपीय देशों में हुई हैं। यूरोप में हर हफ्ते 20 लाख से अधिक मामले आ रहे हैं। इस वायरस को रोकने के लिए यूरोपीय देश की सरकारें फिर से सख्त नियमों को लागू कर सकती हैं। इस सख्ती के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया ने पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया है। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेम्स स्पैन ने चेताते हुए कहा कि इस साल के अंत तक जर्मनी के लोग या तो पूरी तरह वैक्सीनेटिड हो जाएंगे या ठीक हो जाएंगे या मर जाएंगे। केस बढ़ने के कारण बेल्जियम ने मास्क अनिवार्य कर दिया है। लोगों को घर से ही काम करने के निर्देश दिए गए हैं। सख्त नियमों और वैक्सीन के लिए प्रेरित करने वाले सरकारी उपायों के विरोध में ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, बेल्जियम, डेनमार्क, इटली, नीदरलैंड्स में प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य के नाम पर सामान्य जीवन में दो साल की घुसपैठ से तंग आ चुके हैं। उधर फ्रांस के प्रधानमंत्री जीन कास्टैक्स संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। वह 10 दिन से घर में रहकर ही कामकाज देखेंगे। उधर डब्ल्यूएचओ ने आशंका जताई है कि यूरोप में मार्च 2022 तक कोरोना से कुल मौतों का आंकड़ा 20 लाख तक पहुंच सकता है। ब्रिटेन में कोविड तेजी से पांव पसार रहा है। बीते 24 घंटे में करीब 45 हजार नए मामले सामने आए हैं। क्रिसमस शॉपिंग करने के लिए लोगों को कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य कर दिया गया है, साथ ही ब्रिटेन जनवरी में यह मात्रा नियमों को रिव्यू करेगा। इटली में दोनों डोज ले चुके लोगों के लिए बूस्टर डोज शुरू कर दी गई है। दूसरी डोज लेने के पांच महीने बाद यहां लोग बूस्टर डोज ले सकेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
Saturday, 27 November 2021
कच्चे तेल के रिजर्व स्टॉक खोलने का ऐलान
कच्चे तेल की कीमत में पिछले एक साल में आई करीब 60 प्रतिशत वृद्धि को देखते हुए भारत और अमेरिका समेत प्रमुख तेल आयातक देशों ने अपने रिजर्व स्टॉक का एक हिस्सा बाजार के लिए जारी करने का जो फैसला किया है, उससे फौरी तौर पर तो तेल के दाम घटेंगे ही, इससे उन तेल उत्पादक देशों पर दबाव बनने की भी उम्मीद है, जो जानबूझ कर कम तेल उत्पादन करते हैं, जिसके कारण दाम बढ़ाते हैं। तेल और गैस की ऊंची कीमतों से जूझते दुनिया के प्रमुख देशों ने तेल की आपूर्ति बढ़ाने का जो फैसला किया है यह एक ऐतिहासिक फैसला है। अमेरिका ने पांच करोड़, भारत ने 55 लाख और जापान ने 42 लाख तेल (बैरल) निकालने का ऐलान किया है। 1990 में खाड़ी युद्ध के चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट आई थी। तब हमारे पास केवल तीन हफ्ते के आयात का पैसा बचा था। तेल के भावी संकट को देखते हुए तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 में भंडार बनाने का सुझाव दिया था। दुनिया के काफी देशों ने तेल के रणनीतिक रिजर्व भंडार के बारे में शायद पहली दफा सुना होगा। रणनीतिक भंडार इसलिए बनाना जरूरी है कि प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध और आपूर्ति में अनपेक्षित व्यवधान से निपटने के लिए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार बनाए जाते हैं। भारत के पास पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तटों पर जिन जगहों पर बनी भूमिगत गुफाओं में 3.8 करोड़ बैरल कच्चा तेल आपातकालीन भंडार के रूप में रखा है। यह भंडार आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम, कर्नाटक के मंगलूरो और पदूर में है। 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार ने ओडिशा के चंडीखोल और कर्नाटक के पदूर में दूसरे चरण के भंडार बनाने की मंजूरी दी है। कच्चा तेल भंडारण जमीन के नीचे पत्थरों की गुफाओं में किया जाता है। इन्हें हाइड्रो कार्बन जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है। आपातकालीन तेल भंडार खोलने के ऐलान के बाद कच्चे तेल के दामों में गिरावट देखी गई। लोग यह जानना चाहते हैं कि सरकारों के रिजर्व तेल निकालने के फैसले से क्या उन्हें सस्ता पेट्रोल-डीजल मिलेगा। लेकिन इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। रिफाइनरियां कच्चे तेल की अग्रिम खरीद करती हैं। ऐसे में वह फिलहाल महंगे तेल को शोधित कर रही हैं। अभी कच्चे तेल के दाम ज्यादा घटने के आसार कम हैं, पर चुनावी मौसम में सरकार पहले की तरह रोज-रोज पेट्रोल-डीजल महंगा करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। इसी कारण हाल में हुए उपचुनावों के नतीजे आने के बाद जो भाजपा के लिए निराशाजनक थे, पिछले दिनों ईंधन पर ज्यादा शुल्क में कटौती की ही गई पर चूंकि उपभोक्ता पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, इसलिए अब यह उपाय अपनाया जा रहा है। हमारी सरकार के लिए रिजर्व स्टॉक जारी करना इसलिए भी आसान है, क्योंकि कोविड के दौर में उसने करीब 19 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल प्रचुरता में खरीद कर अपना रिजर्व स्टॉक भर लिया था। लेकिन तेल उत्पादक देशों की दबंगई के खिलाफ उठाए जा रहे इस कदम की तारीफ तो की ही जानी चाहिए। अच्छी बात यह भी है कि तीसरा सबसे बड़ा आयातक भारत अब सऊदी अरब के नेतृत्व वाले कोटे पर निर्भरता की बजाय आयात के दूसरे विकल्पों पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ओपेक तेल उत्पादक देश इस कदम को सही सन्दर्भ में लेते हैं और इस पर सकारात्मक ढंग से रिएक्ट करते हैं।
तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की होड़
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के दिल्ली मिशन के तहत अन्य दलों के नेताओं को पार्टी में लेने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व महासचिव पवन वर्मा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीनों नेताओं का पार्टी में स्वागत किया है। माना जा रहा है कि कई और नेता अभी कतार में हैं। ममता के मिशन दिल्ली और प्रमुख नेताओं के टीएमसी में लाने के पीछे प्रशांत किशोर का भी दिमाग बताया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि अभी यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड के अलावा कुछ अन्य जगहों पर वरिष्ठ नेताओं से सम्पर्क रणनीतिकारों के जरिये किया गया है। ममता की मुहिम का मकसद टीएमसी को प्रमुख विपक्ष के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर उभारना है। इसके चलते कांग्रेस में सबसे ज्यादा सेंधमारी हो रही है। टीएमसी में आने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूर्व सलाहकार और राज्यसभा के पूर्व सदस्य पवन वर्मा को 2020 में राज्य में सत्तारूढ़ जद(यू) से निष्कासित कर दिया गया था। पवन वर्मा ने कहा कि मैंने टीएमसी ज्वाइन की है। जेडीयू छोड़ने के बाद काफी गहराई में जाने के बाद मुझे आज की राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि किसी भी लोकतंत्र में एक मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है। सरकार को लोकतांत्रिक ढंग से चुनौती देना जरूरी है। मैं उम्मीद करता हूं कि साल 2024 में ममता बनर्जी राष्ट्रीय चुनाव जीतकर दिल्ली में होंगी। कीर्ति आजाद ने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद कहा कि ममता बनर्जी ने जमीन पर उतर कर लड़ाई लड़ी है। पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि मैंने भी हमेशा यही प्रयास किया है कि लोगों के लिए लड़ाई सीधे जमीन पर उतर कर लड़ी जाए। उन्होंने कहा कि जो लोग देश को विभाजित करने का काम कर रहे हैं उनके खिलाफ लड़ाई लड़ूंगा। अशोक तंवर ने कहा कि मौजूदा समय में ममता बनर्जी ही विपक्ष की सबसे बड़ी नेता हैं और उनके नेतृत्व में ही भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई लड़ी जा सकती है।
निशाने पर गौतम गंभीर
आतंकी संगठन आईएसआईएस कश्मीर ने 24 घंटे के भीतर दो बार ई-मेल भेजकर भाजपा सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी है। भाजपा सांसद को ई-मेल से पहले मंगलवार रात और फिर बुधवार को दोपहर को यह धमकी दी गई। सांसद की तरफ से बुधवार को इस बाबत पुलिस को शिकायत की गई। फिलहाल पुलिस सांसद की सुरक्षा बढ़ाते हुए मामले की जांच में जुटी है। सांसद के निजी सचिव गौरव अरोड़ा ने बुधवार को मध्य जिला डीसीपी को शिकायत दी कि मंगलवार रात आईएसआईएस कश्मीर के नाम के संगठन ने ई-मेल भेजकर धमकी दी है। इस शिकायत को राजेंद्र नगर थाने को भेज दिया गया है। डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि शिकायत के बाद सांसद की व्यक्तिगत सुरक्षा व आवास की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस अभी ई-मेल के स्रोत की जानकारी हासिल कर रही थी कि बुधवार को दोपहर ढाई बजे दोबारा सांसद को ई-मेल से धमकी मिली। सूत्रों के अनुसार इस ई-मेल में हमला होने का जिक्र करते हुए सांसद से बचने की बात कही गई साथ ही परिवार की सुरक्षा के लिए राजनीति और कश्मीर मुद्दों से दूर रहने की धमकी दी भी गई। डीएसपी ने बताया कि इस मामले में स्पेशल सेल, आईबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों से भी अपने स्तर पर जांच करने को कहा गया है साथ ही फुटेज आदि खंगाली जा रही हैं। आईएसआईएस कश्मीर के आधिकारिक ई-मेल से भेजी गई दूसरी धमकी में गौतम गंभीर के घर का छह सैकेंड का वीडियो भी है। पुलिस की जांच में पता चला है कि इस वीडियो को सांसद के घर के सामने वाले पार्क में बनाया गया है। इसके इर्द-गिर्द के कैमरे खंगाले जा रहे हैं ताकि कुछ सुराग हाथ लगे। गौरतलब है कि बीते साल 27 मई को इसी इलाके से गौतम गंभीर के पिता की एसयूवी चोरी हो गई थी। इसके ठीक छह महीने बाद सांसद के सहयोगी सुमित नरवाल की एमयूवी भी इसी इलाके से चोरी हुई थी। हालांकि पुलिस अब दावा कर रही है कि उसने मसला सुलझा लिया है।
-अनिल नरेन्द्र
Friday, 26 November 2021
पठानकोट आर्मी कैंप पर आतंकी हमला
पंजाब के पठानकोट आर्मी कैंप में सोमवार तड़के ग्रेनेड से हमला किया गया। ग्रेनेड कैंप के त्रिवेणी गेट पर फेंका गया। हालांकि हमले में कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन पठानकोट में हाई अलर्ट है। इसी बीच एक लावारिस आई-20 कार भी बरामद हुई है जिसके आगे-पीछे की नम्बर प्लेट को शातिर तरीके से बदला गया है। कार के आगे पीबी10जीजे 6781 और पीछे पीबी10जीएल6781 लगाया गया है। इसमें सिर्फ बीच के जी के बाद और दो में ही अंतर रखा गया है। एसएसपी सुविंदर लांबा ने संतरी से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि रात को कैंप के सामने एक बाइक गुजरी थी। उस पर सवार लोगों ने गेट की तरफ ग्रेनेड फेंका, जिसमें ब्लास्ट हो गया। इलाके को तुरन्त सील करके चप्पे-चप्पे को खंगाला जा रहा है। बता दें कि पंजाब का पठानकोट जिला भारतीय सेना के सर्वाधिक ठिकानों में से एक है। यहां पर भारतीय वायुसेना का स्टेशन, सेना का गोला-बारूद डिपो और दो बख्तरबंद ब्रिगेड व बख्तरबंद इकाइयां हैं। पठानकोट में वायुसेना के एयर बेस पर दो जनवरी 2016 को आतंकी हमला हुआ था। भारतीय सेना की वर्दी में आए हथियारबंद आतंकियों ने इसे अंजाम दिया था। इसमें सात जवान शहीद हुए थे। सभी आतंकी भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रावी नदी के रास्ते आए थे। भारतीय इलाके में पहुंचकर आतंकियों ने कुछ गाड़ियों को हाइजैक किया था और पठानकोट एयर बेस पहुंचे थे। दो दिन पहले ही फिरोजपुर जिले की तहसील जीरा के गांव सेखा से टिफिन बम मिला था। बम को टिफिन में बंद कर जमीन में दबाया गया था। पौधारोपण के दौरान यह बम मिला था। इससे पहले भी पंजाब में आधा दर्जन से ज्यादा टिफिन बम और हैंड ग्रेनेड मिल चुके हैं। यही नहीं पुलिस ने ऐसे तीन मॉड्यूल का भंडाफोड़ भी किया है, जिसमें लोग पैसे के लिए आतंकी वारदात करने को तैयार हुए हैं। सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस वारदात को पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के ओवरग्राउंड वर्कर भी अंजाम दे सकते हैं। इस वारदात के पीछे खालिस्तान समर्थक आतंकी अथवा कश्मीरी आतंकी हो सकते हैं। इस वारदात को पंजाब में होने वाले चुनाव से पहले आतंकी हिंसा को एक संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिए और इससे सटे जम्मू-कश्मीर में भी आतंकी संगठन आने वाले दिनों में आतंकी साजिशों को अंजाम दे सकते हैं। पाकिस्तान की ओर से लंबे अरसे से पंजाब के पठानकोट तथा जम्मू-कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम देने की लगातार साजिशें हो रही हैं। इस प्रकार के लगातार इनपुट मिल रहे हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अपने पालतू आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा, अल बदर तथा हिजबुल मुजाहिद्दीन के जरिये सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठानों पर बड़े हमलों की कोशिश कर रहे हैं, घाटी का माहौल खराब करने के लिए वहां हाई ब्रिड आतंकियों के जरिये टारगेट किलिंग की जा रही है। याद हो कि पाकिस्तान की ओर से पिछले करीब डेढ़-दो साल से ड्रोन हमले लगातार पंजाब और जम्मू-कश्मीर में किए जा रहे हैं। इन सब घटनाओं से साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान पंजाब और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाने में लगा है। पठानकोट की घटना से सुरक्षाकर्मियों के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं।
मठ-मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्ति मिले
राजधानी दिल्ली अभी किसानों के आंदोलन से मुक्त भी नहीं हुई अब साधु-संतों ने सरकार को राष्ट्रवादी आंदोलन की चेतावनी दे दी है। देश के कई हिस्सों से साधु-संत दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी मंदिर में इकट्ठा हुए और मठ-मंदिर मुक्ति आंदोलन की शुरुआत की। संतों ने कहा कि हम केंद्र और राज्य सरकारों को शांति से मनाएंगे, अगर नहीं मानेंगी तो शस्त्र भी उठाएंगे। मंच से कई अखाड़ों, आश्रमों और मठों के साधु-संतों ने आक्रामक तेवर दिखाए। इस दौरान किसान आंदोलन का भी जिक्र हुआ। ज्यादातर साधु-संतों का कहना था कि जब मुट्ठीभर किसान दिल्ली के कुछ रास्ते रोककर, जमकर बैठ गए तो सरकार को झुकना पड़ा, फिर भला साधु-संतों से ज्यादा अड़ियल कौन होगा? जरूरत पड़ी तो रास्तों पर साधु-संत अपना डेरा बनाएंगे। यानि दिल्ली को स्पष्ट संदेश हैöएक और बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहो। धर्म और आस्था से जुड़े होने की वजह से यह आंदोलन जितना महत्वपूर्ण है, उससे भी ज्यादा अहम इसके आयोजन का जिम्मा लेने वाले महंत का परिचय है। दरअसल इस आंदोलन के आगाज के लिए कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय संत समिति ने किया। समिति के अध्यक्ष महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत हैं। महंत सुरेंद्र नाथ एक और वैश्विक संस्था, विश्व हिन्दू महासंघ के राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष भी हैं। आंदोलन के बारे में बातचीत करते हुए एक और संत ने कहा-जब आस्तिक सरकार सत्ता में आई तो राम मंदिर बना, लेकिन हमारा आंदोलन राम मंदिर जितना लंबा नहीं जाएगा, क्योंकि अब सत्ता नास्तिकों के हाथ में नहीं है। उन्होंने कहाöदेश के अगले चुनाव से पहले-पहले हम एक व्यापक आंदोलन खड़ा करेंगे ताकि जब दोबारा सरकार बने, तो सबसे पहले मठ-मंदिरों को सरकार के कब्जे से मुक्त करने के लिए कानून बनाए। साधु-संतों ने मंदिरों और मठों को स्वतंत्र कराने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कानून बनाकर सरकारी नियंत्रण वाले सभी मठ-मंदिरों को संबंधित संप्रदायों और संस्थानों को सौंपने का निर्णय करे। महंत अवधूत ने कहा कि कर्नाटक में कई मंदिर समाप्त होने की कगार पर हैं, जबकि मंदिरों से होने वाली कमाई पर सरकार का कब्जा है, वहीं मंदिरों के बोर्ड में विधर्मियों को सरकारों ने जगह दी है, जिन्हें धर्म और मंदिर से कोई सरोकार नहीं है। ऐसे में सकार मंदिरों को उनसे संबंधित संप्रदायों और संस्थाओं को सौंपे।
जनधन खाते वाले गरीबों को लगाया 164 करोड़ का चूना
भारतीय स्टेट बैंक यानि एसबीआई ने पिछले कुछ सालों में गलत तरीके से जनधन खातों के जरिये डिजिटल लेन-देन पर भी ट्रांजेक्शन शुल्क वसूले हैं। सरकारी निर्देशों के बाद हालांकि बैंक की तरफ से 90 करोड़ रुपए ग्राहकों को लौटा दिए गए हैं लेकिन आशंका जताई जा रही है कि अभी भी ग्राहकों के डेढ़ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा बैंक के पास फंसे हैं। आईआईटी बॉम्बे की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एसबीआई ने यह रकम अप्रैल 2017 से सितम्बर 2020 के दौरान वसूली है। इस दौरान बैंक ने खाताधारकों के यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड के जरिये हुए 14 करोड़ डिजिटल लेन-देन पर ढाई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा वसूले हैं। रिपोर्ट तैयार करने वाले आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास ने बताया है कि बैंक ने ग्राहकों से यह 17.70 रुपए का शुल्क प्रति डिजिटल ट्रांसजेक्शन पर नाजायज तरीके से वसूला है। इस हिसाब से आंकलन किया गया है कि अप्रैल 2017 से सितम्बर 2020 के दौरान जनधन खाता धारकों के जरिये हुए कुल 14 करोड़ डिजिटल लेन-देन पर 254 करोड़ रुपए वसूले गए। प्रोफेसर दास का मानना है कि इस शुल्क को लेना बैंक बोर्ड की तरफ से एक भूल थी। हालांकि अक्तूबर 2020 से बैंक ने यह शुल्क लगाना बंद कर दिया है। अपेक्षाकृत कमजोर वर्ग से वसूले गए 164 करोड़ रुपए के नाजायज शुल्क बैंक के पास अभी तक बकाया है।
-अनिल नरेन्द्र
Thursday, 25 November 2021
अब एमएसपी पर अड़े किसान
सरकार ने तीनों विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने की घोषणा भले ही कर दी हो, पर किसान आंदोलन खत्म होने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे। लखनऊ की महापंचायत में किसान संगठनों ने अपनी मांगों को दोहरा कर स्पष्ट संकेत दे दिया है कि जब तक सभी मांगें नहीं मान ली जातीं तब तक आंदोलन खत्म करने का सवाल ही नहीं उठता। अभी तक माना जा रहा था कि तीनों विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने के सरकार के फैसले के बाद किसान धरना-प्रदर्शन खत्म कर देंगे। सोमवार को लखनऊ की महापंचायत में किसान नेताओं ने एक स्वर में आंदोलन जारी रखने की घोषणा की। कहाöसिर्फ तीन कृषि कानून वापस लेने से आंदोलन खत्म नहीं होगा। कई अन्य ज्वलंत मुद्दे भी हैं, जिनका निस्तारण जरूरी है। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने की मांग सबसे अहम है, इसलिए आंदोलन चरणबद्ध जारी रहेगा। ईको गार्डेन पार्क में हुई महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार को अपनी भाषा में समझाने में एक साल लग गया। सरकार को अब समझ आया कि तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि माफी मांगने से किसानों का भला होने वाला नहीं है। उनका भला एमएसपी के लिए कानून बनाने से होगा। इस कानून को लेकर केंद्र सरकार झूठ बोल रही है कि कमेटी बना रहे हैं। उन्होंने कहाö2011 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी कि किसानों के लिए एमएसपी कानून लागू करे। यह रिपोर्ट पीएमओ में रखी है। उसे ही लागू कर दें। सवाल है कि ऐसे में हो क्या? बिना समाधान निकाले तो आगे बढ़ पाना संभव नहीं होगा। सरकार के सामने व्यावहारिक समस्या यह है कि अगर एमएसपी कानून बन गया तो इसके लिए किसानों की उपज खरीदने की मजबूरी हो जाएगी। यह तर्क भी दिया जा रहा है कि एमएसपी कानून बन जाने के बाद अगर सरकार ने व्यापारियों को तय दाम पर उपज खरीदने के लिए मजबूर किया तो व्यापारी कम दाम पर आयात करने जैसा कदम उठा सकते हैं। संकट यही है कि जब सरकार पूरी उपज खरीद नहीं सकती, व्यापारी निर्धारित एमएसपी पर उपज खरीदने से बचेंगे, तो किसान करेगा क्या? हैरानी की बात यह है कि एमएसपी को लेकर आज तक कोई ऐसा फैसला नहीं हो पाया है जिससे किसान संतुष्ट नजर आए हों। एमएसपी के बारे में अब तक जो दलीलें दी जाती रही हैं उनमें एक यह है कि आज देश में खाद्यान्न संकट नहीं है और अगर एमएसपी पर कानून बना दिया गया तो सरकार के लिए उपज खरीदना और उसका भंडारण संकट बन जाएगा। वैसे भी भंडारण व्यवस्था के अभाव में भारी मात्रा में अनाज सड़ने की समस्या बनी हुई है। कहा यह भी जाता रहा है कि अगर एमएसपी कानून बन गया तो बड़े किसान ही छोटे किसानों से उपज खरीद कर सरकार को बेच देंगे और इससे छोटे किसान और संकट में पड़ जाएंगे। इस बात से कोई इंकार नहीं करेगा कि किसानों को उपज का पूरा दाम मिलना चाहिए। अगर मौजूदा व्यवस्था से समाधान नहीं निकल रहा है तो इसके लिए नए उपायों पर विचार किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि कृषि और किसानों की समस्या को लेकर अब जो फैसला पहले हो, उसमें पारदर्शिता हो। ईमानदारी से हल निकालने की कोशिश हो।
रेपिस्ट को नपुंसक बनाने वाला विधेयक
पाकिस्तान की संसद ने दुष्कर्म के कई मामलों में दोषी यौन अपराधियों को रासायनिक तरीकों से नपुंसक बनाने संबंधी विधेयक पारित किया है। यह विधेयक देश में महिलाओं और बच्चों के साथ दुष्कर्म की वारदातों में हालिया वृद्धि के खिलाफ लोगों के आक्रोश व अपराध पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने की बढ़ती मांगों के मद्देनजर लाया गया। पाकिस्तानी मंत्रिमंडल द्वारा पारित अध्यादेश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की मुहर के लगभग एक साल बाद यह विधेयक पारित हुआ है। इसमें दोषी की सहमति से उसे रासायनिक तौर पर नपुंसक बनाने और त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की अपील की गई है। डॉन समाचार पत्र के मुताबिक आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को संसद के संयुक्त सत्र में 33 अन्य विधेयकों के साथ पारित कर दिया गया। इसके जरिये पाकिस्तान दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन का प्रयास है। विधेयक के अनुसार रासायनिक रूप से नपुंसक बनाना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा बनाए गए नियमों के तहत विधिवत अधिसूचित किया जाता है। इसके तहत आरोपित को उसके जीवन की किसी भी अवधि के लिए यौन क्रिया में असमर्थ बना दिया जाता है। अदालत के निर्देश के अनुरूप चिकित्सा बोर्ड दवाओं के जरिये इस प्रक्रिया को अंजाम देता है। आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान में यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म के चार प्रतिशत से भी कम मामलों में दोष सिद्धि होती है। जमात-ए-इस्लामी के सांसद मुश्ताक अहमद ने इस विधेयक का विरोध किया है और इसे गैर-इस्लामी और शरिया कानून के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्मी को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए। लेकिन शरिया कानून में कहीं नपुंसक बनाए जाने का उल्लेख नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रासायनिक तरीके से दुष्कर्मी को नपुंसक बनाने की सजा कई देशों में बहाल है। इनमें दक्षिण कोरिया, पोलैंड, चेक गणराज्य व अमेरिका के कुछ राज्य शामिल हैं।
रिश्वत जोखिम सूची में भारत 82वें स्थान पर
व्यापार रिश्वत जोखिम को आंकने वाली वैश्विक सूची में इस वर्ष भारत पांच पायदान नीचे खिसककर 82वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल यह 77वें स्थान पर था। रिश्वत के खिलाफ मानक स्थापित करने वाले संगठन ट्रेस की सूची 194 देशों, क्षेत्रों और स्वायत्त एवं अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्रों में व्यापार रिश्वतखोरी जोखिम को दर्शाती है। इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार उत्तर कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला और इरिट्रिया में सबसे अधिक व्यावसायिक रिश्वतखोरी का जोखिम है, जबकि डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड, स्वीडन और न्यूजीलैंड में सबसे कम जोखिम। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत 2020 में 45 अंकों के साथ 77वें स्थान पर था, जबकि इस वर्ष यह 44 अंकों के साथ 82वें स्थान पर रहा। यह अंक चार कारकों पर आधारित है। सरकार के साथ व्यापार बातचीत, रिश्वतरोधी निवारण और प्रवर्तन सरकार और सिविल सेवा पारदर्शिता तथा नागरिक समाज की निगरानी की क्षमता जिसमें मीडिया की भूमिका शामिल है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने अपने पड़ोसियोंöपाकिस्तान, चीन, नेपाल और बांग्लादेश से बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले पांच सालों में जिन देशों ने वाणिज्यिक रिश्वतखोरी के जोखिम में सुधार किया है, सबसे बेहतर प्रदर्शन किया हैöवह हैं उज्बेकिस्तान, आर्मेनिया, मलेशिया, अंगोला और गम्बिया।
-अनिल नरेन्द्र
Wednesday, 24 November 2021
क्या आर्यन खान के खिलाफ ड्रग्स मामला फर्जी था?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कूज ड्रग्स केस में कहा है कि शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिले हैं। आर्यन और दो अन्य को जमानत देने वाले अपने विस्तृत आदेश में कोर्ट ने कहा कि ऐसे कोई सुबूत नहीं मिले हैं, जो यह दिखाते हों कि आरोपियों ने अपराध की साजिश रची थी। जस्टिस एनडब्ल्यू सांब्रे की एकल पीठ ने 28 अक्तूबर को आर्यन खान, उनके दोस्त अरबाज मर्चेंट और मॉडल मुनमुन धमेचा को एक लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि आर्यन खान के मोबाइल फोन के लिए गए व्हाटसएप चैट से पता चलता है कि ऐसा कुछ आपत्तिजनक नहीं पाया गया, जो दिखाता हो कि उसने, मर्चेंट और धमेचा के मामले में अन्य आरोपियों ने अपराध करने की साजिश रची हो। इसमें यह भी कहा गया है कि एनसीबी ने आर्यन खान का जो स्वीकृति बयान दर्ज किया है, उस पर केवल जांच के मकसद से गौर किया जा सकता है और उसका इस्तेमाल या निष्कर्ष निकालने के लिए हथियार के तौर पर नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत कोई अपराध किया है। 14 पन्नों के आदेश में कहा गयाöऐसा कोई भी सकारात्मक साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है जो अदालत को इस बात पर राजी कर सके कि समान मंशा वाले सभी आरोपी गैर-कानूनी काम करने के लिए राजी हो गए। आदेश में कहा गया कि तीनों ने पहले ही लगभग 25 दिन कैद में काट लिए हैं और अभियोजन ने अभी तक उनकी मेडिकल जांच तक नहीं कराई है ताकि यह पता चल सके कि उन्होंने ड्रग्स का सेवन किया था। आदेश में यह भी कहा गया कि आर्यन खान के पास कोई भी आपत्तिजनक पदार्थ नहीं मिला है और इस तथ्य पर कोई विवाद भी नहीं है। मर्चेंट और धमेचा के पास से अवैध ड्रग्स पाया गया, जिसकी मात्रा बेहद कम थी। जस्टिस सांब्रे ने कहा कि कोर्ट को इस तथ्य के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत होती है कि आरोपियों के खिलाफ साजिश करने के लिए साक्ष्य के तौर पर कुछ सामग्री मौजूद हो। जस्टिस सांब्रे ने कहा कि अगर अभियोजन के मामले पर गौर किया भी जाए तो भी इस प्रकार के अपराध में सजा एक वर्ष से ज्यादा नहीं है। महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश से यह साफ है कि आर्यन खान के खिलाफ ड्रग्स का मामला फर्जी था। उन्होंने कहा कि एनसीबी के जोनल निदेशक समीर वानखेड़े को सस्पेंड कर देना चाहिए। नवाब मलिक ने कहा कि यह आदेश आर्यन खान की गिरफ्तारी पर भी सवालिया निशान लगाता है। उन्होंने अपने इस आरोप को भी दोहराया कि आर्यन का अपहरण रिश्वत मांगने के लिए किया गया था। उन्होंने कहाöलोगों के पैसे की इस तरह बर्बादी बंद होनी चाहिए। समीर वानखेड़े ने कहा कि वह हाई कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि मामला विचाराधीन है। वानखेड़े ने कहा कि वह मलिक के आरोपों को महत्व नहीं देना चाहते। अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहाöकेवल इसलिए कि आवेदक कूज पर यात्रा कर रहे थे, एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 के प्रावधान लगाने को संतोषजनक आधार नहीं कहा जा सकता।
प्रधानमंत्री मोदी का भगोड़े आर्थिक अपराधियों को कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार हाई-प्रोफाइल भगोड़े आर्थिक अपराधियों को स्वदेश लाने के लिए सभी तरीकों का इस्तेमाल कर रही है और उनके सामने देश लौटने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है। प्रधानमंत्री ने ऋण प्रवाह और आर्थिक वृद्धि पर एक परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहाöभगोड़े आर्थिक अपराधियों को वापस लाने के लिए हम नीतियों एवं कानून पर निर्भर रहे हैं और हमने कूटनीतिक माध्यमों का भी इस्तेमाल किया है। संदेश एकदम साफ है, अपने देश लौट आओ, और कोई चारा नहीं है। हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में किसी आर्थिक अपराधी का नाम नहीं लिया। केंद्र सरकार ने पिछले कुछ समय में विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण की कोशिशें तेज कर दी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सक्रियता दिखाने से चूककर्ताओं से पांच लाख करोड़ रुपए की वसूली की जा चुकी है। हाल ही में ग"ित राष्ट्रीय परिसम्पत्ति पुनर्गठन कंपनी (एनएआरसीएल) भी दो लाख करोड़ रुपए की दावाग्रस्त परिसम्पत्तियों के निपटाने में मदद करेगी। उन्हेंने कहा कि वर्ष 2014 में उनकी सरकार आने के बाद से बैंकों की सेहत काफी सुधरी है। उन्होंने कहाöभारतीय बैंक देश की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए अब मजबूत स्थिति में है। इससे भारत के आत्मनिर्भर बनने की राह आसान होगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने बैंकों से धन-सम्पत्ति एवं रोजगार के अवसर पैदा करने वालों को ऋण देने में सक्रियता दिखाने को भी कहा। उन्होंने कहा कि बैंकों को अपने साथ देश के भी बही-खाते को सुधारने के लिए सक्रियता से काम करना होगा। मोदी ने कहा कि बैंकों को कारोबार क्षेत्र के फलने-फूलने में मदद के लिए अब पुरानी संस्कृति को त्याग कर कर्ज की मंजूरी देने वाले की सोच से खुद को अलग करना होगा। उन्होंने बैंकों को कारोबार जगत के साथ भागीदारी का मॉडल अपनाने की सलाह भी दी। उन्होंने पिछले छह-सात साल में अपनी सरकार द्वारा किए गए सुधारों से बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति मजबूत होने की बात कही। उन्होंने कहाöहमने बैंकों की एनपीए समस्या का समाधान निकाला है, बैंकों में नई पूंजी डाली है, दिवालिया संहिता लेकर आए हैं और ऋण वसूली न्यायाधिकरण को सशक्त किया है। उन्होंने बैंकरों को कंपनियों और सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यमों के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से समाधान मुहैया कराने को भी कहा। उन्होंने कहाöआप ग्राहकों के बैंक आने का इंतजार न करें, आपको उनके पास जाना होगा।
-अनिल नरेन्द्र
Tuesday, 23 November 2021
स्किन टच के बिना भी पॉस्को
सुप्रीम कोर्ट ने पॉस्को एक्ट को लेकर एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी। कोर्ट ने कहाöपॉस्को एक्ट की धारा-7 के तहत पीड़िता के साथ स्किन टू स्किन सम्पर्प नहीं हुआ तो तब भी उसे यौन उत्पीड़न माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि स्किन टू स्किन टच न होने के कारण कपड़े के ऊपर से स्पर्श यौन शोषण नहीं कहा जा सकता। इस फैसले को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रविन्दर भट्ट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने इस मामले में फैसला सुनाया। जस्टिस एम. त्रिवेदी ने 38 पेज के फैसले को पढ़ते हुए कहाöऐसे मामले में यौन हिंसा का इरादा ज्यादा मायने रखता है बजाय इसके कि स्किन टू स्किन टच हुआ या नहीं। पॉस्को एक्ट की धारा-7 के तहत स्पर्श को सीमित करना बेतुका है। यह इस कानून का उद्देश्य नष्ट कर देगा। यह भी कहा कि अगर बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा दी गई व्याख्या को अपनाया जाता है तो कल को कोई अपराधी यौन शोषण करते समय दस्ताने का प्रयोग करेगा और उसे अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकेगा। यह एक बेतुकी स्थिति होगी। दरअसल 12 साल की पीड़िता के यौन मामले में सेशन कोर्ट ने 39 साल के आरोपी संतोष को पॉस्को एक्ट में तीन साल व आईपीसी की धारा 354 में एक साल की सजा सुनाई थी। पीड़ित के मुताबिक दिसम्बर 16 में संतोष उसे खाना देने के बहाने घर ले आया था। वहां गलत तरीके से छुआ था। बता दें कि बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और बच्चों की पोर्नग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए 2012 में पॉस्को एक्ट बनाया गया। इसमें कम से कम तीन साल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने बताया कि पॉस्को एक्ट के तहत बच्चों को यौन इरादे से घूरना, अश्लील संदेश भेजना, अश्लील संदेश पढ़ाना, अश्लील साहित्य दिखाना इत्यादि बातों को भी अपराध माना गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने संबंधित एक मामले में आदेश दिया था कि क्योंकि आरोपी और पीड़िता के बीच त्वचा से त्वचा का सम्पर्प नहीं हुआ है यानि नाबालिग के गोपनीय अंग को बिना कपड़ा छूना सेक्सुअल असाल्ट नहीं है तो पॉस्को एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध नहीं बनता। इस फैसले का भारी विरोध हुआ था और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं लगाई गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यौन मंशा से किया गया शारीरिक सम्पर्प पॉस्को एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न ही माना जाएगा। जब कानून बनाने वाली विधायिका ने उसे बनाते समय अपना इरादा साफ जाहिर किया हो तो अदालतें उसमें भ्रामक अस्पष्टता पैदा नहीं कर सकतीं। अदालत ने बड़ा सवाल उठाया कि यदि कोई दस्ताने पहनकर अपराध करे तो सजा कैसे होगी? बच्चों के मामले बहुत संवेदनशील होते हैं, अकसर वह अपने साथ हो रही हरकतों को समझ नहीं पाते या किसी को बता नहीं पाते। उन्हें हर हाल में यौन अपराधियों से सुरक्षित किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
कृषि कानून वापसी मोदी का मास्टर स्ट्रोक?
मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने 20 अक्तूबर को बीबीसी को दिए साक्षात्कार में कहा था, कृषि कानून पर केंद्र सरकार को ही मानना पड़ेगा, किसान नहीं मानेंगे और एक महीने बाद उनकी यह बात सच साबित हो गई। मोदी सरकार ने नए कृषि कानून वापस लेने का फैसला ले लिया है। इसकी टाइमिंग की चर्चा खूब हो रही है। अगले हफ्ते 29 नवम्बर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है। पांच राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। जहां एक दिन पहले ही अमित शाह को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई थी। लेकिन गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा कर सबको चौंका दिया। सोशल मीडिया पर इसके साथ ही मास्टर स्ट्रोक ट्रेंड कर रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह फैसला एक मास्टर स्ट्रोक है। इस वजह से अब इस टाइमिंग में पंजाब एंगल भी जुड़ गया है। सालों से भाजपा कवर कर रही एक वरिष्ठ पत्रकार कहती हैं कि मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे उत्तर प्रदेश और पंजाब, दोनों कारण हैं। जाहिर है कि उत्तर प्रदेश चुनाव पर असर मुख्य वजह है। लेकिन पंजाब भी कई लिहाज से भाजपा के लिए अहम राज्य है। पंजाब पाक सीमा से लगा राज्य है। बहुत सारे खालिस्तानी ग्रुप अचानक सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में चुनाव से पहले कई गुट पंजाब में एक्टिव हैं जो मौके का फायदा उठाने की फिराक में हैं। जब भाजपा और अकाली दल का गठबंधन हुआ था, उस वक्त दोनों दलों के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी और प्रकाश सिंह बादल की सोच यह थी कि अगर सिखों की नुमाइंदगी करने वाली पार्टी (अकाली दल) और खुद को हिन्दू के साथ जोड़ने वाली पार्टी (भाजपा) साथ में चुनाव लड़े तो राज्य और देश की सुरक्षा के लिहाज से यह बेहतर होगा। इस वजह से सालों तक यह गठबंधन चला। पंजाब लांग टर्म के लिए भाजपा के लिए बहुत अहम है। 80 के दशक की चीजें दोबारा से वहां शुरू हो जाएं, ऐसा कोई नहीं चाहता। इस वजह से भी केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया। नए कृषि कानून की वजह से अकाली दल ने पिछले साल भाजपा से नाता तोड़ लिया था और एनडीए से अलग हो गए थे। अकाली दल भाजपा की सबसे पुरानी साथी थी। एक विशेषज्ञ ने टिप्पणी कीöदेर आए दुरुस्त आए। यह फैसला 700 किसानों की बलि देने के बाद आया है। मोदी सरकार ने नए कृषि कानून रद्द खुद नहीं किए, उनको किसानों के गुस्से की वजह से ऐसा करना पड़ा। इस फैसले से उनके अनुसार पंजाब में भाजपा को कोई सियासी फायदा नहीं होने वाला। बेशक कैप्टन अमरिन्दर सिंह के उनके साथ आने से भी शायद ही पंजाब में भाजपा की दाल गले। यह देखना बाकी है कि मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अकाली दल वापस एनडीए के साथ आती है या नहीं? एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश को कई इलाकों में बांटते हुए भाजपा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान अमित शाह को दी गई थी। यह अपने आपमें इस बात का स्पष्ट संकेत था कि इस क्षेत्र को भाजपा कितना अहम मानती है। कुछ विश्लेषकों के अनुसार किसान आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर पड़ सकता है। कुल मिलाकर भाजपा समर्थक इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक मान रही है। बाकी तो समय ही बताएगा।
-अनिल नरेन्द्र
Monday, 22 November 2021
गुजरात बन गया है मादक पदार्थ तस्करी का अड्डा
देश में ड्रग्स की घुसखोरी के लिए पाकिस्तानी ड्रग्स माफियाओं ने गुजरात की समुद्र सीमा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जबकि एजेंसियों के सतर्क होने के कारण ड्रग्स की बड़ी-बड़ी सप्लाई पकड़ी जा रही है। राज्य के पुलिस प्रमुख आशीष भाटिया ने बताया कि पकड़े गई ड्रग्स की सप्लाई लेने के बाद मारेबी लाया गया। अधिकांश ड्रग्स भारत में लाकर विदेश भेजी जाती है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान गुजरात से मादक पदार्थों की जब्ती और कुछ गिरफ्तारियों की खबरें आई हैं। इसके अलावा हाल में मुंबई में क्रूज जहाज पर मादक पदार्थों की जब्ती के मामले में समूचे देश का ध्यान इस मामले की ओर खींचा है। सोमवार को गुजरात में आतंकवाद निरोधक दस्ते ने सवा सौ किलो हेरोइन जब्त कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इतनी बड़ी तादाद में हेरोइन की कीमत छह सौ करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। इससे पहले बीते कुछ दिनों में गुजरात पुलिस ने मादक पदार्थों की दो बड़ी खेप जब्त कीं। वहीं गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते ने 2016 से लेकर अब तक 29,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कीमत का मादक पदार्थ जब्त किया गया है। इसमें 900 करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ अकेले इस साल बरामद किए गए। इस दौरान 70 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। गुजरात के ही अडानी मुंद्रा बंदरगाह से करीब 3000 किलो मादक पदार्थ जब्त किए गए थे। सवाल है कि छिपी हुई आपराधिक गतिविधियों का भी भंडाफोड़ करने और हर स्तर पर निगरानी का दावा करने वाली सरकार और उसकी पुलिस की नजरों के सामने इतने बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी के जाल ने कैसे अपना इतना बड़ा तंत्र खड़ा कर लिया? दरअसल अब तक पंजाब के माध्यम से पाकिस्तान से ड्रग्स सप्लाई होती थी पर अब लगता है कि पाकिस्तान, ईरान या अफगानिस्तान से भारत में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए गुजरात का समुद्र तट पसंदीदा मार्ग बन गया है। तस्कर पाकिस्तान से चलकर गुजरात के कच्छ या भुज समुद्र के रास्ते अपने साथ मादक पदार्थ लेकर आते हैं। चोरी-छिपे गुजरात के अपने ठिकानों पर पहुंचाने के बाद इसे अवैध तरीकों से देश के अन्य राज्यों में भी पहुंचा दिया जाता है। जाहिर है कि इस रास्ते और इलाके में तस्करी की कोई न कोई सुविधा है, जिसके बलबूते पर वह कई देशों के इतने बड़े दायरे में अपना धंधा चला रहे हैं। पिछले कुछ समय में जितनी मात्रा में हेरोइन या दूसरे मादक पदार्थों की जब्ती की खबरें आई हैं, अनुमानों के मुताबिक वह इस कारोबार का महज छोटा-सा हिस्सा है। इस तरह छोटे स्तर पर की जा रही कार्रवाइयों या अभियानों से कुछ समय के लिए समस्या काबू में आती भले दिख सकती हो, लेकिन जब तक इस कारोबार के असली खेप लाने वालों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा, तब तक इसके मूल तंत्र तक पहुंच कर उन्हें तोड़ा या खत्म नहीं किया जा सकता। फिर इस बात की बारीकी से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि आखिर गुजरात में इन तस्करों के साथ स्थानीय अधिकारी भी कौन हैं? बिना अधिकारियों की मिलीभगत के इतनी बड़ी तादाद में मादक पदार्थ फल-फूल नहीं सकता।
थानाध्यक्ष ने जज को पीटा और पिस्तौल तान दी
बिहार के मधुबनी जिले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे)-प्रथम अविनाश कुमार के चैंबर में गत गुरुवार को घोघरडीहा थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण और एएसआई अभिमन्यु कुमार ने उन पर हमला कर दिया। उनके साथ हाथापाई की। हंगामे के बीच थानाध्यक्ष ने एडीजे पर पिस्तौल तान दी। चैंबर से शोर की आवाज आने के बाद कोर्ट परिसर (बरामदे) में मौजूद अधिवक्ता और कर्मियों ने दौड़कर थानाध्यक्ष के हाथ में से पिस्तौल छीनी तब जाकर स्थिति काबू में आई। आपाधापी में पुलिस के दोनों अधिकारियों और एडीजे के अलावा एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी और कई अधिवक्ता घायल हो गए। घटना की सूचना मिलते ही परिसर में मौजूद लोगों ने हमला करने वाले दोनों पुलिस अधिकारियों को कब्जा में ले लिया और उन्हें चैंबर में बंद कर दिया। भीड़ ने दोनों पुलिस अधिकारियों की भी पिटाई कर दी। देर शाम दोनों पुलिस अधिकारियों को हिरासत में ले लिया गया। पूरे मामले की जानकारी हाई कोर्ट को दे दी गई। विधिक सेवा समिति के समक्ष कुछ दिन पूर्व घोघरडीहा के चौलीरही गांव की महिला उषा देवी ने थानाध्यक्ष के द्वारा उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने को लेकर आवेदन किया था। जिस पर थानाध्यक्ष को कोर्ट ने बुधवार को तलब किया गया था। उस दिन वह उपस्थित नहीं हुए। गुरुवार दोपहर दो बजे के बाद आते ही थानाध्यक्ष और एएसआई एडीजे के कक्ष में घुसे और उनके साथ मारपीट की और पिस्तौल भी तान दी। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है।
अधिकार क्षेत्र के खिलाफ प्रस्ताव पारित
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया। हालांकि सदन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने प्रस्ताव का विरोध किया। पंजाब के बाद विधानसभा में इस तरह का प्रस्ताव पेश करने और उसे पारित करने वाला बंगाल दूसरा प्रदेश हो गया है। राज्य के संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी ने सदन की प्रक्रिया व कार्य संचालन नियमांवली की नियम संख्या 169 के तहत प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि यह फैसला फौरन वापस लिया जाए, क्योंकि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने से देश के संघीय ढांचे पर प्रहार होगा। तृणमूल कांग्रेस विधायक उस्मान गुहा की एक टिप्पणी के बाद सदन में हंगामा हो गया। गुहा ने कहा कि सीमावर्ती इलाके में रहने वाला एक बच्चा कभी देशभक्त नहीं हो सकता, यदि वह देखता है कि बीएसएफ द्वारा तलाशी लेने की आड़ में उसकी मां के शरीर को अनुचित तरीके से स्पर्श किया जाता है। भाजपा विधायकों ने टिप्पणी का विरोध किया और उसे सदन के रिकॉर्ड से हटाए जाने की मांग की। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने गुहा की टिप्पणी को हटाने से इंकार कर दिया। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बीएसएफ जैसे बल के खिलाफ की गई भाषा पूरी तरह से अस्वीकार्य है। प्रस्ताव को 63 के मुकाबले 112 मतों से पारित किया गया। भाजपा नीत सरकार ने बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है ताकि पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के दायरे तक के बजाय अब 50 किलोमीटर अंदर तक तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की कार्रवाई कर सके।
-अनिल नरेन्द्र
Friday, 19 November 2021
कभी नहीं सोचा था कि एक दिन प्लेन से उतरूंगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में देश के सबसे लंबे 341 किलोमीटर के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया। लखनऊ से गाजीपुर के बीच 22,500 करोड़ रुपए की लागत से बने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के लिए मोदी ने सुपर हरक्युलिस से एक्सप्रेस-वे पर लैंडिंग की। ऐसा करने वाले वह देश के पहले प्रधानमंत्री बने। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर लैंडिंग और टेकऑफ कर अपनी ताकत दिखाई। पीएम के सुपर हरक्युलिस से सीधे एक्सप्रेस-वे पर लैंडिंग करने के बाद 30 विमान वहां पहुंचे। मोदी ने यहां एयर शो भी देखा। 3.2 किलोमीटर लंबी एयर स्ट्रिप पर सुखोई-30 व मिराज-2000 जैसे विमानों का टच और गो ऑपरेशन करीब एक घंटे तक चला। खास बात यह है कि पूर्वी फ्रंट पर चीन से युद्ध के दौरान इमरजेंसी उपयोग में आने वाला यह पहला एक्सप्रेस-वे होगा। उत्तरी और पूर्वी बॉर्डर के नजदीक होने के कारण यहां से चीन-पाक के साथ युद्ध की स्थिति में आसानी से फाइटर जैट्स ऑपरेट किए जा सकेंगे। यहां से दोनों फ्रंट की दूरी करीब 600 किलोमीटर है। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ एयर मार्शल (रिटायर्ड) जेएस चौहान और एयर कमांडेंट (रिटायर्ड) आरएन गायकवाड़ ने इसके सामरिक मायने बताए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन-चार साल पहले जहां कुछ भी नहीं था वहां मैंने नहीं सोचा था कि कभी विमान से उतर सपूंगा। यूपी के विकास के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की जमकर तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने उन्हें कर्मयोगी बताया। उन्होंने कहा कि इस एक्सप्रेस-वे की खासियत यह है कि एक्सप्रेस-वे लखनऊ से उन शहरों को जोड़ेगा, जिनमें विकास की असीम संभावना है। इस पर आज योगी जी के नेतृत्व में योगी सरकार ने भले ही 22 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हों, लेकिन भविष्य में यह एक्सप्रेस-वे हजारों करोड़ के निवेश यहां लाने में मदद करेगा। मानव समाज और नगर सभ्यताओं के विकास की जो कसौटियां हैं, उनमें सड़कों का जाल सबसे अहम है और आज विशाल आबादी की अपेक्षा व जरूरतों को पूरा करने की तो यह बुनियादी शर्त है। इस मामले में देश दशकों तक तेज प्रगति नहीं कर पाया, क्योंकि अर्थव्यवस्था की कुछ सीमाएं अलग थीं और अलग-अलग सरकारों की प्राथमिकताएं भी अलग थीं। आज हम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय शुरू स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को याद करते हैं। बहरहाल उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में यमुना एक्सप्रेस-वे ने विकास को वह गति दी है कि देश में विकास का पहिया अब थमने वाला नहीं है। साढ़े तीन वर्ष के भीतर लगभग 22,500 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह एक्सप्रेस-वे अन्य राज्यों की सरकारों के लिए भी एक उदाहरण है कि समयबद्ध निर्माण की क्या अहमियत है।
परमबीर सिंह कहां हैं यह मुंबई पुलिस को भी पता नहीं
परमबीर सिंह को इस साल मई के बाद से नहीं देखा गया है। एक अक्तूबर को महाराष्ट्र के अधिकारियों ने बताया कि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह लापता हैं। भारत की आर्थिक राजधानी के पुलिस मुखिया के लापता होने की यह घोषणा चौंकाने वाली थी। दो साल पहले ही परमबीर सिंह को 45 हजार पुलिसकर्मियों की संख्या वाले मुंबई पुलिस का प्रमुख बनाया गया था। अब परमबीर सिंह न तो मुंबई में अपने अपार्टमेंट और न ही अपने पैतृक शहर चंडीगढ़ के पते पर हैं। मुंबई पुलिस अपने ही पूर्व प्रमुख को तलाश रही है लेकिन मुंबई में उनके साथ रहने वाली उनकी पत्नी और बेटी, विदेश में रहने वाले उनके बेटे और वकीलों ने उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी। सवाल खड़ा होता है कि इसके पीछे कौन है? अगले कुछ दिनों में कार के कथित मालिक का शव शहर के पास समुद्र में मिला था। बाद में पुलिस जांच से पता चला कि उनकी हत्या करके शव फेंका गया था। जब मृतक के एक परिचित पुलिस वाले को गिरफ्तार किया गया तो चीजें और भी गंभीर और जटिल हो गईं। जांचकर्ता यह मानते हैं कि गिरफ्तार किए गए मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के सब-इंस्पेक्टर सचिन वाजे का मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटकों से लदी कार और हत्या से संबंध था। मार्च में परमबीर सिंह को पद से हटाकर होमगार्ड का प्रमुख बनाकर भेज दिया गया था। भारतीय मीडिया की भाषा में कहा जाए तो परमबीर को दंडित करके एक कम रुतबे वाले पद पर भेज दिया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में परमबीर के मामले की जांच के लिए एक पैनल गठित किया है। परमबीर सिंह के खिलाफ अब रिटेल एस्टेट कारोबारियों, होटल मालिकों और बुकी की तरफ से चार आपराधिक मामले दर्ज कराए गए हैं जिनकी जांच चल रही है। महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह के निलंबन के बाद निष्कासन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उधर मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने परमबीर सिंह को उप-नगर गोरेगांव में एक पुलिस थाने में उनके और अन्य के खिलाफ दर्ज वसूली के मामले में भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उग्रवादी संगठनों की चीनी साठगांठ
मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद पूर्वोत्तर में उग्रवादी गुटों की चुनौती को लेकर सुरक्षा व गुप्तचर एजेंसियां एक बार फिर हाई अलर्ट पर हैं। सुरक्षा एजेंसियों की ओर से उग्रवादी संगठनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। माना जा रहा है कि इस समय 20 से अधिक उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर में सक्रिय हैं। पीएलए सहित आधा दर्जन से ज्यादा गुट मणिपुर में भी अपनी गतिविधियां चला रहे हैं। एजेंसियों को आशंका है कि चीन की मदद से उग्रवादी संगठन नए सिरे से गतिविधियां शुरू कर सकते हैं। म्यांमार में कई उग्रवादी गुटों के कैंप हैं, जो पूर्वोत्तर में हिंसा की साजिश रचते हैं। इसके अलावा इनका चीनी कनेक्शन मजबूत है। एजेंसियों को आशंका है कि कुछ संगठनों ने म्यांमार से हटकर दक्षिण चीन के इलाके में ठिकाना बना लिया है। मणिपुर में पीएलए का चीन से मजबूत सम्पर्प है। इसके अलावा कई अन्य गुट भी चीनी सेना के सम्पर्प में बताए जाते हैं। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट के प्रमुख ने म्यांमार की सीमा से सटे दक्षिणी चीन के रुडली में नया ठिकाना बनाया था। उग्रवादी संगठन का ऑपरेशनल बेस और प्रशिक्षण शिविर म्यांमार के सामैंग सब-डिवीजन में है। पिछले साल अरुणाचल प्रदेश में असम राइफल्स के जवान की हत्या के बाद इस तरह की आशंकाएं जाहिर की गई थीं कि चीन सीमा विवाद के बीच पूर्वोत्तर में नया मोर्चा खोलने की तैयारी में है। चीनी सेना पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवादी गुटों को न केवल शह दे रही है बल्कि हथियारों की आपूर्ति से लेकर सुरक्षित ठिकाने भी उपलब्ध करा रही है। 1975 में भारत सरकार और नगा नेशनल काउंसिल के बीच शिलांग समझौते का एसएस खापलांग व थिगालेंग शिवा जैसे नेताओं ने विरोध किया था, जो तब चाइना रिटर्न गैंग कहलाते थे। 1980 में खापलांग व यूईका ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम का गठन किया था। 1998 में इसाक मुईवा नैचिशी स्वयंभू संगठन एनएससीएन (आईएम) गुट का गठन किया, जबकि खापलांग ने अपने गुट को एनएससीएन (के) नाम दिया। पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि मणिपुर अभी भी उग्रवाद का गढ़ बना हुआ है। क्षेत्रीय-जमीनी संसाधनों पर नियंत्रण की कोशिश, पहचान बनाने की जद्दोजहद और सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (आफस्पा) का क्रियान्वयन राज्य में हिंसा की मुख्य वजह है।
-अनिल नरेन्द्र
Thursday, 18 November 2021
अमेरिका की धमकी न चली, रूस ने भेजीं मिसाइलें
दुनिया में सबसे एडवांस और ताकतवर मिसाइल सिस्टम में शामिल एस-400 की सप्लाई भारत को मिलने लगी है। इसे हासिल करने के लिए भारत और रूस में अक्तूबर 2018 में डील हुई थी। सामरिक चुनौतियों को देखते हुए भारत अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक हथियार और रक्षा प्रणालियां जुटा रहा है। फ्रांस से उन्नत राफेल लड़ाकू विमान लिए गए तो रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली ली जा रही है। अमेरिका की प्रतिबंध की धमकी को दरकिनार करके भारत रूस से दुनिया का यह टॉप मिसाइल डिफेंस सिस्टम हासिल करने जा रहा है। अच्छी खबर यह है कि पांच एस-400 मिसाइल सिस्टम में से पहले सिस्टम की जल्द डिलीवरी पूरी होने की उम्मीद है। भारत के लिए यह एस-400 मिसाइलें बहुत जरूरी हैं। यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 टारगेट पर निशाना लगा सकता है। इन्हें ट्रकों पर जगह-जगह तैनात किया जा सकता है और एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है। अमेरिका के पास भी इनके मुकाबले वाली कोई मिसाइल नहीं है। यह रूस की बनाई एस-200 मिसाइलों और एस-300 मिसाइलों का चौथा और ज्यादा मारक वाला वर्जन है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक एस-400 दुनिया में मौजूद सबसे बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है। इसमें लगा हुआ एडवांस रडार 400 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है और उसे नष्ट कर सकता है। इस साल के अंत तक पहले सिस्टम की डिलीवरी पूरी होने की उम्मीद है। एस-400 को चीन और तुर्की में पहले से इस्तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार इसे पहले पश्चिमी फ्रंट पर तैनात किया जाएगा। जहां से यह चीन और पाकिस्तान के लगते एयरस्पेस पर नजर रखेगा। एस-400 सिस्टम हमला करने आ रहे ड्रोन, विमान या बैलेस्टिक मिसाइलों को पहचान कर उन्हें हवा में 400 किलोमीटर पहले ही बर्बाद कर देता है। इस सिस्टम को खरीदने के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का करार हुआ था। भारतीय वायुसेना के कुछ अधिकारी सिस्टम को चलाने के लिए रूस में ट्रेनिंग भी ले चुके हैं। भारत ने चीन से खतरे के मद्देनजर मिसाइल प्रणाली को जरूरी बताया था। भारत का कहना है कि उसकी रूस और अमेरिका दोनों के साथ रणनीतिक साझेदारी है। इस आधार पर उसने अमेरिका से काट्सा कानून से राहत की अपील की थी। लेकिन अमेरिका के रुख से लगता है कि भारत को राहत मिलने की संभावना कम ही है। पिछले साल इसी कानून के तहत अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जब उसने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद था। भारत ने अमेरिकी धमकी की कोई परवाह नहीं की है। इसका उपयोग पाक-चीन सीमा को अभेद्य बनाने में किया जाएगा। एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के आने के बाद भारत दुश्मन को धूल चटा देगा। इसके साथ ही भारत का आकाश अभेद्य बन जाएगा। मोदी सरकार ने डिफेंस के विभाग में कई हथियार लिए हैं। यूपीए सरकार में तो इनकी आपूर्ति ठप-सी हो गई थी। एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेने पर मोदी सरकार को बधाई।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता सबसे अहम है
देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने रविवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका के मानस को लाखों लोग निचली अदालतों और जिला न्यायपालिका के कार्यों के जरिये मोटे तौर पर जान सकते हैं। अत न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की सभी स्तरों पर रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका कल्याणकारी राज को आकार देने में हमेशा सबसे आगे रही है और देश की संवैधानिक अदालतों के फैसलों में सामाजिक लोकतंत्र को फलने-फूलने में सक्षम बनाया है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित जागरुकता एवं सम्पर्प अभियान के समापन समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस रमण ने कहाöहम एक कल्याणकारी राज का हिस्सा हैं, इसके बावजूद लाभ चिन्हित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक मुख्य चुनौती गरीबी है। उन्होंने कहाöभारतीय न्यायपालिका के मानस को लाखों लोग निचली अदालत और जिला न्यायपालिका के क्रियाकलापों के जरिये जान सकते हैं। बहुत बड़ी संख्या में वादियों के लिए जो वास्तविक और विद्यमान हैं, वह केवल न्यायपालिका ही है। न्याय प्रदान करने की प्रणाली को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाए बगैर हम स्वस्थ न्यायपालिका की कल्पना नहीं कर सकते। इसलिए न्यायपालिकाओं की सभी स्तरों पर स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है। प्रधान न्यायाधीश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों को पहली बार प्रत्यक्ष रूप से संबोधित कर रहे थे। एनएएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूयू ललित ने अभियान में शामिल पैरा-लीगल स्वयंसेवकों के प्रयासों की सराहना की।
पोलैंड-बेलारूस में जंग का खतरा
पोलैंड सीमा पर बढ़ते प्रवासी सरकार के बीच हालात रूस-बेलारूस के साझा युद्धाभ्यास के बाद अब जंग के कगार पर पहुंच गए हैं। पोलैंड की मदद में ब्रिटेन और ईयू के उतरने पर बेलारूस ने सीमा की फैसिंग काटने के लिए शरणार्थियों को उपकरण देकर यूरोपीय देशों में पहुंच बनाने को कहा है। बेलारूस के भारी तादाद में सीमा पर सैनिक तैनात करने की सूचना मिलने के बाद पोलैंड ने भी अपने भारी हथियारों से लैस 15 हजार सैनिक सीमा पर भेजे हैं। पोलैंड ने आरोप लगाया है कि बेलारूस उनकी सीमा में आ रहे शरणार्थियों को हथियार दे रहा है ताकि वह बलपूर्वक घुस जाएं। बताया जा रहा है कि पोलैंड के सैनिक आज इन हथियारबंद शरणार्थियों के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं। दोनों तरफ के लोगों के पास हथियार हैं, इससे इस बात का खतरा बढ़ गया है कि खूनी हिंसा हो सकती है। पोलैंड से आ रही खबरों में यह भी दावा किया जा रहा है कि बेलारूस की ओर से आने वाले शरणार्थियों को निर्देश दिया गया है कि वह कुजनिका सीमा पर हमला करें। यह उन दो प्रमुख स्थानों में से एक है जहां से बेलारूस के रास्ते पोलैंड में प्रवेश किया जा सकता है। पोलैंड के बॉर्डर फोर्स के प्रवक्ता ने कहा कि बुजानिका शिविर में एक शांत रात के बाद अब बेलारूस के और ज्यादा हथियारबंद अधिकारी वहां पहुंच गए हैं। रूस और बेलारूस के संबंध काफी मजबूत हैं। अकसर इनकी तुलना अमेरिका और ब्रिटेन के संबंधों से की जाती है। यूरोपीय यूनियन ने बेलारूस पर आरोप लगाया है कि वह पोलैंड के अवैध रूप से हजारों प्रवासियों को दाखिल कराने की कोशिश कर रहा है जिसके बाद पोलैंड ने भी अपनी सीमा पर सेना की तैनाती को बढ़ा दिया है। यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और ब्रिटेन ने खुलकर बेलारूस की आलोचना की है। वहीं रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने दावा किया है कि इस विवाद में उनके देश की कोई भूमिका नहीं है। उम्मीद की जाती है कि दोनों देश शांतिपूर्वक इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे ताकि जंग की नौबत न आए।
-अनिल नरेन्द्र
Wednesday, 17 November 2021
राफेल सौदे के लिए दी गई थी दलाली
फ्रांस की खोजी पत्रिका मीडियापार्ट ने नए सिरे से दावा किया है कि फ्रांसीसी विमान कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत से राफेल विमान सौदा हासिल करने के लिए एक बिचौलिये को कम से कम 75 लाख यूरो (करीब 65 करोड़ रुपए) का भुगतान किया। पत्रिका ने अपनी पड़ताल में पाया कि बिचौलिये को यह भुगतान वर्ष 2007-12 की अवधि में मारीशस में किया गया। उस समय केंद्र में कांग्रेस की संप्रग की सरकार थी। फ्रेंच पोर्टल मीडियापार्ट की रिपोर्ट के बाद एक बार फिर राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा गरमा गया है। कांग्रेस ने जहां मोदी सरकार पर हमला बोला है, वहीं भाजपा ने यूपीए सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल उठाया कि राफेल की 526 करोड़ की डील 1600 करोड़ रुपए में बिना टेंडर के क्यों की गई? अब सरकार ऑपरेशन कवरअप चला रही है। घोटाले पर पर्दा डालने के लिए सीबीआई-ईडी के बीच साठगांठ हुई। हमारी मांग है कि सरकार संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराए। वहीं भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहाöमीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राफेल डील में कमीशन का खेल 2007 से 2012 के बीच हुआ। तब देश में किसकी सरकार थी? राहुल गांधी इसका जवाब दें। पात्रा ने तंज कसते हुए कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस यानि आईएनसी का नाम आई नीड कमीशन कर दिया जाना चाहिए। पात्रा ने कहाöसोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, रॉबर्ट वाड्रा.... सभी कहते हैं कि उन्हें कमीशन चाहिए। कांग्रेस का सवाल आधी रात को सीबीआई में तख्तापलट क्यों? आरोपी सुशेन गुप्ता से राफेल डील से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद होने के बावजूद सरकार ने उसकी भूमिका की जांच क्यों नहीं कराई? 2018 में इसी मामले को दबाने के लिए सीबीआई में तख्तापलट किया गया। आखिर आधी रात को सीबीआई में तख्तापलट क्यों किया गया? जुलाई 2015 में अंतर-सरकारी समझौते के जोर देने के बावजूद सितम्बर 2016 में सरकार द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी खंड क्यों हटाया गया? वायुसेना से परामर्श किए बिना विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 क्यों की गई। भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एचएलए द्वारा विमान निर्माण से इंकार क्यों किया गया? भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इसमें कुछ गलत नहीं मिला। रिपोर्ट में 2007 से 2012 के बीच रिश्वत देने का जिक्र है, तब सरकार यूपीए की थी। उस समय राफेल सौदा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि कांग्रेस दलाली की राशि से संतुष्ट नहीं थी। राहुल गांधी जवाब दें कि राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश आपने और आपकी पार्टी ने इतने वर्षों तक क्यों की? बिचौलिये सुशेन गुप्ता का नाम राफेल मामले में सामने आया था। वह वीवीआई विमान खरीदे जाने वाले मामले में भी आरोपी था। सुप्रीम कोर्ट और कैग ने मोदी सरकार की राफेल डील की विषयवस्तु को देखा है और उसमें कुछ भी गलत नहीं पाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि सरकार का भ्रष्टाचार सामने आ चुका है लेकिन सरकार जेपीसी के जरिये जांच करवाने से क्यों डर रही है? हमारी मांग क्या गलत है। उन्होंने आरोप लगायाöमोदी सरकार द्वारा राफेल सौदे में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवरअप (मामले को रफा-दफा करने का अभियान) एक बार फिर उजागर हो गया है। नवीनतम खुलासे से राफेल घोटाले पर पर्दा डालने के लिए मोदी सरकार सीबीआई-ईडी के बीच संदिग्ध साठगांठ का पता चलता है।
कांग्रेस के लिए अहम बने बघेल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस की राजनीति में केंद्रबिंदु बनकर उभरने लगे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में सीनियर ऑब्जर्वर बनाए जाने के बाद यह साफ हो गया है कि कांग्रेस में बघेल की पूछ-परख काफी बढ़ गई है। वहीं अब उन्हें कद्दावर नेताओं की सूची में शुमार कर लिए जाने लगा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इर्दगिर्द छत्तीसगढ़ की राजनीति घूमने लगी है। उत्तर प्रदेश चुनाव में कुर्मी वोटरों को सहेजने के साथ किसानों को भी रिझाने के लिए भूपेश बघेल को एक बड़ा चेहरा माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ में किसानों की आर्थिक मजबूती के लिए चलाई गई योजनाओं के बाद इसे यूपी में भी दोहराने की तैयारी है। कांग्रेस संगठन का मानना है कि छत्तीसगढ़ में किसानों की आर्थिक मजबूती का मॉडल मुख्यमंत्री ही यूपी में बेहतर ढंग से समझा सकते हैं। यही वजह है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी भरोसा बढ़ा है। यही वजह है कि असम के बाद यूपी की भी कमान उन्हें सौंपी गई है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बम्पर जीत के पीछे भूपेश बघेल की रणनीति ही कारगर मानी जाती रही है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यूपी में भी अगर यह जादू चला तो कांग्रेस बेहतर स्थिति में होगी। अब राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं होने लगी हैं। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में भी बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने परचम लहराया। इसके बाद ही उन पर भरोसा बढ़ा है। कांग्रेस में अधिक सर्वमान्य और राष्ट्रीय नेता के तौर पर भी वह उभरने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में जनहितकारी योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिलने के बाद भूपेश बघेल की एक अधिक अलग छवि भी उभरकर सामने आई है।
बच्चों के कातिलों से बात क्यों?
वर्ष 2014 में पेशावर (पाकिस्तान) के आर्मी पब्लिक स्कूल में हुए आतंकी हमले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री इमरान खान को गत बुधवार को पेशी के दौरान जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने इमरान से कहा कि वह 132 स्कूली बच्चों की नृशंस हत्या करने वालों से क्यों समझौता कर रहे हैं? आर्मी पब्लिक स्कूल में नरसंहार में शामिल लोगों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। तीन जस्टिस की खंडपीठ ने कहा कि वह नरसंहार के दोषियों को समझौते की मेज पर ले आए हैं। क्या हम फिर से आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर दस्तखत करने वाले हैं? इमरान खान ने अपनी सफाई में कहा कि पाकिस्तान में कोई भी सवालों और जांच से परे नहीं है। उनकी सरकार अदालत के आदेशानुसार दोषियों पर कार्रवाई करेगी। बता दें कि इमरान खान सरकार कुछ समय से आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से समझौता वार्ता कर रही है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सोमवार को कहा था कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन के साथ एक पूर्ण संघर्षविराम का समझौता हो चुका है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकियों ने ही वर्ष 2014 में पेशावर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) के बच्चों पर बर्बर हमला कर कुल 147 लोगों की हत्या की थी, जिनमें 132 बच्चे थे। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुबह करीब 10 बजे इमरान खान को समन भेजा था। वह दो घंटे बाद पेश हुए थे। इमरान खान ने पीठ से कहा कि हमले के समय उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी खैबर पख्तूनिस्तान में सत्ता में थी। उसमें हमले के शिकार लोगों के स्वजन को वित्तीय मदद की थी। इस जवाब से पीठ और क्रोधित हो गई। चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रधानमंत्री पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं। अभिभावक पूछ रहे हैं कि उस दिन सुरक्षा व्यवस्था कहां थी? डॉन अखबार के अनुसार चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे आदेश के बावजूद कुछ नहीं किया गया। कोर्ट ने इमरान को 20 अक्तूबर के फैसले का पालन करने को कहा। अपनी सफाई में इमरान ने कहा कि वह मारे गए बच्चों के मां-बाप से मिलकर बात कर चुके हैं और आगे भी करते रहेंगे। इससे नाखुश जस्टिस खान ने कहा कि पता कीजिए कि 80 हजार लोग क्यों मारे गए? मालूम कीजिए की पाकिस्तान में 480 ड्रोन हमलों के लिए कौन जिम्मेदार है? इमरान खान ने बताया कि एपीएस हमले की जांच के लिए सरकार उच्चस्तरीय जांच आयोग का गठन कर सकती है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पीएम इमरान को याद दिलाया कि इस नरसंहार को हुए सात साल बीत चुके हैं। इन सात सालों में बताएं कि सरकार ने क्या कार्रवाई की?
-अनिल नरेन्द्र
Tuesday, 16 November 2021
प्रजापति को आखिरी सांस तक कारावास
सपा की पूर्ववर्ती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति और उसके दो सहयोगियोंöअशोक तिवारी एवं आशीष शुक्ला को एमपी कोर्ट/एमएलए कोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने तीनों को अंतिम सांस तक जेल में रखने का आदेश दिया है। सामूहिक दुराचार एवं नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने तीनों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि तीनों आरोपियों को अपना शेष जीवन जेल में गुजारना होगा। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि दोषियों द्वारा किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का है जिसका समाज पर असर पड़ता है। सुनवाई के समय सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता एसएन राय एवं विशेष अधिवक्ता रमेश कुमार शुक्ला का कहना था कि सर्वोच्च न्यायालय के 16 फरवरी 2017 को दिए गए आदेश के बाद मामला गौतम पल्ली थाने में 18 फरवरी 2017 को गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी, अमरेंद्र सिंह उर्प पिंटु सिंह, विकास शर्मा, चव्रपाल, रूपेश एवं आशीष कुमार के विरुद्ध दर्ज किया गया था। इस मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने धारा 37डी, 354ए(1), 509, 504, 506 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 5जी धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आरोप पत्र प्रषित किया था। पीड़िता ने प्रजापति और उसके साथियों के विरुद्ध सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाते हुए उनकी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की थी जिसकी शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। निर्णय सुनाए जाने के समय अदालत साक्षी पीड़िता, साक्षी राम सिंह, अंतिम साक्षी अंशु गौड़ के प्रति संतोषजनक नहीं रही। इन गवाहों पर न्यायालय का सहयोग न करने, समय से साक्ष्य पेश न करने और कोर्ट के सामने झूठ का साथ देने का भी आरोप लगा। विशेष अदालत ने 72 पेज के आदेश में कहा कि धारा 76डी के अनुसार अर्थदंड की धनराशि पीड़िता को दिए जाने का प्रावधान है परन्तु इस मामले में पीड़िता (मां) का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए। जहां तक द्वितीय पीड़िता (बेटी) का प्रश्न है, उसके द्वारा उपरोक्त कृत्य अपनी मां वादिनी मुकदमा के दबाव में किया जाना माना जा सकता है। इस मामले में पीड़िता वास्तव के पीड़ित हैं जिसको पुनर्वास की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में अर्थदंड की संपूर्ण छह लाख रुपए की राशि द्वितीय पीड़िता को दी जाएगी। फैसले की प्रति मजिस्ट्रेट लखनऊ को भेज दी गई है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज हुआ था।
कंगना रनौत ने मलाणा क्रीम की ओवरडोज ले ली है
आए दिन बयान देने वाली मुंबई एक्ट्रेस कंगना रानौत इस बार देश की आजादी को लेकर विवादित बयान देने पर बुरी तरह फंस गई हैं। आजादी वाले बयान पर हंगामा मच गया है। एक्टिंग से ज्यादा विवादों के चलते सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस को सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया जा रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि भीख में तो कंगना को पद्मश्री मिला होगा। आजादी तो लहू के फुहारों से मिली थी। वहीं महिला कांग्रेस ने कंगना से पद्मश्री अवार्ड वापस लेने की मांग की है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने अपनी डेली प्रेस कांफ्रेंस में कंगना पर निशाना साधा। मलिक ने एक्ट्रेस से पद्मश्री वापस लेने के साथ उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। मलिक ने कहा कि कंगना ने उन स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों का अपमान किया है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी। मलिक ने कहा कि उन्हें लगता है कि कंगना मलाणा क्रीम (हिमाचली ड्रग) का ओवर डोज लेकर बयानबाजी कर रही हैं। हिमाचल के कुल्लू जिले के उत्तर-पूर्व में मलाणा नाम का एक गांव है। यहां मलाणा ड्रग की अवैध खेती होती है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मलाणा घाटी से आने वाली चरस या हैश को मलाणा क्रीम कहते हैं। चरस, जिसे हिमाचल प्रदेश के लोग भांग भी कहते हैं, उसे कैनाबिस पौधे के रेसिन से निकाला जाता है। यह पौधा घाटी में प्राकृतिक तौर पर उगता है और यहां इसकी अवैध खेती भी होती है। इस घाटी में एक अकेला गांव है मलाणा। अन्य राज्यों में मिलने वाली चरस ऐसी नहीं होती। राजस्थान में शुक्रवार को कंगना के खिलाफ चार शहरों में पुलिस से शिकायत की गई है। जयपुर कोतवाली और जोधपुर व उदयपुर में यह दर्ज हुई। जयपुर में शहर महिला कांग्रेस ने कराई शिकायत में शहीद क्रांतिकारियों की प्रतिष्ठा का अपमान करने, संविधान के प्रति आस्था रखने वालों को आहत करने का आरोप लगाया गया है। महिला मोर्चा की अध्यक्ष रानी लुबाना ने शिकायत में बताया कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और उस आजादी के लिए हजारों लोगों ने अपना बलिदान दिया। वो क्षण प्रत्येक भारतीय के लिए गौरवान्वित क्षण था। पूरी दुनिया ने भारत की आजादी देखी और शहीदों को आज भी सम्मान की नजर से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि 10 नवम्बर को फिल्म अभिनेत्री और पद्मश्री कंगना रनौत ने सार्वजनिक मंच से यह बयान दिया कि 1947 में भारत को जो आजादी मिली वह आजादी नहीं एक भीख थी। असल आजादी साल 2014 में मिली है। अभिनेत्री के इस बयान से संविधान में आस्था रखने वालों को चोट पहुंची है। इस बयान से शहीद भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी समेत तमाम शहीदों और क्रांतिकारियों का अपमान हुआ है।
योगी आदित्यनाथ की सत्ता बरकरार रहेगी
उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में लौटने की संभावना है। हालांकि इसकी सीटें कम होंगी। अक्तूबर और नवम्बर के पहले सप्ताह के बीच एबीपी-सी वोटर-आईएएनएस के सर्वेक्षण में 72,000 से अधिक नमूनों पर जनमत सर्वेक्षण कराया गया। आज स्थिति के अनुसार राज्य की अन्य प्रमुख राजनीतिक पार्टियांöसमाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस 2022 में योगी सरकार को हटाने की स्थिति में नहीं हैं। सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को 2022 के विधानसभा चुनावों में 213 से 221 सीटें मिलने का अनुमान है। हालांकि भाजपा-सहयोगियों द्वारा 2017 में जीती गई 325 सीटों के आंकड़ों में लगभग 100 सीटों की गिरावट देखेंगे, लेकिन गठबंधन को बहुमत का आंकड़ा आराम से पार कर लेने की उम्मीद है। सपा और गठबंधन सहयोगी भाजपा के लिए प्रमुख चुनौती के रूप में उभर रहे हैं। उन्हें इस बार 152 से 160 सीटें मिलने की उम्मीद है। सर्वेक्षण में आगे दिखाया गया है कि बसपा राज्य में लगातार आधार खो रही है। क्योंकि पार्टी सिर्प 16 से 20 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। कांग्रेस को छह से 10 सीटें मिलने की संभावना है। सर्वेक्षण में पाया गया कि बहुत से लोग चाहते हैं कि 2022 में एक बार फिर भाजपा नीत सरकार बने। उधर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच सत्ता विरोधी वोट के बंटवारे का फायदा उठाते हुए सत्तारूढ़ भाजपा उत्तराखंड में सत्ता बरकरार रख सकती है। अभी चुनाव में समय है यह स्थिति बाद में बदल भी सकती है।
-अनिल नरेन्द्र
Friday, 12 November 2021
खत्म हुआ कोहली-शास्त्राr जोड़ी का युग
टी-20 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल की रेस से पहले ही बाहर हो चुकी टीम इंडिया ने अपने अंतिम मैच में नामीबिया को नौ विकेट से हरा दिया और इसी के साथ खत्म हुआ कोहली-शास्त्राr का युग। इस दुखदायक अंत से देश के क्रिकेटप्रेमियों का मायूस होना स्वाभाविक है। मगर संयुक्त अरब अमीरात और ओमान में हो रहे इस विश्व कप में भारत के सफर को शुरुआत से देखें तो यह अप्रत्याशित भी नहीं था। पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से दो शुरुआती मैचों में हारने के बाद ही विराट कोहली की टीम के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई थीं और उसका दावा तकरीबन खत्म हो गया था। इस प्रतियोगिता के बाद अब टीम को नया कप्तान (टी-20) और नया कोच मिल गया है। इसके बाद होने वाले मैच का प्रदर्शन कितना शानदार और उम्मीद के अनुरूप रहता है, इसका इंतजार करना होगा। दरअसल पाकिस्तान से बुरी तरह हारने के बाद से यह लगने लगा था कि अब टीम इंडिया इस सदमे से शायद ही उभरे और न्यूजीलैंड के मैच ने यह साबित भी कर दिया। आश्चर्य की बात है कि जिस टीम ने इंग्लैंड के साथ घरेलू मैच में शानदार प्रदर्शन किया हो और टी-20 प्रतियोगिता के बीच आज मैच में बेहतरीन फॉर्म में थी, वह मैच शुरू होते ही बेपटरी हो गई। इस हार के बाद कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्राr और मैंटोर के रूप में नियुक्त पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को लेकर सवाल उठ रहे थे। खासकर कप्तान विराट कोहली की टीम के कुछ खिलाड़ियों से अदावत और आर. अश्विन, चहल और कुलदीप यादव जैसे स्पिनर्स को एक भी मैच में मौका नहीं देना भी टीम की हार की बड़ी वजह बनी। कई खिलाड़ियों के क्रम में उलटफेर करने से भी टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ा। बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग तीनों ही क्षेत्रों में भारतीय टीम के प्रदर्शन को लेकर सुनील गावस्कर और वीवीएस लक्ष्मण सहित कई अन्य दिग्गज चिन्ता जता रहे हैं, तो यह सोचने वाली बात है। गावस्कर के मुताबिक पावर प्ले के दौरान जब 30 गज के बाहर सिर्प दो ही खिलाड़ी होते हैं, भारतीय बल्लेबाजों का रवैया निराशाजनक रहा। विश्व कप जैसी बेहद चुनौतीपूर्ण स्पर्द्धा में जहां एक-एक रन की कीमत होती है, भारत ने पाकिस्तान को 152 रनों और न्यूजीलैंड को महज 110 रन का टारगेट दिया था, जोकि वाकई कम था। इससे भी दयनीय यह है कि इन दोनों के खिलाफ अपने दोनों महत्वपूर्ण मैचों में भारतीय गेंदबाज सिर्प दो ही बेट्समैन को आउट कर सके। ऐसे में टीम के चयन को लेकर भी सवाल उठे, तो यह गलत नहीं था। निश्चय ही ऐसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंट से बाहर होने पर टीम के खिलाड़ियों का मनोबल भी कमजोर होता है, मगर यह स्थिति दिखाती है कि भारतीय टीम और उसके प्रबंधन में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है। चूंकि विराट कोहली ने पहले ही टी-20 की कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया था और टीम के कोच रवि शास्त्राr की पारी खत्म हो गई है, तो सुधार का अवसर दूर नहीं है। विश्व कप से ठीक पहले आईपीएल जैसे तमाशे की वजह से तो कहीं टीम के प्रदर्शन पर फर्प तो नहीं पड़ा? रवि शास्त्राr ने कहा कि टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी मानसिक रूप से थक गए हैं उन्हें सख्त आराम की जरूरत है। देखें अब नई टीम, नए कप्तान, नए कोच आ गए हैं तो इसका टीम इंडिया के प्रदर्शन पर कितना असर पड़ेगा?
यूरोप फिर कोरोना का केंद्र बन रहा
यूरोप में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह गंभीर चिन्ता का विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि फरवरी 2022 तक पूरे यूरोप में पांच लाख और लोगों के मारे जाने की आशंका है। इस तरह से यूरोप एक साल बाद फिर कोरोना का केंद्र बनने की राह पर है। फिलहाल इसका अधिकांश हिस्सा संक्रमण से जूझ रहा है। यूरोप में डब्ल्यूएचओ के निदेशक हैन्स क्लूज ने कहा कि संघ के 53 देशों में संक्रमण की वर्तमान दर चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार अगर वर्तमान स्थिति जारी रहती है तो अगले वर्ष (2022) फरवरी तक करीब पांच लाख और लोगों की कोरोना से मौत हो सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले एक हफ्ते में 53 देशों में कोरोना के कारण लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दर दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है। क्लूज ने कहा कि यूरोप में इस हफ्ते कोरोना के 18 लाख मामले सामने आए हैं। यह पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत ज्यादा हैं। कोरोना से इस हफ्ते 24 हजार लोगों की मौत हुई है। यह बीते हफ्ते की तुलना में 12 प्रतिशत ज्यादा है। यूरोप में एक लाख लोगों पर 192 केस सामने आए हैं। जर्मनी के रोग नियंत्रण केंद्र रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के मुताबिक देश में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 37,120 नए मामले सामने आए जबकि 154 मरीजों की मौत हुई। ग्रीस सरकार ने कोरोनारोधी टीके न लेने वाले लोगों के लिए प्रतिबंध की घोषणा की है। इसके साथ ही सरकार ने गैर-अनुपालन वाले व्यवसायों के लिए जुर्माना भी बढ़ाया है। कोरोना बढ़ने के तीन कारण हैंöप्रतिबंध में ढील, कम टीकाकरण और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न करना।
...और अब पाकिस्तान से आए टिफिन बम
15 सितम्बर को जलालाबाद में बाइक में रखे बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी रणजीत सिंह उर्प गोरा एक टिफिन बम और चार पिस्टल लेकर लुधियाना के सिधवां बेट स्थित अपनी ससुराल में आकर छिपा था। आरोपी के पिता जसवंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद इसकी जानकारी पुलिस को लगी। इसके आधार पर थाना सिधवां बेट पुलिस ने रणजीत सिंह उर्प गोरा, उसके साले बलवंत सिंह और रिश्तेदार तरलोक सिंह और गोरा के पिता रणजीत सिंह को नामजद किया है। पुलिस ने आरोपी रणजीत सिंह को पनाह देने पर उसके पिता जसवंत सिंह और साले बलवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान से आए आठ टिफिन बम को बलविंदर सिंह और सुखा ने रिसीव किया था। एक बम को आरोपियों ने फिरोजपुर की मार्केट में तब ब्लास्ट किया था, जब दुकानें बंद थीं। उक्त ब्लास्ट का वीडियो बनाकर आरोपियों ने पाकिस्तान भेजी और वहां से पैसे मंगाए। 15 सितम्बर को बम बलविंदर सिंह और उसका दोस्त गुरप्रीत सिंह गोरा जलालाबाद में भीड़भाड़ में बाइक पर रखकर फोड़ने जा रहे थे, लेकिन वो रास्ते में ब्लास्ट हो गया, जिससे बलविंदर की मौत हो गई थी। सुखा फरार हो गया था जिसे कुछ समय बाद पुलिस ने गंगानगर से गिरफ्तार कर लिया। उसकी पड़ताल के बाद पता चला कि बाकी बम रणजीत के पास थे, जोकि बलविंदर का भाई था। उसने उस बम में से एक अपने जीजा प्रवीन को दिया था, जिसे उसने खेत में छिपा दिया था। उसे पुलिस ने बरामद कर लिया। चार बम उन्होंने पुलिस के डर से सतलुज में फेंक दिए थे। जबकि एक बम और पिस्टल रणजीत के पास थी। 16 सितम्बर को रणजीत उसे लेकर अपनी ससुराल सिधवां बेट अपने पिता के साथ आ गया था, लेकिन बाद में वहां से चला गया था।
-अनिल नरेन्द्र
Thursday, 11 November 2021
नोटबंदी के पांच साल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवम्बर 2016 को जब आधी रात से 500 और 1000 रुपए के उन नोटों को बंद करने की घोषणा की थी जो उस समय चलन में थे तो ऐसा करने के पीछे कुछ कारण बताए थे। इनमें काले धन पर रोक, आतंकवाद और नक्सलवाद के धन स्रोतों पर रोक और धन के डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना प्रमुख थे। सोमवार को नोटबंदी के पांच साल पूरे हो गए। इन पांच सालों में धन का डिजिटल लेनदेन तो बढ़ा, लेकिन काला धन न तो खत्म हुआ और रही आतंकवाद की बात तो वह बढ़ गया है। नोटबंदी में सौ से ज्यादा परिवार उजड़ गए। मिडिल क्लास महिलाओं की तमाम जीवन की बचत निकल गई। बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखी गईं। कुछ ने तो वहां दम तोड़ दिया। लाखों परिवार सड़क पर आ गए और रही बात चलन में नोटों की संख्या कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के ताजा आंक़ड़ों के अनुसार मूल्य के हिसाब से चार नवम्बर 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन में थे, जो 29 अक्तूबर 2021 को 29.17 लाख करोड़ रुपए हो गए। आरबीआई के मुताबिक 30 अक्तूबर 2020 तक चलन में नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ था। 29 अक्तूबर 2021 तक इसमें 2,28,963 करोड़ रुपए की वृद्धि हो गई। दरअसल कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों ने अहतियात के रूप में नकदी रखना बेहतर समझा। इसी कारण चलन में बैंक नोट पिछले वित्त वर्षों के दौरान बढ़ गए। नोटबंदी के पांच साल के बाद नकदी का चलन जरूर बढ़ा है, लेकिन इस दौरान डिजिटल लेनदेन भी तेजी से बढ़ा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार डेबिट-क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग और यूनिफाइड पेमेंट्स ट्रांसफर (यूपीआई) जैसे माध्यमों से डिजिटल भुगतान में भी बड़ी वृद्धि हुई है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) का यूपीआई देश में भुगतान के एक प्रमुख माध्यम के रूप में तेजी से उभर रहा है। इन सबके बावजूद चलन में नोटों का बढ़ना धीमी गति से ही सही, लेकिन जारी है। इसे आसान शब्दों में कहा जाए तो अर्थव्यवस्था में नकदी का बोलबाला है। कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान लोगों ने अपने पास काफी नकदी रखी ताकि रोजमर्रा के सामान और दवाओं, हॉस्पिटल के बिल इत्यादि को आसानी से निपटाया जाए। त्यौहारी सीजन में भी नकदी की मांग बनी रही, क्योंकि ज्यादातर दुकानदार नकदी लेनदेन पर निर्भर रहे। नकदी के चलन में वृद्धि का कारण औपचारिक अर्थव्यवस्था भी है, पैरेललइकोनॉमी भी है। छोटे व्यवसायी डिजिटल लेनदेन से बचते हैं, उन्हें सामान अल्प मात्रा में चाहिए होता है। उन्हें लगता है कि डिजिटल लेनदेन में पैसा पाने के लिए बैंकों की मदद लेनी पड़ती है और इससे दोनों झंझट और पैसे की कटौती आती है। दूसरी ओर काला धन रखने वालों के ]िलए आसानी हो गई, क्योंकि अब उन्हें 2000 का नोट मिल जाता है। कुल मिलाकर नोटबंदी से नुकसान, फायदे से ज्यादा हुआ है। आज जो अर्थव्यवस्था का हाल है उसके पीछे नोटबंदी एक बहुत बड़ा कारण है।
अब खुद नवाब मलिक कठघरे में
महाराष्ट्र में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक द्वारा आर्यन खान मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की मुंबई इकाई के निदेशक समीर वानखेड़े पर लगाए गए तमाम आरोपों पर अब समीर वानखेड़े के पिता दयानदेव वानखेड़े ने सख्त कदम उठाया है। उन्होंने नवाब मलिक के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। इससे पहले एक बार फिर रविवार को नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि समीर वानवेड़े शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को फिरौती के लिए अगवा करने की साजिश में शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेता मोहित भारतीय इस साजिश के मास्टरमाइंड थे। एनसीबी की मुंबई इकाई के निदेशक समीर वानखेड़े के पिता दयानदेव वानखेड़े ने रविवार को बंबई उच्च न्यायालय में महाराष्ट्र के मंत्री एवं वरिष्ठ एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करके पहली जवाबी कार्यवाही की। नवाब मलिक ने यह भी आरोप लगाया है कि समीर वानखेड़े ने अपनी धार्मिक पहचान छिपाने और फर्जी जाति प्रमाणपत्र के जरिये नौकरी हासिल करने का इस्तेमाल किया। मलिक ने दावा किया था कि आर्यन के अपहरण का जाल भाजपा नेता मोहित भारतीय के रिश्तेदार ऋषभ सचदेवा के माध्यम से बुनवाया था। रिहाई के बदले 25 करोड़ रुपए मांगे गए थे, पर सौदा 18 करोड़ में तय हुआ। इसमें से 50 लाख का भुगतान भी किया गया। हालांकि बात उस समय बिगड़ गई जब गिरफ्तारी के बाद किरण गोसावी (एनसीबी गवाह) की आर्यन के साथ ली गई सेल्फी वायरल हो गई। अब जब मानहानि का केस दर्ज हो गया है तो नवाब मलिक को अपने आरोपों को सिद्ध करना पड़ेगा। आरोप लगाना आसान है पर साबित करना बहुत कठिन है। दूध का दूध और पानी का पानी अब हो जाएगा।
इराक के प्रधानमंत्री पर ड्रोन हमला
इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा-अल-कदीमी की हत्या के इरादे से उनके आवास पर रविवार तड़के हथियारबंद ड्रोन से हमला किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस हमले में प्रधानमंत्री को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और वह सुरक्षित हैं। इस हमले ने पिछले महीने हुए संसदीय चुनाव परिणामों को ईरान समर्थित मिलिशिया (लड़ाके) द्वारा अस्वीकार किए जाने से उपजे तनाव को और बढ़ा दिया है। इराक के अधिकारियों ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि बगदाद के बेहद सुरक्षित ग्रीन जोन क्षेत्र में हुए हमले में प्रधानमंत्री के सात सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। हमले के तुरन्त बाद प्रधानमंत्री अल-कदीमी ने ट्वीट कियाöदेशद्रोह के रॉकेट वीर सुरक्षाबलों की दृढ़ता और दृढ़ संकल्प को हिला नहीं पाएंगे। उन्होंने लिखाöमैं ठीक हूं और अपने लोगों के बीच हूं। ईश्वर का शुक्र है। एक बयान में सरकार ने कहा कि ड्रोन से अल-कदीमी के आवास पर हमला करने की कोशिश की गई। सरकार ने बतायाöउन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और वह ठीक हैं। बगदाद के निवासियों ने ग्रीन जोन की तरफ से धमाके और गोलियों की आवाज सुनी, इस क्षेत्र में विदेशी दूतावास और सरकारी कार्यालय भी हैं। सरकारी मीडिया द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हत्या के प्रयास के तहत विस्फोटक लदे ड्रोन के जरिये प्रधानमंत्री आवास को निशाना बनाया गया। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस हमले के पीछे किसका हाथ है और न ही किसी ने तत्काल इसकी जिम्मेदारी ली है। यह घटना सुरक्षाबलों और ईरान समर्थक शिया मिलिशिया के बीच गतिरोध के बीच हुई है। इराक के संसदीय चुनाव के परिणाम को शिया मिलिशिया ने खारिज कर दिया है और लगभग हर एक महीने से ग्रीन जोन के बाहर डेरा डाले हुए हैं। विरोध शुक्रवार को उस समय घातक हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने ग्रीन जोन की ओर मार्च किया, जिसमें सुरक्षाबलों और शिया मिलिशिया के बीच गोलीबारी हुई। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और दर्जनों सुरक्षाबल घायल हो गए। अमेरिका ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि यह स्पष्ट तौर पर आतंकवादी कार्य है, जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहाöहम इराक की संप्रभुत्ता और स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए इराकी सुरक्षाबलों के साथ सम्पर्क में हैं और हमने इस हमले की जांच के दौरान अमेरिकी मदद की पेशकश की है। अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य ने 10 अक्तूबर के चुनाव की प्रशंसा की है, जो ज्यादातर हिंसामुक्त और बिना किसी बड़ी तकनीकी गड़बड़ी के साथ सम्पन्न हुए थे।
-अनिल नरेन्द्र
Wednesday, 10 November 2021
बढ़ रही है कोरोना दर
कुछ दिन से दिल्ली में बढ़ रही कोरोना की संक्रमण दर देखकर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि कहीं यह त्यौहारों के सीजन में बाजारों में जमा भीड़ और चेहरे से गायब मास्क का असर तो नहीं? पिछले तीन दिनों से कोरोना बढ़ रहा है। कंटेनमेंट जोन में एक हफ्ते से वृद्धि हो रही है। एक्टिव केस भी बढ़ते नजर आ रहे हैं और अस्पताल व होम आइसोलेशन में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है और अब शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। राजधानी में पांच नवम्बर को संक्रमण दर 0.14 प्रतिशत दर्ज की गई थी। करीब दो महीने बाद इतनी संक्रमण की दर दर्ज हुई। छह नवम्बर को यह 0.10 प्रतिशत रही तो सात नवम्बर को 0.11 प्रतिशत देखी गई। सात दिन से कंटेनमेंट जोन बढ़ रहे हैं। दिल्ली सरकार के कल शाम के बुलेटिन के मुताबिक कंटेनमेंट जोन बढ़कर 116 हो गए हैं। एक्टिव केस 365 पर आ गए। एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. एमसी मिश्रा का कहना है कि यही स्थिति रही तो केस बढ़ सकते हैं। हालांकि दिल्ली में बड़ी आबादी संक्रमित हो चुकी है। सैकेंड डोज 38 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को लग चुकी है और हाल ही में आए सीरो सर्वे में 90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई थी, लेकिन इन सबके बावजूद केस में वृद्धि को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। लोगों को लापरवाही से बचना चाहिए और कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना चाहिए। अभी दिल्ली को कोविड से थोड़ी राहत मिली ही थी कि प्रदूषण ने मुसीबत खड़ी कर दी है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण की वजह से न केवल कोविड संक्रमण को बढ़ने में मदद मिलेगी, बल्कि बीमारी भी ज्यादा होगी और सीवमरिटी भी ज्यादा होगी और वेंटिलेटर सपोर्ट में ज्यादा मरीज जा सकते हैं। इस मामले को लेकर एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी अपने बयान में चिन्ता जताते हुए कहा कि जब प्रदूषण होता है, तो कोरोना ज्यादा समय तक हवा में रह सकता है। जहां पर प्रदूषण ज्यादा होगा, वहां पर कोरोना का ज्यादा खतरा है। कोरोना वायरस प्रदूषण के कण से चिपक जाते हैं और इस वजह से वह हवा में ज्यादा देर तक रह सकते हैं। कोरोना और प्रदूषण एक साथ होने पर बीमारी का डबल अटैक का खतरा है। इस पर स्टडी हुई है। यह ज्यादा समय तक एयरबोर्न रह जाता है। प्रदूषण बढ़ेगा तो कोरोना बढ़ने के चांस ज्यादा हैं। इस समय लोगों को बचाव पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाना बहुत जरूरी है। कोविड नियमों का सख्ती से पालन करें। वह अंग्रेजी की कहावत है प्रीवेंशन इज बैटर दैन क्योर।
सबका कच्चा चिट्ठा मेरे पास है
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आखिरकार कांग्रेस को छोड़कर अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है। कैप्टन की पार्टी का नाम पंजाब लोक कांग्रेस होगा। कैप्टन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे सात पेज के त्यागपत्र में जहां अपने राजनीतिक करियर का जिक्र किया है, वहीं इस बात के संकेत भी दिए हैं कि कांग्रेस की दुखती रग को दबाते रहेंगे। त्यागपत्र में कैप्टन ने पंजाब कांग्रेस के कई मंत्रियों और विधायकों पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी (कैप्टन) सरकार में रेत और बजरी के अवैध खनन में कांग्रेस के कई मंत्री व विधायक शामिल थे, जो आज भी सरकार में शामिल हैं। कैप्टन ने सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनोहन सिंह सहित हरीश रावत और नवजोत सिंह सिद्धू पर भी निशाना साधा है। त्यागपत्र में कैप्टन ने संकेत दिए हैं कि वह अवैध खनन के मुद्दे पर कांग्रेस के लिए परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। क्योंकि कैप्टन ने करीब एक वर्ष पूर्व पंजाब विधानसभा में कुछ दस्तावेज दिखाते हुए कहा था कि उनके पास अवैध रेत का कारोबार करने वालों का कच्चा चिट्ठा मौजूद है। यह वह रिपोर्ट है जो उन्हें गृहमंत्री के नाते इंटेलिजेंस उपलब्ध कराती थी। रेत और बजरी के अवैध खनन में शामिल मंत्रियों और विधायकों के बारे में कैप्टन ने यह भी लिखा है कि उन्हें इस बात का दुख है कि उन्होंने केवल इस कारण इन मंत्रियों और विधायकों पर कार्रवाई नहीं की कि कांग्रेस पार्टी की बदनामी न हो और पार्टी को शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े। यह लोग आज भी सरकार में शामिल हैं। कैप्टन ने अपने त्यागपत्र में कई मुद्दे उठाए हैं। यह दुर्भाग्य की बात है कि कैप्टन अब धमकियों पर उतर आए हैं। पर नवजोत सिंह सिद्धू अपने उन पर हमलों से बाज नहीं आ रहे। पंजाब के गृहमंत्री ने कैप्टन की पाकिस्तानी दोस्त पर भी जांच के निर्देश दिए हैं। इससे भी कैप्टन नाराज हैं।
महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री गिरफ्तार
मुंबई की विशेष अदालत (अवकाशकालीन) ने शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को कथित धन शोधन मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देशमुख को नौ दिन की और हिरासत का अनुरोध किया लेकिन अदालत ने जांच एजेंसी की याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ईडी ने सोमवार देर रात 12 घंटे की पूछताछ के बाद देशमुख को गिरफ्तार किया था। एक अदालत ने मंगलवार को उन्हें छह नवम्बर तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया था। ईडी की हिरासत खत्म होने के बाद देशमुख को विशेष अदालत के सामने पेश किया गया। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। इसी आधार पर बाद में देशमुख और अन्य के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया गया। ईडी ने सीबीआई द्वारा 21 अप्रैल को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद देशमुख और उनके साथियों के विरुद्ध जांच शुरू की थी। सीबीआई ने देशमुख पर भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की थी। ईडी का आरोप है कि देशमुख ने राज्य का गृहमंत्री रहने के दौरान अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और बर्खास्त किए गए पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के जरिये मुंबई के विभिन्न बार और रेस्तरां से 4.71 करोड़ से अधिक एकत्रित किए। ऐसा बहुत कम हुआ है जब किसी भी पूर्व गृहमंत्री पर इतने गंभीर आरोप लगें और उन्हें जेल भेजा जाए। नहीं तो राजनेता सब कुछ करके भी साफ निकल जाते हैं। ऐसा और भी कम हुआ है जब राज्य के पुलिस आयुक्त अपने ही गृहमंत्री पर उगाही के इतने गंभीर आरोप लगाएं। कानून सबके लिए बराबर है, इस केस से साबित हो जाता है। कानून से ंऊपर कोई नहीं।
-अनिल नरेन्द्र
Tuesday, 9 November 2021
आर्यन मामले से समीर वानखेड़े की छुट्टी
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े को क्रूज ड्रग्स मामले की जांच से हटा दिया गया है। इस मामले में शाहरुख के बेटे आर्यन खान को एनसीबी ने गिरफ्तार किया था। उनकी जगह इस मामले की जांच का नेतृत्व एनसीबी दिल्ली मुख्यालय में तैनात डीडीजी (उपमहानिदेशक) संजय कुमार सिंह करेंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के दामाद से जुड़े ड्रग्स मामले सहित छह केस वानखेड़े की जगह दिल्ली टीम को सौंप दिए हैं। दिल्ली टीम शनिवार को मुंबई पहुंच गई है। एनसीबी के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के डीडीजी मुथा अशोक जैन ने शुक्रवार को बतायाöइन छह मामलों की जांच दिल्ली टीम को ट्रांसफर करने का आदेश एनसीबी महानिदेशक एसएन प्रधान ने दिया। वानखेड़े के खिलाफ रिश्वत और जबरन वसूली के कथित आरोपों की जांच शुरू की गई थी, जिसके एक हफ्ते बाद उन्हें जांच दल से हटा दिया गया। बयान में यह भी कहा गया है कि किसी भी अधिकारी को उनकी वर्तमान भूमिकाओं से नहीं हटाया गया है और जब तक इसके विपरीत कोई विशिष्ट आदेश जारी नहीं किया जाता है, तब तक वह आवश्यकतानुसार संचालन शाखा की जांच में सहायता करना जारी रखेंगे। नारकोटिक्स ब्यूरो (एनसीबी) पिछले 15 महीनों से सुर्खियों में है। 14 जून 2020 को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अगस्त 2020 में इस केस की जांच ड्रग्स के एंगल से शुरू हुई और वहीं से एनसीबी के तेवर बदल गए। 2017-2018 और 2019 यानि तीन साल में जिस एजेंसी ने कुल मिलाकर सिर्फ 90 केस दर्ज किए थे और 143 लोगों को गिरफ्तार किया था उसी एजेंसी ने जून 2020 से सितम्बर 2021 तक 15 महीनों में ही 129 केस दर्ज कर डाले और 279 गिरफ्तारियां कीं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान कई नामी फिल्मी सितारों पर एनसीबी (समीर वानखेड़े) ने शिकंजा कसा। जिन सितारों को समीर वानखेड़े ने ड्रग्स मामले में लपेटा उनमें प्रमुख थेöदीपिका पादुकोण, करण जौहर, श्रद्धा कपूर, सारा अली खान, भारती सिंह, अर्जुन रामपाल, आर्यन खान और अनन्या पांडे। बता दें कि नियम क्या कहता हैöचरस-गांजा, हेरोइन जैसे 237 तरह के नशीले पदार्थ बेचना, खरीदना, रखना, खेती करना, उत्पादन और सेवन करना सब गैर-कानूनी हैं। ड्रग्स पार्टी के बाद से ही समीर वानखेड़े पर आरोपों का दौर शुरू हुआ। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आर्यन को जमानत दे दी और उस पर जो आरोप लगाए गए थे वह सब खारिज कर दिए गए। समीर नवाब मलिक के निशाने पर आ गए। क्योंकि उनके दामाद पर भी वानखेड़े ने केस कर जेल में डाला हुआ है। वानखेड़े के खिलाफ लगातार खुलासे कर रहे एनसीपी नेता व मंत्री नवाब मलिक ने कहाöउनके खिलाफ 26 मामलों की शिकायत आई थी। इन सभी की अलग जांच होनी चाहिए। अभी तो यह शुरुआत है, आगे-आगे देखिए क्या-क्या होता है? सिस्टम साफ-सुथरा बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। उधर दिल्ली की टीम मुंबई पहुंच चुकी है। इसका नेतृत्व कर रहे डीडीजी (संचालन) आईपीएस संजय कुमार सिंह से यह पूछे जाने पर कि क्या मामलों की दोबारा जांच होगी। सिंह ने कहाöअभी आगे की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी अधिकारी को उनकी वर्तमान भूमिकाओं से नहीं हटाया गया है और जब तक इसके विपरीत कोई आदेश जारी नहीं किया जाता, तब तक वह आवश्यकतानुसार संचालन शाखा की जांच में सहायता करना जारी रखेंगे।
छठ पूजा को लेकर सियासत
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नजदीक है। इसको लेकर बाजारों में छठ पूजा सामग्री से दुकानें सज चुकी हैं। लोग छठ पूजा की तैयारी में जुट गए हैं। सदर बाजार में खरीदारी करने के लिए लोगों की चहल-पहल दिखने लगी है। बाजारों में रौनक बढ़ गई है। छठ पूजा को लेकर सियासत भी गरमा गई है। छठ पूजा पर शनिवार को राजनीति उस समय और तेज हो गई जब आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर पूर्वांचलियों को छठ पूजा के लिए जरूरी घाट तैयार नहीं करने का आरोप लगाया। आप ने भाजपा से छठ पूजा पर गंदी राजनीति बंद करने तथा लोगों को राजधानी में छठ पूजा मनाने की अपील की। पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए विधायक संजीव झा ने कहाöअगर भाजपा छठ पूजा पर गंदी राजनीति जारी रखेगी तो पूर्वांचली उन्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे। गौरतलब है कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने इस वर्ष यमुना नदी किनारे छठ पजा के आयोजन पर रोक लगा दी है। उसने अपने आदेश में कहा कि राजधानी में छठ पूजा का आयोजन करने की अनुमति यमुना तटों को छोड़कर कुछ अन्य जगहों पर होगी। इसके बाद संजीव झा ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से यमुना के किनारों पर छठ पूजा का आयोजन करने की अनुमति देने का आग्रह किया और कहा कि ब्रतियों के पूजा करने से पहले घाटों को साफ कर दिया गया है। संजीव झा ने आरोप लगाया कि भाजपा अब छठ पूजा समारोहों का आयोजन डीडीए एवं नगर निगमों की जमीन पर भी करने से रोकने का प्रयास कर रही है। वहीं दिल्ली भाजपा का आरोप है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की उपस्थिति में हुई बैठक में निर्णय लेकर दिल्ली आपदा समिति ने गत माह दिल्ली में छठ पूजा पर रोक की घोषणा की थी जिससे आम आदमी पार्टी की राजनीतिक बदनामी हुई और छठ पूजा से पूर्व दिल्ली में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रही है। इस मामले में दिल्ली भाजपा के महामंत्री दिनेश प्रताप सिंह, प्रवक्ता आदित्य झा व पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष कौशल मिश्रा ने संयुक्त बयान जारी किया है। भाजपा के पूर्वांचल से जुड़े नेताओं ने कहा है कि जहां एक ओर नगर निगम व डीडीए सकारात्मक काम कर रही हैं वहीं आम आदमी पार्टी के दुर्गेश पाठक, सोमनाथ भारती, संजीव झा एवं दिलीप पांडे जैसे नेता अनर्गल प्रचार एवं बयानबाजी कर छठ पूजा से पूर्व दिल्ली में तनाव पैदा करने में लगे हैं। वेद के अनुसार भगवान भास्कर की मानस बहन षष्ठी वेदी हैं, जिन्हे ब्रती छठ मैया से संबोधित करते हैं। प्रकृति के अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई थीं। उन्हें बालकों की रक्षा करने वाला बताया गया है। बालक के जन्म के छठे दिन भी षष्ठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है। हम उम्मीद करते हैं कि छठ पूजा पर राजनीति न करें और इस समस्या का अविलंब समाधान करें। छठ पूजा की सबको बधाई।
जिनपिंग की तानाशाही
चीन में 27 वर्षीया महिला को महापुरुष के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के मामले में सात महीने की कैद की सजा सुनाई गई है। जु नाम की इस महिला ने कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रहे डांग युनसई का मजाक उड़ाया था। चीन की स्कूली किताबों में युनसई को युद्ध नायक का दर्जा प्राप्त है। उनकी शहादत की वजह से 1949 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता मिली थी। दरअसल इस महिला को चीन के शहीदों और नायकों की बदनामी पर सजा देने वाले नए कानून के उल्लंघन के मामले में सजा हुई है। मार्च में इस कानून में संशोधन किया गया था। यह कानून राष्ट्रपति जिनपिंग के सख्त अभियान का हिस्सा है। इसका मकसद कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास और उनके नेताओं पर ऐतिहासिक बहसों पर लगाम लगाना है। चीन के साइबर स्पेस प्रशासन ने नागरिकों को कम्युनिस्ट पार्टी के महापुरुषों का अपमान या मजाक उड़ाने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत करने के लिए ऑनलाइन व हॉटलाइन सेवा की भी शुरुआत की है। साथ ही प्रशासन ने 10 अफवाहों की एक सूची जारी की है, जिस पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा के लिए मना किया गया है। इस सूची में कुछ अफवाहें ऐसी हैं, जैसे क्या माओसेसुंग का मार्च वास्तव में इतना लंबा नहीं था? क्या माओ के बेटे माओ एंनिग कोरिया युद्ध के दौरान अमेरिकी हमले में मारे गए थे, क्योंकि उन्होंने तला हुआ चावल बनाने के लिए एक स्टोव जलाया था, उसी समय अमेरिका ने हवाई हमला कर दिया था। बीजिंग के एक मुखर राजनीतिक विश्लेषक कहते हैंöयह एक पूर्ण राजनीतिक अधिनायकवाद की स्थापना का संकेत है।
-अनिल नरेन्द्र
Sunday, 7 November 2021
पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने का सियासी फैसला?
केंद्र सरकार ने दीपावली की पूर्व संध्या पर पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटा दी। पिछले तीन सालों में पहली बार इतनी बड़ी कटौती की गई है और साथ ही दिन-प्रतिदिन बढ़ती तेल की कीमतों की वजह से बढ़ती महंगाई से परेशान जनता को लंबे समय बाद थोड़ी राहत मिली है। एक्साइज ड्यूटी या उत्पाद शुल्क पांच रुपए पेट्रोल और डीजल पर 10 रुपए कम कर दिया गया। इसके बाद भाजपा शासित कई राज्यों में भी कटौती का ऐलान किया गया है। साथ ही यह फैसला लोकसभा की तीन और विधानसभा की 29 सीटों के उपचुनाव के नतीजे आने के दो दिन बाद लिया गया। नतीजों की समीक्षा में कहा जाने लगा कि लोग पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से नाराज हैं। ऐसे में कयास लगने लगे कि कहीं इन नतीजों की वजह से तो यह फैसला नहीं लिया गया, क्योंकि अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं जिसके लिए सरगर्मी बढ़ चुकी है। अगले साल के चुनाव सबसे अहम बताए जा रहे हैं और भाजपा के एक नेता सुनील भराला ने कुछ दिनों पहले केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को एक चिट्ठी लिखी थी। इन्हीं कुछ कारणों से राजनीतिक विश्लेषक कटौती के इस फैसले के पीछे एक सियासी रणनीति को देख रहे हैं। विश्लेषक तेल की कीमतों में कमी को पांच महत्वपूर्ण कारणों से मोदी सरकार का एक राजनीतिक फैसला बताते हैं। पहलाöयह दिखाना कि मोदी को आम जनता की परवाह है, दूसराöकेंद्र सरकार कर घटाती है लेकिन राज्य नहीं घटाते। ऐसे में उसे लोगों की सहानुभूति मिल सकती है, तीसराöभाजपा के लिए उत्तर प्रदेश का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है, तो ऐसे में लोगों की लंबी समय तक नाराजगी उसे महंगी पड़ सकती है। चौथाöउपचुनाव के नतीजे और पांचवांöकोरोना महामारी से परेशानी के बीच बढ़ती महंगाई जिसने जनता की कमर तोड़ दी है। अभी तक मोदी सरकार ने लोगों की नाराजगी पर ध्यान नहीं दिया। मगर अब शायद उसे अहसास हो रहा है कि आम लोगों की नाराजगी को कम करना जरूरी है। हाल के उपचुनावों में भाजपा को मामूली फायदा हुआ। उसे आठ सीटें मिलीं, पहले से दो ज्यादा। मगर हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल में उसे जबरदस्त झटका लगा। कर्नाटक में भी पार्टी मुख्यमंत्री बासराव बोम्मई के जिले में हार गई। उपचुनाव के नतीजे भाजपा के आशानुरूप नहीं रहे, इसलिए केंद्र ने निश्चित तौर पर इन परिणामों से सबक लिया है। भाजपा उपचुनाव में नाकाम रही। यह फैसला उस डर से लिया गया कि कहीं किला हाथ से न निकल जाए। एक और राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि भाजपा ने इन उपचुनावों में अपना गढ़ गंवा दिया तो वह इस प्रकोप को दबाने का प्रयास कर रही है। 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश का चुनाव सबसे खास है क्योंकि कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है। गोवा और उत्तराखंड भाजपा के लिए 2024 के आम चुनाव के हिसाब से अहमियत रखते हैं। अब जबकि उत्तर प्रदेश में चुनाव दूर नहीं, सरकार लोगों की नाराजगी नहीं झेल सकती। क्योंकि उसकी आंच दिल्ली तक आ सकती है, इसलिए चुनाव से पहले वो ऐसा कुछ नहीं करना चाहती जिससे लोगों का असंतोष बढ़े पर दीपावली पर ही क्यों? यह घोषणा का समय महत्वपूर्ण इसलिए है कि लोग अपनी तकलीफें भूल कर त्यौहार मनाते हैं। ऐसे समय दी गई राहत लंबे समय तक याद रहती है।
वानखेड़े जन्म से मुस्लिम हैं नौकरी के लिए फर्जी दस्तावेज दिए?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने रविवार को कहा कि वह अपने दावों पर कायम हैं कि नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम हैं और उन्होंने नौकरी पाने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र पेश किया था। मलिक ने पत्रकारों से कहा कि वह जाति या धर्म की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि इस बात पर प्रकाश डाल रहे हैं कि कैसे फर्जी जाति प्रमाण-पत्र सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए पेश किए। वानखेड़े के नेतृत्व में एनसीबी की टीम ने ]िपछले महीने की शुरुआत में एक कूज पार्टी पर छापेमारी की थी और इस दौरान कथित तौर पर नशीले पदार्थ की बरामदगी हुई थी। मंत्री ने बार-बार दावा किया है कि दो अक्तूबर को कूज जहाज पर की गई कार्रवाई फर्जी थी। छापे के दौरान अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत अन्य लोगों को पकड़ा गया था। वानखेड़े ने इससे पहले मंत्री द्वारा लगाए गए उन पर आरोपों का खंडन किया था। रविवार को मलिक ने दावा किया कि भले ही वानखेड़े मुस्लिम थे लेकिन जब उन्होंने मुंबई हवाई अड्डे पर कुछ बॉलीवुड हस्तियों को रोका, तब सुर्खियों में आने के बाद 2015 में अपनी पहचान बदलनी शुरू कर दी। राकांपा नेता ने कहाöअपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर दाऊद वानखेड़े (एनसीबी अधिकारी के पिता) डीके वानखेड़े और बाद में ज्ञानदेव बने। यासमीन वानखेड़े (एनसीबी अधिकारी की बहन) जैसमीन बन गईं और उसने अपने पति को तलाक दे दिया, जो एक मुस्लिम हैं और अब यूरोप में बस गया है। मलिक ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष अरुण हलदर के इस बयान पर भी आपत्ति जताई कि वानखेड़े ने कभी धर्मांतरण नहीं किया। मलिक ने कहाöहलदर भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हों, लेकिन उनकी नियुक्ति संवैधानिक पद पर हुई है। उन्हें मीडिया के सामने आने और यह टिप्पणी करने की बजाय कि वानखेड़े ने धर्मांतरण नहीं किया है, उन्हें क्या जानकारी दी गई है, इसके सभी तथ्यों को सत्यापित करना चाहिए। अपनी रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए और इसे संसद में प्रस्तुत करना चाहिए। कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति से नहीं है, वह लाभ का दावा नहीं कर सकता। मलिक ने कहाöसमीर वानखेड़े ने कभी धर्म परिवर्तन नहीं किया क्योंकि वह जन्म से मुसलमान हैं। सोमवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएसीसी) के अध्यक्ष विजय सांपला से समीर वानखेड़े ने भेंट की और भेंट के बाद सांपला ने कहा कि उनके द्वारा दस्तावेजों का सत्यापन महाराष्ट्र सरकार से किया जाएगा और उनके वैध पाए जाने पर वानखेड़े के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। सूत्रों ने बताया कि वानखेड़े ने अपनी पहली शादी के तलाक के दस्तावेज, जन्म प्रमाण पत्र और अन्य कुछ दस्तावेज भी सौंपे हैं।
जीते जी न दें कभी बच्चों को अपनी सम्पत्ति
उद्योगपति विजयपत सिंघानिया का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में जो सबसे बड़े सबक सीखे हैं उनमें से एक यह भी है कि किसी को जीवित रहते अपनी सम्पत्ति अपने बच्चों को देते समय सावधान रहना चाहिए। रेमंड समूह के पूर्व चेयरमैन एमेरिटस ने अपनी आत्मकथा ऐन इनकम्पलीट लाइफ में अपने बचपन से लेकर रेमंड में बिताए कई दशकों और उसके बाद के जीवन का वृत्तांत लिखा है। परिवार के सदस्यों के बीच सम्पत्ति को लेकर हुए विवाद में फरवरी 2015 में सिंघानिया को अपना काम और पैतृक घर छोड़ना पड़ा था। उन्होंने जो खोया था उसे पाने के लिए वह आज भी संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहाöअनुभव से मैंने सबसे बड़ा सबक सीखा, वह यह कि अपने जीवित रहते अपनी सम्पत्ति को अपनी संतानों को देते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आपकी सम्पत्ति आपके बच्चों को मिलनी चाहिए लेकिन यह आपकी मौत के बाद ही होनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि किसी माता-पिता को वह झेलना पड़े जिससे मैं हर दिन गुजरता हूं। सिंघानिया के अनुसार, अब सब कुछ उनके ऊपर निर्भर करता है। उन्होंने कहाöमुझे मेरे कार्यालय जाने से रोक दिया गया जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज पड़े हैं और अन्य सामान जोकि मेरा है। अपनी किताब में सिंघानिया ने लिखाöमुंबई और लंदन में मुझे अपनी कार छोड़नी पड़ी और मैं अपने सचिव से भी सम्पर्प नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि रेमंड के कर्मचारियों को कड़े आदेश दिए गए हैं कि वह मुझसे बात नहीं करें और मेरे कार्यालय में न आएं। प्रसिद्ध सिंघानिया परिवार में जन्मे विजयपत सिंघानिया से यही उम्मीद की जाती थी कि वह अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालेंगे लेकिन कोई उन्हें उनकी रुचि का काम करने से रोक नहीं सका और उन्होंने पायलट के तौर पर आकाश में दो विश्व कीर्तिमान स्थापित किए, कुछ समय के लिए प्रोफेसर रहे, एक बार मुंबई के शेरिफ भी बने।
-अनिल नरेन्द्र
Saturday, 6 November 2021
भावी राजनीति की जमीन तैयार करेंगे नतीजे
देश के 13 राज्यों में लोकसभा की तीन और विधानसभा की 29 सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे मंगलवार को नए सियासी संकेत लेकर आए हैं। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया, तो पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को करारी मात दी है। लोकसभा की तीन सीटों में शिवसेना, कांग्रेस और भाजपा को एक-एक सीट हासिल हुई है। हालांकि मध्यप्रदेश व असम में भाजपा को थोड़ी राहत जरूर मिली है। यदि हिमाचल प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो सभी राज्यों में सत्तारूढ़ दलों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। बावजूद राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कई राज्यों में यह नतीजे भावी राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। खासकर जिन राज्यों में निकट भविष्य में चुनाव होने वाले हैं। भाजपा न केवल हिमाचल में लोकसभा की अपनी मंडी सीट कांग्रेस के हाथों गंवा बैठी, बल्कि विधानसभा की तीनों सीटों पर भी कांग्रेस के उम्मीदवारों ने कब्जा कर लिया। गौरतलब है कि अगले साल ही वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इन उपचुनावों को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था। हिमाचल के यह परिणाम इसलिए भी खासे अहम हैं कि इसके पड़ोसी प्रदेशोंöपंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी अगले साल के पूर्वार्द्ध में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस करारी हार के लिए यदि महंगाई को उत्तरदायी ठहराया है, तो इसे बचाव का बयान नहीं समझा जाना चाहिए। यह सही है कि महंगाई लोगों के दिन-ब-दिन जीवन पर असर डालने लगी है और इसके लिए यहां पेट्रोल-डीजल या खाद्य पदार्थों के दाम याद दिलाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। हिमाचल में भाजपा की सरकार है। आमतौर पर जिस दल की सरकार राज्य में होती है, उसे ऐसी पराजय का सामना करना पड़ता है। इसलिए हिमाचल की हार-जीत को आगामी चुनावों से जोड़कर देखा जाने लगा है पर चुनाव में अभी वक्त है और भाजपा के पास रणनीति को नए सिरे से निर्धारित करने का पर्याप्त समय है। राजस्थान में दोनों सीटें कांग्रेस ने जीती हैं, जिनमें से एक सीट भाजपा से छीनी है। राजस्थान में गहलोत सरकार के कामकाज को लेकर बेशक पार्टी में ही सवाल उठे हैं। बावजूद इस जीत में यही माना जाएगा कि राजस्थान की जनता में सरकार के खिलाफ विरोध अभी इस कदर नहीं बढ़ा है। इन नतीजों के बाद भाजपा को भी नए सिरे से गहलोत सरकार की घेराबंदी के लिए रणनीति बनानी होगी। बंगाल में तृणमूल का मानो सीटों पर जीतना और असम में पांच सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगियों का काबिज होना स्वाभाविक है। इससे साबित होता है कि इन राज्यों में दोनों दलों ने वोटरों पर पकड़ मजबूत की हुई है। भाजपा ने मध्यप्रदेश में तीन में से दो सीटें जीती हैं। उसकी एक सीट बढ़ी है। लोकसभा की सीट को कायम रखने में सफलता मिली है। कर्नाटक में दो सीटों पर उपचुनाव में भाजपा हालांकि हंगल सीट को कांग्रेस से हार गई पर उसने जेडीएस से सिंदगी सीट जीत ली। पांच राज्यों की विधानसभा सीटों के परिणामों से कांग्रेस उत्साहित है। पार्टी को हिमाचल, राजस्थान, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में उम्मीद की किरण दिखाई दी है। क्योंकि उपचुनाव में कई सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला था। कुल मिलाकर यह उपचुनाव भावी राजनीति के संकेत देते हैं।
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