Saturday, 12 June 2021

तापमान बढ़ने से नीचे दबे वायरस के सक्रिय होने का खतरा

इतिहास में हमेशा मनुष्य और बैक्टीरिया व वायरस साथ-साथ रहे हैं। बेबोनिक प्लेग, चेचक तक हम इनका सामना करते रहे हैं। लेकिन क्या होगा यदि अचानक हमारा सामना ऐसे घातक बैक्टीरिया और वायरस से हो जाता है जो हजारों वर्षों से धरती के नीचे दबे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण हजारों वर्षों से जमी पर्माफ्रास्ट (मिट्टी, चट्टान और बर्फ से बनी धरती की परत) पिघल रही है और प्राचीन वायरस और बैक्टीरिया बाहर आ रहे हैं। इनमें से अधिकतर के एक्टिव होने की आशंका नहीं है लेकिन कुछ एक्टिव होकर खतरनाक रूप ले सकते हैं। अगस्त 2016 में साइबेरिया टुडा के चचल प्रायद्वीप में एक 12 साल के लड़के की मौत एंथ्रेक्स से हो गई थी। 20 अन्य लोग संक्रमित हो गए थे। इसकी शुरुआत 75 साल पहले हुई थी। तब एंथ्रेक्स से एक हिरन की मौत के बाद उसका शव मिट्टी और बर्फ के नीचे दब गया था। 2016 की भीषण गर्मी से यह परत पिघल गई थी और शव बाहर आ गया था। इसका बैक्टीरिया एंथ्रेक्स पानी, मिट्टी और फिर खाद्य पदार्थ के जरिये बच्चे के शरीर में पहुंच गया। हालांकि एंथ्रेक्स की सबसे पहले पहचान 12-13वीं सदी में की गई थी। यह अकेला मामला नहीं है। जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी पर्माफ्रास्ट की परत अधिक पिघलेगी। सामान्य परिस्थितियों में पर्माफ्रास्ट की परत हर गर्मियों में 50 सेमी पिघलती है लेकिन अब ग्लोबल वार्मिंग पुरानी पर्माफ्रास्ट परतों के पिघलने का कारण बन रही है। आर्टिक सर्कल में तापमान दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग तीन गुना तेजी से बढ़ रहा है। पर्माफ्रास्ट तेजी से पिघलने से इसमें जमा कार्बन डाइऑक्साइड और मिथेन भी वाताववण में घुल रही है। 2020 की गर्मियों में साइबेरिया में अब तक का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया है। इधर कुछ वर्ष पहले फ्रांस और रूस के वैज्ञानिकों ने 30 हजार साल पुरानी साइबेरिया पर्माफ्रास्ट से निकाले एक वायरस को पुनर्जीवित किया है। यह वायरस अभी वन को संक्रमित कर सकता था, इंसान को नहीं, लेकिन रूसी विज्ञान अकादमी के शोधकर्ताओं डॉ. एबर्जेल और डॉ. क्लेवेरी कहते हैं कि यह भी संभव है कि ऐसे ही कुछ वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं। 2005 के एक अध्ययन में नासा के वैज्ञानिकों ने अलास्का के जमे तालाब में 32 हजार वर्ष पुराने एक बैक्टीरिया को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया था। ग्लोबल वार्मिंग से बर्फ पिघल रही है और यह खतरे का संकेत है।

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