Saturday 26 June 2021

कमजोर देशों पर कब्जे की चीनी चाल

दुनियाभर में गोपनीय शर्तों के साथ कर्ज बांटकर चीन कमजोर देशों पर भू-राजनीतिक दबदबा बढ़ाने और उनके पोषण में जुटा है। एक रिपोर्ट से पता लगा है कि ड्रैगन इस वक्त सबसे बड़ा विदेशी ऋणदाता बन गया है। विश्व द्वारा और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने संयुक्त रूप से दिए ऋणों से अधिक दुनिया को चीन दे चुका है। जनवरी में प्रकाशित एक श्वेत पत्र के मुताबिक चीन विश्व समुदाय का हिस्सा होने के नाते अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग के तहत यह ऋण देने का दावा करता है। लेकिन पिछले कुछ समय में कई देशों के साथ उसका बर्ताव इस बात का सुबूत है कि वह इस सहयोग के नाम पर छलावा कर रहा है। इजरायली वेबसाइट पर अपने ब्लॉग पोस्ट में भू-राजनीति विशेषज्ञ फोबियन बुसार्ट ने लिखाöवैश्विक भलाई की आड़ में बांटा जा रहा चीनी कर्ज नियम-शर्तों के आधार पर शोषणकारी है। इनमें उधार लेने वाले देशों को दबाने के कई प्रावधान हैं। ऋण विकासशील देशों में चीन पर आर्थिक निर्भरता और वहां राजनीतिक लाभ बढ़ाने के दरवाजे खोलते हैं। इसके चलते कमजोर देशों की संप्रभुता पर भी गंभीर खतरा मंडराने लगा है। बुसार्ट के मुताबिक अधिकांश चीनी ऋण रियायती दरों की बजाय वाणिज्यिक दरों में बांटे गए हैं। ऐसा किसी विदेशी विकास सहायता में देखने को नहीं मिलता। डिफॉल्टर होने पर लेनदेन में उसकी सम्पत्तियों पर कब्जे की रणनीति। उदाहरण श्रीलंका का हंबनवेटा बंदरगाह, लाओस में इलेक्ट्रिक ग्रिड से लेकर तजाकिस्तान में विवादित क्षेत्र और मालदीव के रणनीतिक रूप से अहम द्वीपों पर चीनी कब्जा शामिल है।

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