Wednesday, 30 June 2021
कश्मीरी नेताओं के बदलते तेवर
गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीरी नेताओं की बातचीत के बावजूद एक बार फिर अविश्वास की बात उठना कोई आश्चर्य की बात नहीं। दिल्ली में इकट्ठे हुए कश्मीरी नेता दिल्ली में एक स्वर से बात करते हैं और वापस श्रीनगर पहुंचते ही इनके तेवर बदल जाते हैं। एक तरफ पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती लगातार पाकिस्तान से बातचीत पर जोर दे रही हैं। वहीं नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारुख अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अविश्वास का स्तर बरकरार है और इसे खत्म करना केंद्र की जिम्मेदारी है। शनिवार को फारुख ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से जनमत संग्रह का वादा किया था, लेकिन वह पलट गए। 1996 के चुनाव से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने सदन के पटल से स्वायत्तता का वादा किया था। कहां गया वह वादा? फारुख ने कहाöअविश्वास का स्तर है... हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि वह (केंद्र) क्या करता है... क्या वह अविश्वास को दूर करेंगे या इसे जारी रखेंगे? पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर पाकिस्तान से बात करने पर जोर दिया है। एक न्यूज चैनल के साथ इंटरव्यू में महबूबा ने कहा कि केंद्र सरकार को पीड़ित जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की स्थिति में सुधार के लिए पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह केंद्र के साथ आगे बातचीत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन विश्वास बहाली के उपायों को पहले लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे पिता हमेशा बातचीत करने के लिए तैयार रहते थे। लोकतंत्र का मतलब बात करना है, आप संवाद से नहीं भाग सकते हैं। पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र को जम्मू-कश्मीर के लोगों तक पहुंचने की जरूरत है, जो पीड़ित हैं और उनके साथ दिल की दूरी हटा दें। पिछले गुरुवार को बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि वह दिल्ली की दूरी को मिटाना चाहते हैं। महबूबा ने कहाöजिस तरह से जम्मू-कश्मीर में लोगों को आतंकित किया जाता है, उसे रोकने की जरूरत है। इन डोमिसाइल आदेशों को रोकने की जरूरत है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम इस समयसीमा को स्वीकार नहीं करते हैं। हम परिसीमन, चुनाव, राज्य का दर्जा स्वीकार नहीं करते हैं। हम परिसीमन, राज्य का दर्जा फिर चुनाव चाहते हैं। उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान केंद्र को यह स्पष्ट कर दिया गया कि विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। हम परिसीमन, राज्य का दर्जा फिर चुनाव चाहते हैं। यदि आप चुनाव कराना चाहते हैं तो आपको पहले राज्य का दर्जा बहाल करना होगा।
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