Thursday, 17 June 2021
कोरोना मौतों का ऑडिट होना चाहिए
कोरोना संक्रमण और उससे होनी वाली मौतों को लेकर राज्यों की तरफ से रोजाना जारी किए जाने वाले आंकड़े पिछले कुछ दिनों से विवाद का मुद्दा बने हुए हैं। कुछ देश और विदेशी मीडिया ने अपने स्तर पर कराए अध्ययन के आधार पर बताया था कि राज्य सरकारों की तरफ से जारी किए गए मौतों के आंकड़ों और वास्तविक संख्या में काफी अंतर है। बिहार सरकार ने कोरोना से हुईं मौतों का आंकड़ा जिस तरह प्रस्तुत किया उससे यह संदेह होता है कि कहीं इसी तरह की गफलत अन्य राज्यों में तो नहीं हुई? बिहार के आंकड़ों को लेकर शुरू से ही संदेह जताया जा रहा था, मगर वहां का स्वास्थ्य विभाग अपने पक्ष पर कायम था। इसे लेकर पटना उच्च न्यायालय ने सरकार को फटकार लगाते हुए जिलावार वास्तविक आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया। तब जाकर सरकार ने इसके लिए जिलों में समितियों का गठन किया। इन समितियों ने अस्पतालों और श्मशानों आदि से इकट्ठे करके जो आंकड़े उपलब्ध कराए हैं, उससे जाहिर है कि सरकारी स्तर पर कोरोना से हुई मौतों की संख्या सही नहीं बताई गई। भारत ने शनिवार को उस खबर का खंडन किया जिसमें दावा किया गया था कि देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या अधिकारिक आंकड़ों से पांच से सात गुना तक अधिक है। केन्द्राrय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर बिना नाम लिए लेख प्रकाशित करने के लिए प्रकाशक की निंदा की जिसमें दावा किया गया है कि भारत में कोविड-19 से होने वाली मौतें आधिकारिक आंकड़ों से पांच से सात गुना अधिक हैं। मंत्रालय ने दि इक्नोमिस्ट द्वारा प्रकाशित लेख को कयास लगाने वाला और बिना आधार वाला एवं भ्रामक करार दिया है। बयान में कहा गया, यह अनुचित विश्लेषण महामारी विज्ञान के सुबूतों के बिना केवल आंकड़ों के आंकलन पर आधारित है। उधर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर कोरोना मृतकों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि देश में जिन राज्यों में उसकी सरकारें हैं वहां आंकड़ों में हेरा-फेरी हुई है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को मामले की न्याययिक जांच करानी चाहिए और वहां के मुख्यमंत्रियों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। वाराणसी में आंकड़े छिपाने का हवाला देते हुए प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, अप्रैल में वहां 127 मौतें दिखाई गईं जबकि अकेले मणिकर्णिका घाट पर ही इस महीने के एक सप्ताह में 1500 दाह संस्कार हुए। हालात देख के लगता है कि गुजरात, मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश, कर्नाटक जैसे भाजपा शासित राज्यों के बीच कोरोना आंकड़े छिपाने की प्रतिस्पर्धा हो रही है, लाखों ऐसे मृतक हैं जिनके बारे में यह पता नहीं चला कि उनकी मृत्यु कोरोना से हुई है या किसी अन्य बीमारी से। एम्स के निर्देशक डा. रणदीप गुलेरिया ने सलाह दी है कि सभी अस्पतालों में कोरोना काल में हुई संक्रमितों की मौत का ऑडिट कराएं। डा. गुलेरिया ने कहा है कि अस्पतालों और राज्यों के कोरोना वायरस से हुईं मौतों का ऑडिट कराना चाहिए जिससे पारदर्शिता आए। जिस तरह से कोरोना से हुईं मौतों को भी सामान्य मौत बताया गया, घरों में होने वाली मौतों के आंकड़े जुटाने का प्रयास नहीं किया गया। वह सरकारों की जानबूझकर की गई घपलेबाजी ही कही जाएगी। अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रोज एक लाख लोग संक्रमित हो रहे हैं। पांच हजार से ऊपर मौतें हो रही हैं। अगर अपनी नाकामी छिपाने की गरज से सरकारों का यही रवैया रहा, तो मुश्किल बढ़ेगी ही।
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