Wednesday, 30 June 2021

पहली बार ड्रोन से आतंकी हमला

पाकिस्तान से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर भारतीय वायुसेना के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात को दो बम धमाके हुए। इन धमाकों में दो जवान मामूली रूप से घायल हुए हैं तथा टेक्निकल एरिया में बने एक भवन की छत को नुकसान पहुंचा है। यह धमाके भले ही कम तीव्रता के थे, मगर सबसे खास बात यह थी कि पहली बार सीमापार से ड्रोन हमला किया गया। पहली बार ड्रोन के जरिये एयरबेस के भीतर दो आईईडी गिराए गए। एक आईईडी एक भवन की छत पर गिरा, जबकि दूसरा खुले स्थान पर गिरा। जांच एजेंसियों को आशंका है कि हमले का निशाना एयरफोर्स स्टेशन पर खड़े विमान थे। धमाके इनसे कुछ ही दूरी पर हुए हैं, मगर किसी मशीनरी को नुकसान नहीं पहुंचा है। घटना के बावजूद यहां उड़ानों का संचालन सामान्य रहा। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने इसे एक आतंकी हमला बताया। आतंकी हमले में ड्रोन का इस्तेमाल चिंताजनक है। ड्रोन के मामले में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि छोटा और नीची उड़ान भरने के कारण राडार की पकड़ में भी नहीं आता। बहुत पास आने पर ही इसे देखा जा सकता है। यही कारण है कि ड्रोन के मामले में शूट टू किल का एसओ भी अपनाया जाता है। इसके लिए अमेरिका और इजरायली मिसाइलों का इस्तेमाल करते हैं। हम भी ड्रोन के हमले रोकने में पूरी तरह सक्षम हैं। ड्रोन की रेंज पांच से लेकर 100 किलोमीटर हो सकती है, यह ड्रोन के पेलोड पर निर्भर है। ड्रोन के टुकड़ों से 24 घंटे में पता चल जाएगा कि यह कितनी रेंज का था, कहां से उड़ान भरी होगी। मौके पर वायुसेना, राष्ट्रीय कमांडेंट सेंटर, स्पेशल सिक्यूरिटी फोर्स व एनआईए की टीम मौजूद है। अधिकारी इस बात की जांच में सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं कि ड्रोन किधर से आए और हमले के बाद कहां गए। जांचकर्ताओं ने कहाöसीसीटीवी सड़कों पर नजर रखते हैं। स्पष्ट नहीं कि ड्रोन सीमापार गए या कहीं और? अधिकारियों ने कहा कि एयरपोर्ट का राडार ड्रोन को पकड़ने में सक्षम नहीं है। इसके लिए ऐसे राडार की जरूरत है जो चिड़िया को भी देख सके। पाकिस्तान पिछले दो साल से ड्रोन भेजकर लगातार अंतर्राष्ट्रीय सीमा तथा नियंत्रण रेखा पर नापाक साजिशें रच रहा है। सीमापार से हथियारों और नशे की खेप की तस्करी के साथ ही बॉर्डर पर लगे सुरक्षा प्रतिष्ठानों की रैकी भी करता है। हाई सिक्यूरिटी जोन में स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर हमले के बाद यह शक और गहरा गया है। सुरक्षा और जांच एजेंसियों का मानना है कि हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में लगातार बने रहने तथा दिल्ली में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कश्मीरी नेताओं की सर्वदलीय बैठक में अनुच्छेद 370, 35ए को तवज्जो न मिलने से बौखलाए पाकिस्तान के इशारे पर एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया। चूंकि यह पहली बार है, जब किसी आतंकी हमले में ड्रोन के जरिये हमला किया गया, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों को न केवल और अधिक यंत्र दिए जाने चाहिए, बल्कि इस तरह के हमलों की काट के लिए कमर भी कसनी चाहिए। इन्हें इस तरह के हमले का जवाब भी खोजना होगा कि एयरफोर्स स्टेशन की व्यवस्था में किस खामी के चलते ड्रोन हमला संभव हुआ। उन्हें इस बात का जवाब भी खोजना चाहिए कि सुरक्षा व्यवस्था में किस खामी के चलते ड्रोन हमले से एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया? ज्यादा नुकसान नहीं हुआ तो इसका मतलब यह नहीं कि हमले की साजिश कमजोर थी। पाक ने अपने इरादों में एक नया हथियार जोड़ लिया है।

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