Wednesday, 9 June 2021
अंतर्कलह, गठबंधन, नेतृत्वहीन कांग्रेस की हार के कारण
हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनावों में दिल्ली हार का विश्लेषण करने के लिए गठित कांग्रेस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है। समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण थे और इस कमेटी में सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी, विन्सेंट काला और जोशी मीणा जैसे सदस्य शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि अपनी रिपोर्ट में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण उम्मीदवार चयन में अंदरूनी कलह, गठबंधन और खामियों को बताया है। समिति ने कहा कि असम सहित कोई भी राज्य अंदरूनी लड़ाई से अछूता नहीं है, जबकि केरल अंदरूनी लड़ाई की सूची में शीर्ष पर है, जहां ओमान चांडी और रमेश चेन्नीथला के नेतृत्व में दो गुट आमने-सामने थे। असम में कई लोगों ने एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन के लिए रिवर्स ध्रुवीकरण का मुख्य कारण बताया, जबकि कुछ ने कहा कि एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन फायदेमंद था लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने राज्य के प्रभारी जितेंद्र सिंह को राज्य के नेताओं को विश्वास में नहीं लेने के लिए दोषी ठहराया है। चुनाव प्रचार और गठबंधन पर फैसला करते हुए कहा कि ऊपरी असम के मुद्दों की उपेक्षा की गई। कांग्रेस पैनल को केरल में कई नए चेहरों के बारे में बताया गया, जिसके कारण राज्य में पार्टी का खराब प्रदर्शन हुआ, जबकि पश्चिम बंगाल में गठबंधन में बहुत देर हो गई और भाजपा और टीएमसी के बीच ध्रुवीकरण के कारण राज्य में पार्टी की हार हुई। जिस तरह से प्रदेशाध्यक्ष ने बिना परामर्श के काम किया उससे कांग्रेस नेता नाराज थे। सूत्रों ने कहाöकांग्रेस का मीडिया प्रबंधन भी ठीक नहीं था। कांग्रेस पैनल ने पांच राज्यों में आगामी राज्य चुनावों के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं। अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 11 मई को हाल में ही सम्पन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के कारणों का विश्लेषण करने के लिए इस समिति का गठन किया था। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा थाöहमें स्पष्ट रूप से यह समझने की जरूरत है कि हम केरल और असम में मौजूदा सरकारों को हटाने में विफल क्यों रहे और हमें पश्चिम बंगाल में एक भी सीट क्यों नहीं मिली? देखना है कि इस समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाता है या नहीं, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि 2014 के लोकसभा चुनावों में पराजय के कारण जानने के लिए गठित एके एंटोनी समिति की रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई और यह किसी को पता नहीं कि 2019 के लोकसभा चुनावों में हार की वजह जानने की कोई कोशिश की गई या नहीं? यह अत्यंत दुखद है कि आखिर दो साल बाद भी कांग्रेस नेतृत्व का मसला क्यों नहीं सुलझा पाई है? क्या कारण है कि सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बने हुए अरसा हो गया है और फिर भी पार्टी नए अध्यक्ष का चुनाव कराने की जरूरत नहीं समझ पा रही है? क्या नए अध्यक्ष के चुनाव में भी पार्टी की गुटबाजी आड़े आ रही है। यह एक तथ्य है कि किसी भी पार्टी में गुटबाजी पनपती है तो नेतृत्व की नाकामी के कारण ही। पहले तो यह गुटबाजी राज्य स्तर पर ही थी लेकिन अब तो यह केंद्रीय स्तर पर भी उभर आई है। 23 असंतुष्ट गुट अगर अस्तित्व में हैं तो वह नेतृत्व की कमियों के कारण ही हैं। यह दुखद है कि जब देश को मजबूत विपक्ष की सख्त आवश्यकता है तब कांग्रेस दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है और विपक्ष की भूमिका निभाने में बुरी तरह फेल हो रही है। अगर नेतृत्व का मुद्दा जल्द नहीं सुलझा तो कांग्रेस और बिखर जाएगी और अगर ऐसा होता है तो स्वयं कांग्रेस नेतृत्व इसके लिए जिम्मेदार होगा।
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