Tuesday, 22 June 2021
क्यों भाई चाचा हां भतीजा
लोकजन शक्ति पार्टी में बगावत के बाद पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान तथा चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस की ओर से पार्टी पर वर्चस्व को लेकर शुरू हुई लड़ाई अब कानूनी दांव-पेंच में उलझ गई है। दोनों ही पक्ष अब अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए चुनाव आयोग की शरण में पहुंचे हैं। पशुपति पक्ष की ओर से बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद अब चिराग पक्ष ने भी 20 जून को कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। लोजपा में जिस तरह का आपसी संघर्ष शुरू हुआ है, वह जल्द थमता नजर नहीं आ रहा है। लोकजन शक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई व सांसद पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में पारस सहित पार्टी के पांच सांसदों की बगावत के बाद लोजपा में शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई दिन-प्रतिदिन तेज हो रही है। पशुपति पारस गुट गत दिवस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पशुपति पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर चुका है। इससे पहले लोकसभा सचिवालय उन्हें संसदीय दल का नेता भी घोषित कर चुका है। चाचा पशुपति पारस की ओर से एक के बाद एक लगातार फेल रहे उनके भतीजे चिराग पासवान को लेकर भी अब आक्रामक दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने भी पार्टी में अपना वजूद बचाने तथा अपना दबदबा कायम रखने के लिए निर्णायक लड़ाई शुरू कर दी है। चिराग पासवान शुक्रवार को अपनी पार्टी के कुछ नेताओं के साथ चुनाव आयोग से भी मिले और पार्टी के झंडे व चुनाव चिन्ह पर अपना दावा किया। चिराग ने पार्टी संविधान का हवाला देते हुए आयोग से मांग की कि पशुपति पारस गुट को पार्टी के चिन्ह व झंडे का इस्तेमाल करने से रोका जाए। चिराग ने कहा कि जो पांच सांसद उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ हैं उन्हें पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है, इसलिए अब वह निर्दलीय सांसद हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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