Wednesday, 16 June 2021
शीशे के घर में रहने वाले दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि जिनके अपने घर शीशे के होते हैं, वह दूसरों के घरों में पत्थर नहीं फेंकते। याचिका में परमबीर सिंह ने अपने खिलाफ चल रहे मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने की फरियाद की थी। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. सुब्रह्मण्यम की अवकाशकालीन पीठ ने कहाö30 वर्ष से भी ज्यादा समय तक सेवा के बाद भी क्या आपको महाराष्ट्र पुलिस पर भरोसा नहीं है। क्या यह बेहद चौंकाने वाली बात नहीं है। अदालत के रुख को देख परमबीर सिंह ने बाद में अपनी याचिका वापस ले ली। परमबीर सिंह को मार्च में मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया गया था। रिलायंस समूह के अध्यक्ष मुकेश अंबानी की सुरक्षा से संबंधित कई जांचों के दौरान परमबीर सिंह विवादों में घिरे रहे थे। उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर धमाका कर दिया था, जिससे उद्धव ठाकरे सरकार का संकट गहरा गया था। परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने मुंबई के बार व रेस्तरां से हर महीने सौ करोड़ रुपए की वसूली का कुछ पुलिस वालों को लक्ष्य दिया था। बकौल परमबीर सिंह गृहमंत्री के भ्रष्टाचार का खुलासा करने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा था और परेशान किया गया। इसी आधार पर उन्होंने अपने खिलाफ जारी सभी जांच मुंबई पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की थी। अनिल देशमुख के खिलाफ लगे आरोपों की जांच सीबीआई ही कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान परमबीर सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने अदालत को बताया कि परमबीर सिंह पर एक जांच अधिकारी ने देशमुख के खिलाफ लिखा पत्र वापस लेने का दबाव बनाया था और धमकी दी थी कि ऐसा नहीं करने पर उन्हें और मामलों में फंसाया जाएगा। जेठमलानी ने कहा कि उन्हें एक के बाद एक नए मामलों में फंसाया जा रहा है। इस पर जजों ने टिप्पणी कीöयह तो पुरानी कहावत है कि खुद शीशे के घर में रहने वाले दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते। जब अदालत को बताया गया कि मुख्यमंत्री को परमबीर सिंह के पत्र के बाद भी उगाही का सिलसिला जारी रहा तो न्यायाधीशों ने उन्हीं पर यह कहते हुए पलटवार कियाöआप पुलिस आयुक्त थे। अवैध उगाही रोकने के लिए आपने क्या कदम उठाए थे? अगर पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी पर दबाव डाला जा सकता है तो फिर कोई नहीं होगा जिस पर दबाव नहीं डल सकता। उन्होंने कहाöकहानियां मत बनाइए। जांच सीबीआई को सौंपने के मुद्दे पर पीठ ने कहाöदोनों बातें अलग-अलग हैं। पूर्व मंत्री के खिलाफ जांच अलग है और आपके खिलाफ जांच अलग है। आपने पुलिस में अपनी 30 साल से ज्यादा सेवा दी है। आपको पुलिस पर संदेह नहीं होना चाहिए। जब आप यह नहीं कर सके तो आप राज्य से बाहर जांच चाहते हैं।
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