Wednesday, 2 June 2021
एक बार फिर जहरीली शराब का कहर
जहरीली शराब पीने से बड़े पैमाने पर लोगों के मारे जाने की घटनाएं आए दिन देश के विभिन्न भागों में होती रहती हैं पर हर बार कुछ जांचों, कुछ लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाइयां आदि की औपचारिकता के बाद मामले को रफा-दफा मान लिया जाता है। अवैध शराब बनाने और उसके कारोबार पर नकेल कसने की जो पहल होनी चाहिए, वह कहीं होती नहीं दिखती। इसी का नतीजा हमारे सामने हैं। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से शुक्रवार तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 12 से ज्यादा अस्पताल में भर्ती हैं। तीन दिन में प्रशासन प्रभावित गांवों का सर्वे तक नहीं कर पाया। रविवार दोपहर पोस्टमार्टम केंद्र पहुंचे एमएलसी मानवेंद्र प्रताप सिंह ने 65 मौतों की बात मानी है। हालांकि पुलिस व प्रशासन का जोर आंकड़े दबाने पर ही रहा। रविवार को ही 15 मौतें दर्ज हुई हैं। इस मामले में प्रशासन ने कुछ आबकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। विचित्र है कि ताजा घटना में जहरीली शराब लोगों ने एक अधिकृत दुकान यानि ठेके से खरीदी थी। बहुत साल पहले देसी शराब की बिक्री के लिए भी ठेके दिए जाने लगे थे। तब माना गया था कि इससे देसी शराब की गुणवत्ता, उसमें जहरीले तत्वों आदि की जांच में मदद मिलेगी और लोगों के चोरी-छिपे जहां-तहां गांव-गिरांव में बनने वाली शराब पीकर मौत के आगोश में समा जाने की घटनाओं पर अंकुश लगेगा मगर ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। इस बीच मुख्य आरोपियों में से एक 50 हजार के इनामी विपिन यादव को गिरफ्तार किया है। पनैठी में पुलिस की नाक के नीचे चल रही अवैध शराब फैक्ट्री पर भी छापा मारा। दो थाना प्रभारी रजत शर्मा व प्रवीण मान और दो दारोगा चौकी प्रभारी सिद्धार्थ कुमार व शक्ति राठी को निलंबित कर दिया गया है। वहीं मृतकों के परिजनों से अभद्रता की शिकायत पर पोस्टमार्टम केंद्र के प्रभारी को भी हटा दिया गया है। पुलिस ने सरगना रालोद नेता अनिल चौधरी व ठेकेदार नरेंद्र सिंह को तीन दिन की रिमांड पर लिया है। अवैध रूप से बनाई जाने वाली शराब में तो चूंकि गुणवत्ता नियंत्रण वगैरह का कोई पैमाने हैं ही नहीं, इसलिए उसमें मनमाने तरीके से ऐसे तत्वों को मिला दिया जाता है जिससे शराब जहरीली हो जाती है। ऐसा नहीं कि प्रशासन इन तथ्यों से अनजान है या उस अवैध रूप से बनने वाली शराब के ठिकानों की जानकारी नहीं है। मगर वह किसी लोभ में या दबाव में अपनी आंखें बंद रखते हैं। इस तरह जहरीली शराब पीकर लोगों का मरना भी किसी आपदा से कम नहीं। उन मौतों को सिर्फ इसलिए रफा-दफा नहीं किया जा सकता कि वह लोग गरीब थे और नशे की अपनी बुरी आदत की वजह से मारे गए।
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