Saturday 12 June 2021

यूएई में गर्मी का सात साल का रिकॉर्ड टूटा

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में इन दिनों गर्मी कहर बरपा रही है। रविवार को अत ऐन के सदीहान में पारा 51.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। यह सीजन का सबसे गरम दिन था। बीते शुक्रवार को भी यहां पारा 51 डिग्री था। इस पर राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (एनसीएम) के प्रवक्ता ने कहा कि मई की तुलना में जून में तापमान 2-3 डिग्री बढ़ गया है। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि यूएई अब तक का सबसे गरम साल देखेगा। इससे पहले 2002 में 52.1 डिग्री पारा पहुंच गया था। पर तीन दिन में दो बार 51 डिग्री पहुंचना नई बात है। यूएई के खगोल विज्ञानी हसन-अल-हरिटी ने कहा कि इतनी ज्यादा गर्मी एक अजीब मौसम की घटना है, पर इसको हर 11 साल पर होने वाली सूर्य गतिविधि से जोड़कर कभी नहीं देख सकते। 2020 में सूर्य अपने अधिकतम गतिविधि वाले चक्र में प्रवेश कर चुका है। यही इस गर्मी का कारण है, बिना आंकड़े और विश्लेषण के यह कहना मुश्किल है। 55 वर्षीय हरिरी ने बताया कि बचपन यानि 70 के दशक में यहां गर्मी के मौसम में भी ठंडक रहती थी, 90 के दशक के साथ गर्मी में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। इसे देखते हुए यूएई पुलिस और प्रशासन ने भी तैयारी कर ली है। अबूधाबी पुलिस ने चेतावनी दी है कि यदि माता-पिता या अभिभावक ने किसी भी कारण से बच्चों को कार के अंदर छोड़ा तो यह दंडनीय अपराध होगा। ऐसे लोगों को 10 साल की जेल और 10 लाख दिरहम (2 करोड़ रुपए) तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। गर्मी में टायर फटने से होने वाली दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए समर सेफ ट्रैफिक अभियान के तहत अबूधाबी पुलिस ने ड्राइवरों से गाड़ियों के टायरों की जांच के ]िलए कहा है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि टायर पुराने या क्षतिग्रस्त तो नहीं हैं, ताकि दुर्घटना से बचा जा सके। ड्राइवरों को उपयुक्तता, आकार, तापमान, अधिकतम पारा निर्माण वर्ष और लंबे सफर के लिए उनके स्थायित्व के निर्देशों के अनुसार टायरों का इस्तेमाल करने को कहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी गर्मी में बच्चों को गाड़ी में छोड़ना जानलेवा हो सकता है, क्योंकि बाहर तापमान 40 डिग्री है तो 10 मिनट में ही गाड़ी के अंदर तापमान 60 डिग्री तक पहुंच सकता है। हीट स्ट्रोक और सफोकेशन से बच्चों की जान जा सकती है। सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि हर साल औसतन 40 बच्चों की मौत इस वजह से होती है। सबसे बड़ी बात है कि 55 प्रतिशत माता-पिता ऐसे खतरे से वाकिफ नहीं होते हैं। -अनिल नरेन्द्र

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