Wednesday, 23 June 2021
एक-दूसरे को खरी-खरी सुनाने से चूके नहीं बिडेन-पुतिन
अमेरिका और रूस के रिश्तों में तनाव की पृष्ठभूमि में जो बिडेन और ब्लादिमीर पुतिन के बीच जिनेवा में हुई शिखर वार्ता दोनों देशों में तनाव कम करने का महत्वपूर्ण कदम है। बेशक इसमें विवादास्पद मुद्दे उठे। याद रहे, विगत मार्च में बिडेन ने एक इंटरव्यू में पुतिन को जब हत्यारा कह दिया था, तब आपसी तनाव के बीच दोनों देशों ने अपने-अपने राजदूत वापस बुला लिए थे। वार्ता के दौरान भी औपचारिक शालीनता से इत्तर दोनों देशों के रुख में सहमति की गुंजाइश कम दिखी, चाहे वह अमेरिका में साइबर हमलों के पीछे अनजान रुसियों का हाथ होने की अमेरिका की शिकायत हो या रूस में विपक्ष के नेता नवलनी की गिरफ्तारी तथा यूकेन के पूर्वी तट पर रूसी सेना की मौजूदगी पर अमेरिका की चिंता हो। दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच हुई शिखर वार्ता में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने स्वीकारा कि दुनिया में एटमी युद्ध कभी न हो। लेकिन दोनों ने तनाव कम करने के साथ-साथ एक-दूसरे को खरी-खरी सुनाईं। बिडेन ने रूस में विपक्षी नेता के जेल में बंद होने पर कहाöयदि एलेक्सी नवलनी की कैद में मौत हुई तो नतीजे भयावह होंगे। पुतिन ने अमेरिका में अश्वेतों से अन्याय व छह जनवरी को कैपिटल हिल घटना पर सवाल उठाए। दोनों देशों के बीच हाल के महीनों में लगातार तनाव के बीच दोनों पक्षों ने जिनेवा बैठक के पांच घंटे तक चलने की संभावना जताई थी, लेकिन यह पहले ही खत्म हो गई। दोनों पक्षों के साझा बयान के केंद्र में परमाणु अप्रसार का मुद्दा रहा जिसमें कहा गया कि परमाणु युद्ध कभी नहीं जीता जा सकता और कभी होना भी नहीं चाहिए। इस बीच बिडेन ने पुतिन के साथ हुई बैठक में मानवाधिकारों के मुद्दों पर जोर दिया और एलेक्सी नवलनी को जेल में रखने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कैद में उनकी मौत के नतीजे भयावह होंगे। पुतिन ने इस दौरान छह जनवरी को अमेरिकी संसद भवन पर हुए हमले में दंगाइयों की गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाए। पुतिन ने कहाöहम मानवाधिकारों पर अमेरिकी दखल के भाषण नहीं सुनेंगे। वर्ष 2018 में पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हेलसिंकी में हुई शिखर वार्ता से जिनेवा वार्ता की तुलना करें तो साफ दिखता है कि 2016 के अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल के आरोप से इंकार कर ट्रंप तब पुतिन के आगे बिक से गए थे। जबकि बिडेन ने पुतिन के साथ साझा पत्रकार वार्ता करने से मना कर सख्ती का परिचय दिया। इसके बावजूद ट्रंप की तुलना में बिडेन के समय अमेरिका-रूस के रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद है, तो इसलिए कि बिडेन परिपक्व नेता हैं और अमेरिका की जिम्मेदारियों से अवगत हैं। दोनों देश न केवल राजदूतों की दोबारा बहाली पर सहमत हो गए हैं, बल्कि परमाणु युद्ध की आशंका खत्म करने के साथ विवादास्पद मुद्दों पर निरंतर बातचीत भी जारी रखना चाहते हैं। राष्ट्रपति जो बिडेन की यह पहली अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वार्ता थी जिसमें उन्होंने एक परिपक्व राजनेता का सुबूत दिया।
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