Friday, 3 December 2021
मोदी सरकार की रणनीति कामयाब?
सरकार की रणनीति के अनुरूप ही संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों की वापसी का मुद्दा पीछे छूट गया है और राज्यसभा से विपक्ष के एक दर्जन सांसदों के निलंबन का मुद्दा हावी हो गया है। इससे सरकार कृषि कानूनों की वापसी पर चर्चा की असहज स्थिति से फिलहाल बच गई। सत्र के दूसरे दिन भी निलंबन पर हंगामा हुआ। उल्लेखनीय है कि सत्र से पहले विपक्ष ने सरकार को कृषि कानूनों की वापसी के मुद्दे पर घेरने की रणनीति बनाई थी, लेकिन सत्र के पहले दिन ही दोनों सदनों से कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला बिल पारित होने और इसके तत्काल बाद विपक्षी सदस्यों के निलंबन के बाद स्थिति बदल गई। मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष द्वारा बहिष्कार और लोकसभा में हंगामे के बीच किसी ने कृषि कानूनों का मुद्दा नहीं उठाया। अब सरकार ने विपक्ष को माफी की शर्त के साथ निलंबन वापसी का प्रस्ताव रखा है। विपक्ष के यह शर्त मानने की उम्मीद बहुत कम है। ऐसे में विवाद लंबा खिंच सकता है। मानसून सत्र में भी ऐसा ही बदला नजारा। संसद के मानसून सत्र में भी अचानक नजारा बदल गया था। विपक्ष सरकार को किसान आंदोलन, महंगाई पर घेरना चाहता था, लेकिन ऐन मौके पर पेगासस जासूसी कांड के खुलासे के बाद अचानक सब कुछ बदल गया। विपक्ष ने इसे मुख्य मुद्दा बनाया और न सिर्प सत्र को समय से पहले खत्म करना पड़ा, बल्कि पूरे सत्र में जबरदस्त हंगामे के कारण कामकाज नहीं हो पाया। जिस तरह से सत्र में सांसदों के निलंबन का मुद्दा गरमाया है, उससे कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। सवाल है कि क्या रणनीति के तहत ठीक उसी दिन सांसदों के निलंबन की घोषणा की गई जिस दिन कृषि कानूनों को वापस लिया गया। यदि कानून वापसी पर चर्चा होती तो सरकार को कई सवाल असहज कर सकते थे और उनका जवाब देना सरकार के लिए आसान नहीं होता। कृषि कानून वापसी पर असहज स्थिति से बचने के लिए मोदी सरकार की रणनीति कामयाब रही।
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