Saturday, 18 December 2021

लखीमपुर कांड लापरवाही नहीं साजिश

लखीमपुर खीरी मामले में विशेष जांच दल यानि एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद स्थिति बिल्कुल पलट गई है। एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है। इसके मुताबिक तीन अक्तूबर को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने सोची-समझी साजिश के तहत चार किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलकर हत्या कर दी थी। यह वारदात किसी लापरवाही की वजह से नहीं हुई बल्कि योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया। इसके बाद भड़के उपद्रव में भी चार लोगों की जान चली गई थी। एसआईटी ने दो महीने बाद एफआईआर की धाराओं में भी बदलाव किया है और इसे गैर-इरादतन हत्या की बजाय हत्या का केस माना है। कोर्ट ने भी इसे मंजूरी दे दी है। एफआईआर में आशीष मिश्रा मोनू मुख्य आरोपी है। धाराओं के बदलने के बाद आशीष सहित 14 आरोपियों पर अब हत्या के साथ हत्या के प्रयासों का भी केस चलेगा। मंगलवार को सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर नई धाराओं में वारंट जारी करने के बाद जेल भेज दिया गया। इस बीच मंत्री अजय मिश्रा ने जेल में बेटे से मुलाकात की। एसआईटी ने इसे गैर-इरादतन हत्या के बाद हत्या का मामला माना है और सुसंगत धाराओं में केस दर्ज करने की अनुमति भी अदालत से ले ली है। गौरतलब है कि इस घटना से समूचा देश सन्न रह गया था। मंत्री पुत्र का नाम घटना में आने से राजनीति भी गरमा गई है। निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए विपक्ष को सरकार पर हावी होने का मौका हाथ में लग गया था। उस समय किसान आंदोलन भी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा था। ऐसे में माना जा रहा था कि तत्काल सक्रियता नहीं दिखाई तो प्रदेश सरकार के समक्ष मुसीबतें बढ़ेंगी। इसलिए आनन-फानन में प्रदेश सरकार ने इस मामले में दर्ज दो प्राथमिकियों की जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन कर दिया था। तमाम विपक्षी दल और किसान संगठन शुरू से मांग करते रहे हैं कि लखीमपुर खीरी मामले में मुख्य साजिशकर्ता अजय कुमार मिश्रा हैं। किसान संगठनों ने तो अपनी प्राथमिकी में भी यह बात कही है और शुरू से मांग उठाते रहे हैं कि उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा और उन्हें मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए। अपने तर्प के पक्ष में उन्होंने अजय कुमार मिश्रा के घटना से कुछ दिन पहले के विवादित भाषण और किसानों को ठेंगा दिखाने के प्रमाण भी नत्थी किए थे। उनका कहना था कि उनके रहते मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। मगर केंद्र सरकार ने न जाने किस मोह में उन्हें पद पर बने रहने दिया। सियासी गलियारों में सवाल चल रहे हैं कि क्या केंद्रीय मंत्री के तौर पर अजय मिश्रा टैनी की इनिंग खत्म होने वाली है? इनिंग खत्म हो या न हो, इस मसले के विपक्ष के बाद, संसद और संसद के बाहर खत्म होने के आसार नहीं हैं। मिश्रा को लेकर भाजपा में भी दो राय हैं। एक राय यह है कि लखीमपुर खीरी कांड ने किसान आंदोलन और विपक्ष को ताकत दी है। कोरोनाकाल में उत्तर प्रदेश सरकार के बेहतर काम, भाजपा की हिन्दुवादी विचारधारा की भी अच्छी पकड़ से बने माहौल पर खीरी कांड ने गंदे छींटे डाले हैं, लेकिन दूसरी तरफ अहम राय ब्राह्मण वोट बैंक को एकजुट रखने के बारे में है। यही राय अब तक हावी नजर आई है। यही वजह है कि मिश्रा पद पर बरकरार रहे हैं। पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी है, पर साथ ही केंद्र सरकार की किरकिरी भी बढ़ गई है। भाजपा की इमेज पर भारी पड़ रही है टैनी की पारी। -अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment