Friday, 3 December 2021

पीसीएस से टीईटी परीक्षा तक नकल माफिया की सेंध

प्रवेश परीक्षाओं और नौकरियों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र को पहले ही बाहर करके परीक्षार्थियों को बेच देना अब एक बड़ा धंधा बन गया है। हालांकि इसे रोकने के लिए परीक्षाएं आयोजित कराने वाली संस्थाएं और सरकारें काफी चाक-चौबंद इंतजाम करने का प्रयास करती हैं, मगर धांधली करने वाले उसमें भी सेंधमारी कर लेते हैं। आखिर पेपर लीक होते हैं क्यों? आसान जवाब है, भ्रष्ट तत्व बहुत अंदर तक पैठ बना चुके हैं। जवाब तो आसान है पर हालात को बदलना आसान नहीं है। पेपर लीक होने का हादसा किसी एक घटना का नहीं प्रक्रिया का मामला है। समूची प्रक्रिया से जुड़े सवाल उठ खड़े होते हैं। प्रक्रिया पारदर्शी हो। कई स्तरों पर नियंत्रण हो यह जितना जरूरी है उतना ही मुश्किल है। अध्यापक पात्रता परीक्षा यानि टीईटी का पर्चा बाहर हो जाना लीक होने का ताजा उदाहरण है। करीब 20 लाख परीक्षार्थी इस परीक्षा में हिस्सा लेने वाले थे, मगर पर्चा लीक होने की वजह से उसे रद्द करने की घोषणा के बाद उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। हालांकि इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए परीक्षार्थियों को राहत की घोषणा कर दी। यह परीक्षा एक महीने बाद दोबारा आयोजित होगी और इसके लिए दोबारा फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होगी। प्रवेश पत्र दिखाकर परीक्षार्थी राज्य परिवहन सेवा की बसों में मुफ्त यात्रा कर सकेंगे। विशेष कार्यबल ने विभिन्न शहरों में छापेमारी कर कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। मगर इससे व्यवस्था की जवाबदेही खत्म नहीं हो जाती। यह कोई पहली घटना भी नहीं है। पहले भी कई मौकों पर इस तरह परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा है। लाखों नौजवान परीक्षार्थी पेपर लीक से परेशान हुए, उनके घर वाले भी परेशान हुए, उन्हें राजनीतिक तौर पर नाराज रखना किसी भी राजनीतिक दल के लिए ठीक नहीं है। सत्तारूढ़ दल को इस संबंध में कड़े कदम उठाने चाहिए। कदम ऐसे हों कि लगे यह ठोस और वास्तविक हैं। ताजा मामले में बहुत सारे विद्यार्थी एक दिन पहले परीक्षा केंद्रों पर पहुंच गए होंगे और जैसे-तैसे रात गुजारने के बाद केंद्र पर पहुंचे होंगे, पर निराश होकर उन्हें लौटना पड़ा। उनमें से न जाने कितने गरीब विद्यार्थी होंगे, जिन्होंने बड़ी मुश्किल से इस परीक्षा के लिए पैसे जुटाए होंगे, महीनों मेहनत की होगी। इस घटना ने एक बार फिर रेखांकित किया है कि परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए अभी और व्यावहारिक उपायों की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि सुनिश्चित किया जाए कि लाखों नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो, उनके भविष्य में लीकेज न हो। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह आखिरी लीकेज होगी।

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