Sunday, 26 December 2021

सवाल अयोध्या में जमीन घोटाले का

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कुछ रसूखदार लोगों के बड़े पैमाने पर मंदिर परिसर के आसपास जमीनें खरीदे जाने की खबर परेशान करने वाली जरूर है। अच्छा है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अविलंब इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। राजस्व विभाग के स्पेशल सैक्रेटरी स्तर के अधिकारी द्वारा की जाने वाली इस जांच की रिपोर्ट एक हफ्ते में आने वाली है। एक अंग्रेजी अखबार में राम मंदिर के पांच किलोमीटर के दायरे में जमीन खरीदे जाने की यह खबर छपते ही विपक्ष ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इसे घोटाला बताते हुए मंदिर न्यास द्वारा दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को इसका स्वत संज्ञान लेकर इसकी जांच करानी चाहिए। अयोध्या में जमीन घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की है। प्रियंका ने कहा कि राम मंदिर के लिए देश के तकरीबन हर परिवार ने चंदा दिया है। लोगों की आस्था पर चोट पहुंचाई जा रही है। दलितों की जमीन खरीदी गई जो कानून के तहत खरीदी नहीं जा सकती यानि उनकी जमीन हड़पी गई है। जमीन राम मंदिर ट्रस्ट को बहुत अधिक दामों पर बेची गई। इसका मतलब यह है कि बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने अयोध्या में नेताओं और अफसरों के जरिये बड़े पैमाने पर जमीन औने-पौने दामों में खरीदे जाने के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए हाई कोर्ट से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर के निकट की जमीनें कथित रूप से भाजपा के विधायकों, महापौर और प्रशासन के आला अधिकारियों के जरिये औने-पौने दाम में खरीदे जाने का मामला सामने आया है, जिसके बाद राज्य सरकार ने राजस्व विभाग को मामले की गहराई से जांच करने के आदेश दिए हैं। उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब हैं, इसलिए इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। अगर इस मुद्दे पर सियासत की बात रहने भी दें तो अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुस्तानियों के लिए आस्था से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। ऐसे में मंदिर के आसपास स्थित जमीन के मालिकों से येन-केन-प्रकारेण जमीन का मालिकाना हक हासिल कर लेने की प्रृवत्ति के पीछे कुछ नहीं, कमाई करने का है। सबसे बड़ी बात है कि इसमें सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के विधायक, मेयर और महत्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारियों के परिजनों के नाम आ रहे हैं। मामले की जांच में जो भी लोग दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ कानून के मुताबिक ऐसी ठोस कार्रवाई होनी चाहिए जो भविष्य में एक नजीर बने।

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