Tuesday, 28 December 2021
सड़क पर डॉक्टर, तड़प रहे मरीज
उत्तर प्रदेश के विमांषु को रक्त कैंसर है। उनके शरीर में हर हफ्ते प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त प्लेटलेट्स की जरूरत होती है। बृहस्पतिवार को अपने गांव से दिल्ली पहुंचे 18 वर्षीय मरीज के भाई अभिषेक ने बताया कि वह दो दिन तक दिल्ली के अस्पतालों में चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें कहीं इलाज नहीं मिला। आखिर में एम्स की इमरजेंसी में करीब चार घंटे इंतजार के बाद जब उनका नम्बर आया तो पता चला कि मरीज की हालत बहुत गंभीर है। आनन-फानन में यहां डॉक्टरों ने मरीज की जान तो बचा ली, लेकिन अब डॉक्टर कहीं और ले जाने के लिए कह रहे हैं। अभिषेक का कहना है कि वह कई बार विमांषु को लेकर डॉक्टरों से अपील कर चुके हैं लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं। अभिषेक और विमांषु की तरह हजारों मरीज इन दिनों दिल्ली के अस्पतालों में चक्कर लगा रहे हैं। बीते आठ-नौ दिनों से रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं, जिससे मरीजों को कोई उपचार नहीं मिल पा रहा है। लोगों का कहना है कि न ओपीडी और न ही इमरजेंसी में डॉक्टर मिल रहे हैं। एम्स, सफदरजंग अस्पताल में कुछ डॉक्टर हैं परन्तु वह सिर्प कुछ घंटों के लिए ही इलाज करते हैं और उसके बाद घर चले जाते हैं। दरअसल डॉक्टरों का यह विरोध पिछले कई दिनों से इसलिए चल रहा है कि इस साल नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी हो रही है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट से सुनवाई की अगली तारीख छह जनवरी की मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को यह सुनवाई जल्द से जल्द कराने की अपील करनी चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मामले की अपील की जा चुकी है। कई बार प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बातचीत भी हुई है। कानूनी प्रक्रिया का एक दायरा है, जिसका पालन सभी को करना है। बहरहाल सरकार और डॉक्टरों के बीच मरीजों की स्थिति काफी गंभीर हो रही है। उम्मीद है कि इस मसले का मरीजों की खातिर जल्द हल हो और डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर लौटें। समय रहते इसका हल नहीं निकाला गया तो यह हड़ताल और फैल सकती है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment