Thursday 23 December 2021

कैप्टन और बीजेपी में गठबंधन

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कैप्टन अमरिन्दर सिंह की नई पार्टी के बीच गठबंधन का औपचारिक ऐलान हो गया है। पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी के लिए सत्ता पाना पहाड़ तोड़ने जैसा है। लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता और पंजाब के मझे हुए सियासी खिलाड़ी कैप्टन अमरिन्दर को अपनी टीम का हिस्सा बनाकर बीजेपी ने कोशिश तो शुरू कर दी है। अकेले अपने दम पर चुनाव लड़कर न तो कैप्टन अमरिन्दर सिंह हैट्रिक लगा पाते और उधर अकाली दल के बगैर बीजेपी के लिए अकेले पंजाब का किला फतह करना एक सपना बनकर ही रह जाता। ऐसे में इंडियन पॉलिटिक्ल लीग की यह नई टीम अब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अकाली-बसपा के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकती है। बीजेपी के नजरिए से देखें तो यह सही रणनीति है। पार्टी ने पंजाब के शहरी हिंदुओं का प्रतिनिधित्व किया है और कैप्टन के साथ हाथ मिलाकर वह सिख वोटों को भी लुभाने में सक्षम होगी। इसके अलावा कैप्टन प्रदेश के तीन हिस्से मालवा, माझा और दोआबा की जमीनी राजनीति को बारीकी से समझने के साथ ही ये भी जानते हैं कि पिछले चुनावों में कांग्रेस कहां-कहां कमजोर थी और अब इस गठबंधन को उन्हें कहा और कैसे मजबूत करना है। वे कांग्रेस के साथ ही अकालियों की भी कमजोर नब्ज से वाकिफ हैं। इसी वजह से इस गठबंधन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि चुनावी तारीख घोषित होने के बाद दूसरे दलों के कई विधायक कैप्टन की पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। दूसरे दलों के लिए यह नया गठबंधन इसलिए टैशंन पैदा किए हुए है कि कुछ न कुछ सभी को नुकसान करेगा। यह जमीनी हकीकत है कि बीजेपी ने कैप्टन से समझौता करके अकालियों के किसान वाले सबसे बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने का दांव खेला है। क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम रहते हुए किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था और अपने तौर पर उनकी मदद करने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। वैसे पंजाब का किसान बीजेपी से नाराज है कैप्टन से नहीं, बल्कि वो कैप्टन को अपने खैरख्वाह मानता है। इसलिए अकाली दल से नाता तोड़ने के बाद बीजेपी को जिस किसान वोट बैंक के उनके खिसक जाने का खतरा सता रहा था, अब वह कैप्टन के जरिए कुछ हद तक उसकी झोली में आ सकता है। हालांकि इस गठबंधन के लिए सत्ता की राह अभी उतनी आसान भी नहीं है क्योंकि आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ सालें में जिस तरह से अपनी सियासी जमीन मजबूत की है। उसे देखते हुए उसकी ताकत को कम करके आंकना भूल होगी। यह जरूर हो सकता है कि कैप्टन के चुनावी मैदान में कूदने से कांग्रेस के वोट बैंक का कुछ हिस्सा इस गठबंधन की तरफ शिफ्ट हो सकता है।

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